ट्रूडो बेनकाब! कनाडा सरकार ने माना- खालिस्तानी आतंकवादियों को मिल रहा कनाडा से फंड, सही साबित हुए भारत के दावे

कनाडा सरकार की नई रिपोर्ट ने खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों की फंडिंग का खुलासा कर भारत के आरोपों को सही साबित कर दिया है. बब्बर खालसा इंटरनेशनल और अन्य गुट कनाडा समेत कई देशों से आर्थिक सहयोग पा रहे हैं. रिपोर्ट में चैरिटी और नॉन-प्रॉफिट नेटवर्क के दुरुपयोग का भी उल्लेख है. इससे कनाडा की सुरक्षा और भारत-कनाडा रिश्तों पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On :

भारत के लंबे समय से लगाए गए आरोपों की पुष्टि आखिरकार कनाडा सरकार ने खुद कर दी है. वित्त विभाग की एक ताज़ा रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि खालिस्तानी उग्रवादी संगठनों को कनाडा समेत कई देशों से आर्थिक मदद मिल रही है. रिपोर्ट में कहा गया कि ये संगठन पंजाब में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना के लिए हिंसक तरीकों का समर्थन करते हैं और विदेशी फंडिंग से अपने नेटवर्क को सक्रिय रखते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, पहले खालिस्तानी संगठनों के पास कनाडा में बड़ा फंडरेजिंग नेटवर्क था. लेकिन अब ये गतिविधियां छोटे-छोटे समूहों या व्यक्तियों तक सीमित हो गई हैं. इनके पास किसी खास संगठन से प्रत्यक्ष जुड़ाव भले न दिखे, लेकिन उनका आर्थिक सहयोग इन आतंकी गतिविधियों को जिंदा रखने में अहम भूमिका निभाता है.

भारत के आरोप सही साबित हुए

भारत लगातार आरोप लगाता रहा है कि कनाडा खालिस्तानी गतिविधियों पर कठोर कदम उठाने से बचता रहा है. हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच इस मुद्दे को लेकर कड़ी बयानबाज़ी देखने को मिली थी. अब यह रिपोर्ट भारत के रुख को सही साबित करती है. इससे कनाडा की आंतरिक सुरक्षा ही नहीं बल्कि उसके अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर भी गहरा असर पड़ सकता है.

कानूनी रूप से आतंकी घोषित संगठन

कनाडा के क्रिमिनल कोड के तहत बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है. रिपोर्ट बताती है कि इन संगठनों को अब भी कनाडा से फंड मिल रहा है. इसके अलावा फिलिस्तीनी संगठन हमास और लेबनानी गुट हिज़बुल्लाह को भी इसी श्रेणी में रखा गया है.

चैरिटी और नॉन-प्रॉफिट नेटवर्क का दुरुपयोग

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि खालिस्तानी उग्रवादी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए चैरिटी और नॉन-प्रॉफिट संस्थाओं का इस्तेमाल करते हैं. प्रवासी समुदायों से दान इकट्ठा करके इसे आगे भेजा जाता है. यही तरीका हमास और हिज़बुल्लाह जैसे गुट भी अपनाते हैं.

कनाडा की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती

विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशों से मिलने वाला आर्थिक सहयोग आतंकवादी गतिविधियों को जिंदा रखने का सबसे बड़ा साधन है. ऐसे में कनाडा सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि वह लोकतांत्रिक ढांचे और स्वतंत्रता के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए कट्टरपंथी नेटवर्क पर कैसे नकेल कसे.

भारत-कनाडा रिश्तों में तनाव की जड़

भारत कई बार यह चेतावनी देता रहा है कि कनाडा खालिस्तानी समर्थकों के लिए "सेफ हैवन" बन चुका है. अब कनाडा की ही सरकारी रिपोर्ट ने इसे मान लिया है. इससे भारत-कनाडा रिश्तों में और तनाव आ सकता है, खासकर तब जब ट्रूडो सरकार पहले इन आरोपों को खारिज करती रही थी.

कनाडा की निगरानी एजेंसियां अलर्ट पर

रिपोर्ट सामने आने के बाद कनाडा की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी है. माना जा रहा है कि इन समूहों की गतिविधियों को रोकने और फंडिंग नेटवर्क पर लगाम लगाने के लिए जल्द ही कड़े कदम उठाए जा सकते हैं.

Full View

Similar News