क्या है 'बक मून'? 10 जुलाई 2025 को आसमान में दिखेगा खास नजारा, जानें इसके एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी महत्व

2025 की यह बक मून मकर राशि में उदय हो रही है. मकर राशि एक पृथ्वी तत्व वाली राशि है, जिस पर शनि का शासन होता है. यह हमें अनुशासन, मेहनत और लॉन्ग टर्म गोल्स तय करने की इंस्पिरेशन देती है.;

( Image Source:  Freepik )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On :

10 जुलाई 2025 को दोपहर 1:37 बजे पेसिफिक टाइम और भारत में रात को, आकाश में एक खास एस्ट्रोनॉमिकल नजारा दिखेगा जिसे ‘बक मून’ कहा जाता है. यह पूर्णिमा मकर राशि में उदय होगी और यह समय एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी दोनों ही दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बक मून यानी जुलाई की पूर्णिमा को यह नाम नेटिव अमेरिकन (मूल अमेरिकी जनजातियों) की परंपराओं से मिला है.

उन्होंने साल के हर महीने की पूर्णिमा को प्रकृति से जोड़कर नाम दिया. जुलाई की पूर्णिमा का नाम ‘बक मून’ इसलिए पड़ा क्योंकि इस समय नर हिरण (जिसे बक कहा जाता है) के सींग पूरी तरह विकसित हो जाते हैं. यह पूर्णिमा न सिर्फ एक (astronomical) खगोलीय घटना है, बल्कि प्रकृति के साथ गहरे संबंध का प्रतीक भी है. अमेरिका में इसे थंडर मून (तूफानी मौसम की वजह से) और हाय मून (घास की कटाई के समय के कारण) भी कहा जाता है.

भारत में 'बक मून' का महत्व

भारत में जुलाई की पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है. यह दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. यह दिन गुरु और शिष्य के रिश्ते को सम्मान देने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का होता है. हमारे देश में यह दिन आध्यात्मिक साधना और आत्मचिंतन का भी समय होता है.

ज्योतिषीय दृष्टि से क्यों खास है यह बक मून?

2025 की यह बक मून मकर राशि में उदय हो रही है. मकर राशि एक पृथ्वी तत्व वाली राशि है, जिस पर शनि का शासन होता है. यह हमें अनुशासन, मेहनत और लॉन्ग टर्म  गोल्स तय करने की इंस्पिरेशन देती है. इस बार की पूर्णिमा की खास बात यह है कि यह मंगल ग्रह के साथ अलाइन है. इसका मतलब है कि इस समय में हमें अपने सपनों को पूरा करने की एक्सेस एनर्जी, कॉन्फिडेंस और जुनून मिलेगा. इसके अलावा, शनि ग्रह यूरेनस और प्लूटो जैसे ग्रहों के साथ एक पॉजिटिव रिलेशनशिप बना रहा है. यह समय हमें ज़िंदगी में ठोस बदलाव करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां देगा, लेकिन यह बदलाव कल्पना में नहीं बल्कि हकीकत की ज़मीन पर आधारित होंगे. नेपच्यून की भागीदारी इस पूर्णिमा को और भी खास बनाती है क्योंकि यह हमें कल्पना और हकीकत के बीच संतुलन बनाने की सलाह देता है.

कैसे देखें बक मून?

एस्ट्रोनॉमर (एस्ट्रोनॉमिकल साइंस) अमर पाल सिंह के अनुसार, बक मून को अपनी साधारण आंखों से ही देखा जा सकता है. इसके लिए किसी खास डिवाइस की जरूरत नहीं होती. बस आसमान साफ हो यानी बादल या कोहरा न हो तो यह सुंदर नजारा देखा जा सकता है. यह पूर्णिमा भारत समेत दुनिया के कई देशों में दिखाई देगी. आप इसे अपने घर की छत या खुले मैदान से देख सकते हैं. 

Similar News