बांग्‍लादेश में अगर UN ने दिया दखल, तो क्या-क्या होंगे बदलाव? हिंदू संगठन कर रहे ये मांग

UN in Bangladesh: 'ग्लोबल बंगाली हिंदू गठबंधन' ने बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा को लेकर कहा कि भारत को शांति मिशन तैनात करना चाहिए और हिंदुओं के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए यूनुस सरकार को प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से अपील भी की.;

UN in Bangladesh
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 31 Dec 2024 6:00 PM IST

UN in Bangladesh: बांग्लादेश में शेख हसीना के हटने और मोहम्मद युनुस की आंतरिक सरकार के आने से वहां अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहा है. वहीं अब वहां रह रहे हिंदू भी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए संयुक्त राष्ट्र के दखल की मांग कर रहे हैं. तनाव के बीच प्रवासी बांग्लादेशी हिंदुओं के एक समूह ने भारत से बांग्लादेश के खिलाफ प्रतिबंधों के लिए संयुक्त राष्ट्र पर दबाव डालने का आग्रह किया है.

भारत सरकार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने और नवंबर में बांग्लादेशी भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी पर अपनी चिंताओं के बारे में अपनी बात रखी है. ऐसे में भारत चाहे तो संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भेजने की सिफारिश कर सकता है, लेकिन इसमें बांग्लादेश की मंजूरी भी जरूरी है.

संयुक्त राष्ट्र के आने से बांग्लादेश में किस बदलाव की संभावना?

बांग्लादेश भी संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश है. ऐसे में बांग्लादेश की स्थिति को देखकर संयुक्त राष्ट्र अपनी शांति सेना को वहां भेज सकता है. ये कदम संयुक्त राष्ट्र तब उठाता है, जब सदस्य देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है या फिर दो देशों के बीच का मामला होता है.

हालांकि शांति सेना युद्ध नहीं लड़ती, तो ऐसे में वो हमले की स्थिति में बचाव के लिए हमेशा तैयार होते हैं. वो अपनी रणनीति के आधार पर देश में शांति स्थापित करते हैं. तैनाती से पहले देश और संयुक्त राष्ट्र के बीच समझौता भी होता है, जिसमें शांति सेना के पास कितनी शक्ति होगी इसे तय किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र के आने से बांग्लादेश पर प्रतिबंधों का असर

  • आर्थिक रूप से प्रतिबंध का व्यापार पर असर
  • विदेशी निवेश में आएगी रूकावट
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों तक पहुंच को सीमित
  • GDP में गिरावट, गरीबी और बेरोजगारी में वृद्धि
  • बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हो सकता है अलग-थलग
  • बढ़ सकता है राजनीतिक तनाव
  • यात्रा और शिक्षा पर प्रतिबंध
  • वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में गिरावट

बांग्लादेश में शांति सेना की तैनाती कितनी संभव

शांति सेना की तैनाती बांग्लादेश में मुश्किल लग रही है, क्योंकि इसमें दोनों पार्टी की रजामंदी जरूरी है. कई बार देश तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि यूएन की शांति सेना पर कई बार ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वो अमेरिका या यूएन सुरक्षा परिषद के बाकी देशों के लिए जासूसी करती है.

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