नेपाल संकट के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी, कर्फ्यू और धारा 144 ख़त्म, ओली के खिलाफ FIR; जानें कैसे हैं वहां के हालात
नेपाल में राजनीतिक संकट के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग कर 5 मार्च 2026 को चुनाव की घोषणा की. शपथ लेने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री कार्की ने संकेत दिए कि वह रविवार को अपना छोटा मंत्रिमंडल गठित करेंगी.;
नेपाल पिछले कई दिनों से राजनीतिक संकट से गुजर रहा था. इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध, कथित भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने जनता को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया. देशभर में फैले प्रदर्शनों ने आखिरकार उस समय बड़ा रूप ले लिया जब हिंसा और आगजनी की घटनाओं ने राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों को झकझोर दिया. इन हालातों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया.
ओली के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया. कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं, जिसने नेपाल की राजनीति में नया अध्याय जोड़ दिया है. 73 वर्षीय कार्की अपने सख्त और ईमानदार रवैये के लिए जानी जाती हैं.
राष्ट्रपति ने संसद भंग कराई, चुनाव की तारीख तय
राष्ट्रपति पौडेल ने कार्की की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया और घोषणा की कि नेपाल में 5 मार्च 2026 को संसदीय चुनाव होंगे. यह कदम देश को स्थिरता की ओर ले जाने के लिए जरूरी माना जा रहा है. हालांकि विपक्षी दलों और अधिवक्ता संघ ने संसद भंग करने के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कड़ी आलोचना की है.
मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी
शपथ लेने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री कार्की ने संकेत दिए कि वह रविवार को अपना छोटा मंत्रिमंडल गठित करेंगी. इसमें गृह, विदेश और रक्षा जैसे अहम मंत्रालय शामिल होंगे. सूत्रों के अनुसार, हाल की हिंसा में प्रधानमंत्री कार्यालय बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, इसलिए अस्थायी तौर पर नए भवन को कार्यालय के रूप में तैयार किया जा रहा है.
हिंसा के घाव और कार्की का पहला दौरा
प्रधानमंत्री कार्की ने शपथ के अगले दिन काठमांडू के बनेश्वर इलाके में स्थित सिविल अस्पताल का दौरा किया. यहां उन्होंने हिंसा में घायल लोगों से मुलाकात की और उनके इलाज का हाल जाना. इस कदम को जनता के बीच सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, पुलिस ने पुष्टि की है कि प्रदर्शनों में कम से कम 51 लोगों की जान गई, जिनमें एक भारतीय नागरिक भी शामिल है.
पूर्व प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ FIR
नेपाल कांग्रेस के सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ नई बानेश्वर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. आरोप लगाया गया है कि ओली सरकार की नीतियों और फैसलों ने जनता में असंतोष भड़काया और हिंसा को जन्म दिया. इस मामले ने नेपाल की राजनीति में और भी हलचल पैदा कर दी है.
धीरे-धीरे सामान्य होती जिंदगी
लगातार कई दिनों तक कर्फ्यू और धारा 144 लागू रहने के बाद अब सरकार ने प्रतिबंध हटा लिए हैं. काठमांडू घाटी सहित अन्य हिस्सों में दुकानें, सब्जी मंडियां और मॉल फिर से खुल गए हैं. सार्वजनिक परिवहन भी पटरी पर लौट रहा है और सड़कों पर रौनक दिखने लगी है. लंबे समय से असुरक्षा और तनाव झेल रहे लोगों ने अब राहत की सांस ली है.
न्यायपालिका पर भी पड़ा असर
हिंसक प्रदर्शनों ने सिर्फ राजनीतिक ढांचे को नहीं, बल्कि न्यायपालिका को भी प्रभावित किया है. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी दी है कि आगजनी और तोड़फोड़ में कई महत्वपूर्ण न्यायिक रिकॉर्ड नष्ट हो गए हैं. मुख्य न्यायाधीश प्रकाशमान सिंह राउत ने बयान जारी कर कहा कि अदालत जल्द ही अपना कामकाज सामान्य करेगी और नागरिकों की न्याय की उम्मीदों पर खरी उतरेगी.