पाकिस्तान का वो कॉलेज जिसकी साख पर राणा-हेडली की करतूतों ने लगाया डेंट, जानें क्या है इसका इतिहास

पाकिस्तान के कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल से निकले तहव्वुर राणा और डेविड हेडली ने शिक्षा की राह छोड़ आतंक की राह चुनी. जहां भारत जैसे देश राष्ट्रसेवा सिखाते हैं, वहीं इन दो दोस्तों ने 26/11 जैसे भीषण हमले की साजिश रची. यह कहानी दर्शाती है कि कैसे अनुशासन और कट्टरता का टकराव कभी-कभी विनाशकारी मोड़ ले सकता है, और शिक्षा का उद्देश्य विपरीत दिशा में मुड़ सकता है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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एक तरह हमारा देश भारत जहां राष्ट्रसेवा और अनुशासन की शिक्षा दी जाती है. वहीं हमारे पडोसी देश पाकिस्तान में दो ऐसे चेहरे निकले जिन्होंने भारत पर सबसे बड़ा आतंकी हमला करने की साजिश रची. पाकिस्तान के कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल से पढ़े तहव्वुर राणा और डेविड हेडली की दोस्ती ने वक्त के साथ मिलकर आतंक का रूप ले लिया. यह कहानी सिर्फ दो दोस्तों की नहीं, बल्कि उस विरोधाभास की भी है जो शिक्षा और कट्टरता के टकराव से जन्मा.

1952 में अयूब खान की पहल पर बना हसन अब्दाल कॉलेज, पाकिस्तान का पहला कैडेट संस्थान है. जिसका मकसद था भविष्य के सैन्य नेताओं को गढ़ना. कठिन प्रतियोगी परीक्षा से चयनित छात्र यहां अकादमिक, मानसिक और सैन्य प्रशिक्षण पाते हैं. लेकिन यहीं से निकले दो छात्र हेडली और राणा ने भविष्य की सेवा नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ साजिशों की बुनियाद रखी.

हमेशा टच में रहे दोनों दोस्त

हेडली, जिसका जन्म एक पाकिस्तानी पिता और अमेरिकी मां से हुआ था, कॉलेज में तेज-तर्रार छात्र था. राणा, एक स्थिर और अनुशासित व्यक्तित्व का प्रतीक था. दोनों की दोस्ती यहीं गहरी हुई. लेकिन 1977 में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद हेडली अमेरिका चला गया और वहीं से उसकी सोच ने कट्टरपंथ की ओर करवट ली. वहीं राणा मेडिकल प्रोफेशनल बना, लेकिन हेडली से जुड़ाव बना रहा.

अमेरिका में फिर जुड़ा रिश्ता

अमेरिका में दोनों की दोस्ती फिर मजबूत हुई, लेकिन अब उनके रास्ते सैन्य अनुशासन नहीं, बल्कि आतंक की गलियों में जा रहे थे. हेडली ISI और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया और भारत में आतंकी हमले की तैयारी शुरू की. राणा ने उसे लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया जैसे कवर स्टोरी, वीज़ा, और फर्जी ऑफिस. भारत में रेकी से लेकर हमलों की योजना तक, दोनों की भूमिकाएं साफ थीं.

गर्व की जगह आई शर्म की दास्तां

कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल आज भी पाकिस्तान का गौरवशाली संस्थान माना जाता है, लेकिन उसकी छवि पर हेडली और राणा की करतूतों ने धब्बा लगा दिया है. राष्ट्रसेवा की प्रेरणा देने वाले इस संस्थान से निकली इन दो छायाओं ने भारत में तबाही फैलाई, और वैश्विक आतंकवाद की एक नई मिसाल बन गए.

आतंक की कहानी एक वैश्विक सबक

26/11 केवल भारत पर हमला नहीं था, यह वैश्विक चेतावनी भी थी कि आतंकी सोच किसी भी इमारत, किसी भी संस्था में जन्म ले सकती है. भले ही उसका मकसद अनुशासन और सेवा हो. हेडली और राणा की कहानी दर्शाती है कि दोस्ती, पहचान और शिक्षा इन सभी का इस्तेमाल अगर गलत दिशा में हो, तो उसका असर पूरी दुनिया भुगत सकती है.

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