6 जुलाई को मिल जाएंगे 15वें दलाई लामा! धार्मिक गुरुओं के साथ बैठक में नाम से उठेगा पर्दा, जानें बौद्ध धर्म में इनका महत्व
Dalai Lama: वर्तमान दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर पूर्वी तिब्बत के ताक्सतेर में हुआ था. उन्होंने कहा था कि जब मैं 90 वर्ष का हो जाऊंगा तब उनका अगला जन्म कहां होगा इसके बारे में बताऊंगा. 6 जुलाई को पता चलेगा कि 15वें दलाई लामा का जन्म कहां होगा.;
Dalai Lama: दुनिया भर में बौद्ध धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं. भारत में बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म का प्रभाव देखने को मिलता है. बिहार के गया में ही भगवान गौतम बुद्ध को शिक्षा प्राप्त हुई थी. बौद्ध धर्म के सबसे बड़े गुरु 15वें दलाई लामा का जन्म कहां होगा. इस संबंध में 6 जुलाई को पता चलेगा.
14वें दलाई लामा ने अगले 3 दिनों तक बौद्ध धर्म के सभी वर्गों के प्रमुख की बैठक बुलाई है. उनके 6 जुलाई को 90 वर्ष पूरे हो जाएंगे. इसलिए अगले दलाई लामा को लेकर चर्चा की जा रही है. अभी तक कुल 14 दलाई लामा हुए हैं. वर्तमान 14वां दलाई लामा, तेंजिन ग्यात्सो दो वर्ष की आयु में 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में स्वीकार किए गए थे.
15वें दलाई लामा कहां हैं?
वर्तमान दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर पूर्वी तिब्बत के ताक्सतेर में हुआ था. 2 साल की उम्र में उनकी पहचान 13वें गुरु के अवतार के रूप में की गई थी. बाद में वह भारत आकर रहने लगे. दलाई लामा तेनजिन ने इससे पहले 2011 में धार्मिक गुरुओं की बैठक बुलाई थी. उन्होंने कहा था कि जब मैं 90 वर्ष का हो जाऊंगा तब उनका अगला जन्म कहां होगा इसके बारे में बताऊंगा.
कौन होते हैं दलाई लामा?
दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म की गेलुग (Gelug) संप्रदाय के सर्वोच्च आध्यात्मिक और ऐतिहासिक नेता होते हैं. दलाइ लामा का अर्थ है बुद्धत्व का महासागर जहां दलाइ मंगोलियाई शब्द है जिसका मतलब समुद्र (महासागर) होता है, और लामा तिब्बती भाषा में गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक को कहते हैं.
तिब्बत को हड़पना चाहता है चीन
चीन हमेशा ने तिब्बत को अपना हिस्सा बताया आया है, उसकी नजर तिब्बत पर कब्जा करने की है. नए दलाई लामा के जन्म पर धार्मिक गुरुओं के साथ चीन भी नजर बनाए हुए है. क्योंकि दलाई लामा को ही तिब्बत का राष्ट्रीय अध्यक्ष माना जाता है. इसलिए चीन चाहता है कि वह दलाई लामा को अपने साथ कर लेगा तो तिब्बत उसे मिल जाएगा. ये विवाद दशकों से चला आ रहा है.
बौद्ध धर्म के लिए गया का महत्व
बौद्ध धर्म में बिहार के गया (बोधगया) का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक महत्व है. गया में ही वह स्थान है जहां सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) को लगभग 2,500 वर्ष पूर्व पिप्पल वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर ज्ञान प्राप्ति (Bodhi) हुई थी. बौद्ध मान्यताओं के चार प्रमुख तीर्थस्थलों में बोधगया को सर्वोच्च माना जाता है. इसके अलावा नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों की नजदीकी ने इसे शिक्षा और दर्शन का केंद्र भी बनाया, जिससे यह स्थल ऐतिहासिक रूप से ज्ञान व अनुसंधान का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा.