पाकिस्तान दे रहा था मानवाधिकार का लेक्चर, UN में भारत के दूत मोहम्मद हुसैन ने खोल दी बेशर्म आतंकिस्तान की पोल
पाकिस्तान अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकारों की बात करता है और दूसरों को ज्ञान देने की कोशिश करता है. लेकिन हकीकत यह है कि उसके अपने घर में अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्म दुनिया के सामने उजागर हो चुके हैं. जिनेवा में हुई संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की बैठक में भारत ने पाकिस्तान को सख्त लहजे में आड़े हाथों लिया और उसकी दोहरी चाल पर करारा प्रहार किया.;
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में पाकिस्तान बार-बार दूसरों को मानवाधिकार का पाठ पढ़ाने की कोशिश करता रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि उसके अपने देश में अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं और वहां मानवाधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है.
इसी ढोंग को बेनकाब करते हुए भारत के राजदूत मोहम्मद हुसैन ने जिनेवा में पाकिस्तान की पोल खोल दी और साफ कर दिया कि वह दूसरों को सलाह देने का कोई नैतिक हक नहीं रखता है.
मोहम्मद हुसैन ने दिया करारा जवाब
भारतीय राजदूत मोहम्मद हुसैन ने 60वें सत्र की 34वीं बैठक में पाकिस्तान की ढोंग भरी सोच को जमकर उजागर किया. उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि पाकिस्तान जैसे देश को मानवाधिकारों पर दूसरों को भाषण देने की हिम्मत होती है, जबकि खुद उसके यहां अल्पसंख्यकों का लगातार दमन किया जाता है. उन्होंने दो टूक कहा कि पाकिस्तान को प्रचार करने की बजाय अपने देश की हालत सुधारनी चाहिए और वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
बलूचिस्तान से लेकर पश्तून तक, हर जगह दमन
बैठक में कई अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी पाकिस्तान की करतूतों का खुलासा किया. भू-राजनीतिक शोधकर्ता जॉश बोव्स ने बलूचिस्तान में हो रहे दमन की ओर ध्यान खींचा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नाजुक और हाशिये पर खड़े समुदायों को दबाता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को नैतिकता का ठेकेदार बताता है. बलूच नेशनल मूवमेंट की मानवाधिकार इकाई पांक के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में ही 785 जबरन गुमशुदगियां और 121 हत्याएं दर्ज की गई हैं. वहीं पश्तून राष्ट्रीय जिरगा ने बताया कि अब तक करीब 4,000 पश्तून लापता हैं और उनके परिवार न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
धार्मिक स्वतंत्रता पर भी काली छाया
यूएससीआईआरएफ (USCIRF) की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2025 ने पाकिस्तान के असली चेहरे को सामने रखा. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत 700 से अधिक लोग जेलों में बंद हैं. यह संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग 300% ज्यादा है. अहमदी, हिंदू और सिख समुदायों के खिलाफ हिंसा और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में संकट
यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने भी परिषद को चेताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में दमनकारी नीतियां चरम पर हैं. यहां अहिंसक आंदोलन करने वालों को दबाने के लिए पाकिस्तान ने रेंजर्स तैनात कर दिए हैं. फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं ताकि लोगों की आवाज दुनिया तक न पहुंच सके. खान ने कहा कि हालात इतने खराब हो गए हैं कि क्षेत्र में मानवीय संकट गहराता जा रहा है.
ढोंग पर पड़ा पर्दा
भारत ने इस मंच पर साफ कर दिया कि पाकिस्तान का असली चेहरा अब छिपा नहीं रह सकता. जिस देश में अल्पसंख्यकों पर हमले, पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और जबरन गुमशुदगियां आम हो गई हों, वह देश दूसरों को मानवाधिकारों पर भाषण देने का नैतिक अधिकार खो चुका है.
संयुक्त राष्ट्र ने भी पहले ही पाकिस्तान को आगाह किया था कि अहमदी समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर रोक लगाई जाए. लेकिन पाकिस्तान की सरकार आंख मूंदे बैठी है. भारत की यह सख्त फटकार न केवल पाकिस्तान की पोल खोलती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी याद दिलाती है कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान को उसके कर्मों का जवाब देना ही होगा.