अगर बदले H1-B नियम तो क्या होगा भारतीयों पर असर? एलन मस्क खुद इसी के जरिए पहुंचे थे अमेरिका
H-1B Row: H1-B वीजा को लेकर अमेरिका में घमासान मचा है. इसे लेकर ट्रम्प समर्थकों में दो फाड़ हो गया है, जहां कुछ इसे खत्म करने का दबाव ना रहे हैं तो दूसरी ओर एलन मस्क जैसे समर्थक इसमें बस बदलाव की बात करते हुए इसे जारी रखने की बात कर रहे हैं.

H-1B Row: अमेरिका से मिलने वाले H1-B वीजा को लेकर घमासान जारी है. डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले ही आव्रजन नियम में बदलाव के तहत H1-B वीजा नियम में भी संशोधन करने की बात कही थी. वहीं दुनिया सबसे रईस आदमी एलन मस्क ने भी दावा किया है कि H1-B वीजा सर्विस में कई खामियां है, जिसे बदलना बेहद जरूरी है.
ट्रम्प के सबसे बड़े समर्थक और आने वाले सरकार में बड़े प्रभाव रखने वाले एलन मस्क के इस स्टेटमेंट में दुनिया भर में खलबली मचा दी है. लोग सोच रहे हैं कि आखिर इसमें बदलाव के बाद अमेरिका जाने वाले उनके सपने का क्या होगा और इसका उनकी नौकरी पर कितना असर पड़ेगा? इसमें सबसे अधिक चिंतित भारतीय हैं, क्योंकि इस वीजा का सबसे अधिक लाभ वही उठाते हैं.
खुद एच1बी वीजा से अमेरिका पहुंचे थे एलन मस्क
ट्रम्प के सबसे पड़े सर्थक और सहयोगी मस्क भी साउथ अफ्रीका से एच-1बी वीजा पर आये थे. इसलिए वो इस विजा का महत्व समझते हैं. मस्क का जन्म दक्षिण अफ़्रीका के प्रिटोरिया में हुआ था, उनकी मां कनाडाई और पिता दक्षिण अफ्रीकी थे. 17 साल की उम्र में मस्क कनाडा चले गए. बाद में उन्होंने अपनी मां के माध्यम से कनाडा की नागरिकता प्राप्त की. दो साल बाद मस्क ने अमेरिका में पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया. यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना उनके अमेरिका में एंट्री का एक माध्यम था.
H1-B वीजा में सबसे अधिक भारतीय
यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) H1-B वीजा की बात करें तो अमेरिका हर साल 65 हजार लोगों को ये वीजा देता है, जिसकी अवधी 3 साल की होती है, जिसे 3 साल और बढ़ाया जा सकता है. लेकिन इसमें खास बात ये है कि वीजा पाने वाले 10 लोगों में 7 भारतीय होते हैं, तो जाहिर तौर पर इसका सबसे अधिक प्रभाव भारतीयों पर ही पड़ेगा.
अगर हुआ बदलाव तो भारतीयों पर कितना पड़ेगा असर?
- अमेरिका में नौकरी के लिए बढ़ेगी चुनौती
- रिन्यू करने में बदलाव पर वहां रह रहे भारतीयों की बढ़ेगी टेंशन
- वीजा एक्सटेंशन पर निर्भर रहने वाली कंपनियों को नुकसान का करना पड़ सकता सामना
- हालांकि, भारतीयों पर अधिक निर्भरता की वजह से इसे लचीला भी किया जा सकता है
H1-B वीजा पर क्या है बहस?
दरअसल, इमिग्रेशन पर बहस के बीच डोनाल्ड ट्रंप के कई समर्थक एच-1बी वीजा को खत्म करने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं. यह मामला तब गरमा गया जब ट्रंप ने अपने आने वाले प्रशासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नीति पर सलाहकार के तौर पर भारतीय-अमेरिकी उद्यमी श्रीराम कृष्णन को चुना. उनके समर्थकों का कहना है कि इस वीजा की वजह से अमेरिकियों की नौकरी विदेशियों को दी जा रही है.
चूंकि, ट्रम्प के समर्थकों में इसे लेकर दो फाड़ देखने को मिल रहा है. एक ओर जहां इसे खत्म करने की मांग है, तो इस मामले पर ट्रम्प का बचाव करते हुए एलन मस्क इसमें संशोधन की बात करके मामले को खत्म करना चाहते हैं, ताकि ट्रम्प सरकार सही से चल सके.
हालांकि, डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1बी वीजा के उपयोग पर सार्वजनिक विवाद में एलन मस्क और विवेक रामास्वामी का साथ दिया है और कहा कि वह विदेशी तकनीकी कर्मचारियों के लिए कार्यक्रम का पूर्ण समर्थन करते हैं, जिसका उनके कुछ समर्थक विरोध कर रहे हैं.