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कसाब की तरह न खिलाई जाए बिरयानी... 26/11 हमले के चश्मदीदों ने तहव्वुर राणा के साथ क्या करने की दी सलाह?

लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया है. राणा ने आतंकी डेविड हेडली के साथ मिलकर हमले की योजना बनाई थी. पीड़ितों ने सख्त सजा की मांग की है. यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग में बड़ी जीत मानी जा रही है, जिससे न्याय और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई दिशा मिल सकती है.

कसाब की तरह न खिलाई जाए बिरयानी... 26/11 हमले के चश्मदीदों ने तहव्वुर राणा के साथ क्या करने की दी सलाह?
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 10 April 2025 10:54 AM IST

लंबी कानूनी और कूटनीतिक मशक्कत के बाद तहव्वुर हुसैन राणा की अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भारत की आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती स्वीकार्यता और सहयोग का प्रतीक है. यह महज एक आरोपी की वापसी नहीं, बल्कि न्याय की उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जो सीमाओं से परे जाकर पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश करती है.

राणा और डेविड हेडली की कहानी एक सैन्य विद्यालय की बेंच से शुरू होकर एक वैश्विक आतंकी हमले की योजना तक पहुंची. पाकिस्तान के कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल में साथ पढ़ने वाले इन दोनों ने बाद में अमेरिका में मिलकर 26/11 हमलों की साजिश रची. राणा ने लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया, जबकि हेडली ने भारत में टारगेट की पहचान कराई. आइये जानते हैं इन हमलों के पीड़ितों ने क्या कहा...

जल्द से जल्द मिले मौत की सजा

हमले की चश्मदीद और अजमल कसाब की पहचान करने वाली देविका रोटावन ने 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर खुशी जताते हुए कहा, "मुझे बेहद खुशी है कि तहव्वुर राणा को आखिरकार भारत वापस लाया जा रहा है. यह भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जीत है. इसलिए, मैं बहुत खुश हूं. मैं भारत और अमेरिका की सरकारों को धन्यवाद देना चाहूंगी. अमेरिकी सरकार ने भारत सरकार का भरपूर साथ दिया. मेरी मांग है कि राणा को वापस लाते ही उससे जानकारी जुटाई जाए, जो आतंकी अभी भी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं. उनके बारे में जानकारी जुटाई जाए, 26/11 के लिए उनकी योजना और ऐसा क्यों किया गया, इसका पता लगाया जाए. तहव्वुर राणा को जल्द से जल्द मौत की सजा दी जाए."

बिरयानी खिलाने की जरुरत नहीं

'छोटू चाय वाला' के नाम से मशहूर मोहम्मद तौफीक, जिनकी सतर्कता के कारण बड़ी संख्या में लोग हमले से बच निकले. उन्होंने कहा कि हमें इन आतंकियों के लिए जेल में जगह और बिरयानी की जरूरत नहीं है. आतंकवादियों के लिए एक अलग कानून होना चाहिए, एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे उन्हें 2-3 महीने के भीतर फांसी पर लटका दिया जाए.

NIA के लिए है बड़ी उपलब्धि

पूर्व NIA DG योगेश चंद्र मोदी ने कहा, "यह देश, विदेश मंत्रालय और NIA के लिए बड़ी उपलब्धि है. तहव्वुर राणा के मामले में भारत के साथ-साथ अमेरिका की भी राजनीतिक इच्छाशक्ति थी, जिसकी वजह से प्रक्रिया आगे बढ़ पाई. NIA ने अमेरिका की अदालतों में पुख्ता सबूत पेश किए और हमारी टीम ने कई बार अमेरिका का दौरा किया. भारत में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है. केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और NIA यह सुनिश्चित करेगी कि तहव्वुर राणा से उचित पूछताछ हो और सबूत जुटाए जाएं ताकि मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जा सके."

अमेरिकी कानूनी प्रक्रिया है स्लो

पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा, "जबकि हम अमेरिका के फैसले का स्वागत करते हैं, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 26/11 हमले 2008 में हुए थे और प्रत्यर्पण में 17 साल लग गए. बावजूद इसके कि भारत ने शुरू में ही विश्वसनीय सबूत उपलब्ध कराए थे. अगर भूमिकाएं बदल दी गई होतीं, और 9/11 हमलों का एक आरोपी भारत में होता, तो अमेरिका इतना लंबा इंतज़ार नहीं करता. अमेरिकी कानूनी प्रक्रिया धीमी है और लगातार आने वाले प्रशासन अधिक तेज़ी से काम कर सकते थे."

क्राइम ब्रांच ने दी थी पूरी जानकारी

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राणा के खिलाफ 405 पन्नों की चार्जशीट में उसकी गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी है. राणा भारत में 11 से 21 नवंबर 2008 के बीच मौजूद था और मुंबई में पवई के एक होटल में रुका था. वहीं से उसने हेडली और पाकिस्तानी एजेंटों से समन्वय किया, जिससे हमलों की योजना को अंतिम रूप मिला.

हमलों से पहले बीजिंग गया था राणा

हमलों से ठीक पहले राणा दुबई होते हुए बीजिंग चला गया, जिससे उसकी संलिप्तता और अधिक संदिग्ध हो गई। पुलिस के अनुसार, वह जानता था कि कुछ बड़ा होने वाला है। राणा के कई ईमेल और बातचीत के रिकॉर्ड सामने आए हैं, जिनमें आतंकी ठिकानों और संभावित टारगेट्स की चर्चा थी।

शिवसेना भवन की भी हुई थी रेकी

राणा ने न केवल हेडली को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया, बल्कि उसे सलाह दी कि वह आईएसआई के मेजर इकबाल से संपर्क करे. जांच में यह बात सामने आई कि राणा ने शिवसेना भवन जैसे स्थानों की जानकारी ली थी और इन जगहों की रेकी के लिए हेडली को भेजा गया था. कई ऐसे लोकेशन बाद में आतंकी हमलों का निशाना बने.

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