भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत! अमेरिका ने TRF को घोषित किया वैश्विक आतंकी संगठन, चीन ने भी नहीं दिया पाकिस्तान का साथ
अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत दिलाई है. यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के तुरंत बाद भारत की त्वरित कार्रवाई का परिणाम है. TRF, लश्कर-ए-तैयबा का ही नया चेहरा माना जाता है, जो भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है. खास बात यह रही कि इस बार चीन ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया.;
TRF declared global terrorist group: पुंछ और पहलगाम जैसे आतंकी हमलों के बाद भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. भारत की लगातार कोशिशों और रणनीतिक प्रयासों के चलते अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. खास बात यह है कि इस बार चीन ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया, जो अक्सर संयुक्त राष्ट्र में आतंकी गुटों पर प्रतिबंध के प्रस्तावों को वीटो करता रहा है.
तीन दिन में तेज़ डिप्लोमेसी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के महज तीन दिन के भीतर भारत ने मिशन मोड में काम करते हुए TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कराने की प्रक्रिया शुरू की. खुफिया एजेंसियों और विदेश मंत्रालय के तालमेल से अमेरिकी विदेश विभाग और यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) को TRF की गतिविधियों और पाकिस्तान से उसके संबंधों के प्रमाण सौंपे गए. इसके अलावा, भारत ने इस बात को भी रेखांकित किया कि TRF सिर्फ एक नया नाम है, असल में यह लश्कर-ए-तैयबा की ही छाया संगठन है, जिसे पाकिस्तान ने कश्मीर में 'लोकल मूवमेंट' के रूप में प्रचारित करने की चाल चली थी.
चीन ने क्यों नहीं लगाया वीटो?
चीन अब तक संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के हितों की रक्षा करता आया है. जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में भी चीन ने वर्षों तक अड़ंगा लगाया था, मगर इस बार बीजिंग ने न केवल भारत की बात सुनी, बल्कि TRF पर अमेरिकी प्रस्ताव को समर्थन भी दिया. जानकारों के मुताबिक, चीन की यह नरमी उसकी बदलती भू-राजनीतिक प्राथमिकताओं और वैश्विक दबाव का संकेत है.
इसके पीछे दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं - पहला, भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती सामरिक नजदीकी, और दूसरा, पाकिस्तान की लगातार गिरती आर्थिक स्थिति जिसने चीन की ‘इमेज’ को भी नुकसान पहुंचाया है. चीन अब आतंकवाद के समर्थन से खुद को अलग दिखाना चाहता है.
TRF की पृष्ठभूमि और गतिविधियां
TRF की शुरुआत 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुई थी. इसे लश्कर-ए-तैयबा का ही एक आधुनिक संस्करण माना जाता है, जो सोशल मीडिया और ‘नरेटिव वॉर’ के जरिए कश्मीरी युवाओं को भड़काने की रणनीति पर काम करता है. इसके आतंकियों को पाकिस्तान में प्रशिक्षित किया जाता है और हथियारों की आपूर्ति LoC के ज़रिए की जाती है. भारत सरकार के मुताबिक, TRF जम्मू-कश्मीर में कई नागरिकों, प्रवासी मजदूरों और सुरक्षाकर्मियों की हत्या में शामिल रहा है.
भारत की छवि और कूटनीति को मजबूती
TRF को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित कराना भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। इससे न केवल पाकिस्तान की दोहरी नीतियों का पर्दाफाश हुआ है, बल्कि भारत की आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को वैश्विक समर्थन भी मिला है. इससे जम्मू-कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा और पाकिस्तान की जवाबदेही तय होगी.