जमीन नहीं हवा में लटकेगी बिल्डिंग! दुनिया के इस जगह बनेगा अनोखा Tower, Social Media पर पोस्ट देख यूजर्स बोले- ये कुछ नया है भाई

न्यूयॉर्क की आर्किटेक्चर कंपनी Clouds Architecture Office ने एक अनोखे और बेहद क्रांतिकारी टावर का प्रस्ताव रखा है, जिसका नाम है Analemma Tower. यह टावर सामान्य इमारतों की तरह जमीन पर खड़ा नहीं होगा, बल्कि एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) से केबलों के ज़रिए आसमान में उल्टा लटका होगा. यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थायी रूप से घूमेगा (geosynchronous orbit).;

( Image Source:  न्यूयॉर्क टाइम्स - (फोटो) )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 17 May 2025 1:35 PM IST

आपने अब तक जितनी भी इमारतें देखी हैं, वो सभी ज़मीन पर खड़ी होती हैं. लेकिन ज़रा सोचिए, अगर कोई इमारत ज़मीन पर नहीं, बल्कि आसमान से लटकती हुई हो तो? सुनने में भले ही ये किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगे, लेकिन न्यूयॉर्क की एक आर्किटेक्चर फर्म क्लाउड्स आर्किटेक्चर ऑफिस ने इस हैरतअंगेज़ कल्पना को डिज़ाइन के रूप में पेश किया है.

इस अनोखी इमारत को ऊपर से नीचे की ओर लटकाया जाएगा, यानी ये Tower ज़मीन पर खड़ा नहीं होगा, बल्कि एक अंतरिक्ष में मौजूद क्षुद्रग्रह (Asteroid) से केबल्स के ज़रिए टंगा होगा. ये क्षुद्रग्रह धरती की कक्षा में स्थिर रहेगा और वहीं से ये पूरा Tower. लटकाया जाएगा. इस तरह की रचना को कंपनी ने नाम दिया है - 'Analemma Tower' जो इमारतों की पारंपरिक सोच को पूरी तरह पलट देता है. इसे देखकर शायद आपको सपना लगे, लेकिन यह भविष्य की इंजीनियरिंग और स्पेस टेक्नोलॉजी के नए युग की झलक हो सकती है.

अंतरिक्ष से लटका हुआ गगनचुंबी टावर!

Clouds Architecture Office के अनुसार, इस इमारत की नींव धरती पर नहीं बल्कि जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट (geosynchronous orbit) में स्थापित एक एस्टेरॉइड पर होगी. इस एस्टेरॉइड से हाई-स्ट्रेंथ केबल्स (सुपर मजबूत रस्सियाँ) के ज़रिए टावर को लटकाया जाएगा.

हर दिन बदलता रहेगा लोकेशन

यह टावर धरती के चारों ओर फिगर-8 (∞) की कक्षा में घूमेगा, जिससे यह रोज़ाना उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच सफर करेगा। इस गतिशीलता के चलते टावर के निवासी रोज़ नई जगह और नज़ारों का आनंद ले सकेंगे.

'Universal Orbital Support System' का कमाल

इस सिस्टम को "Universal Orbital Support System" या UOSS कहा गया है, जो एक परंपरागत स्पेस एलिवेटर की अवधारणा पर आधारित है। यह प्रणाली पृथ्वी-आधारित नींव की बजाय अंतरिक्ष में टिकी नींव पर आधारित होगी. इस प्रस्ताव में दुबई को निर्माण स्थल के रूप में चुना गया है, क्योंकि वहां गगनचुंबी इमारतें न्यूयॉर्क की तुलना में पांच गुना कम लागत में बनाई जा सकती हैं. टावर को बाद में उसके अंतिम कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

ऊर्जा और पानी की भी नई तकनीक

ऊर्जा की जरूरतें पूरी होंगी अंतरिक्ष से आने वाली सोलर पावर से। वहीं पानी के लिए क्लोज़्ड-लूप सिस्टम का इस्तेमाल होगा, जिसमें वाष्प और बारिश के पानी से पुनर्भरण किया जाएगा. पारंपरिक लिफ्ट्स की ऊंचाई सीमा को केबल-लेस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एलिवेटर्स से पूरी तरह तोड़ा जा सकेगा, जिससे टावर की लंबाई को लेकर अब कोई तकनीकी रुकावट नहीं रहेगी.

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