असीम मुनीर बन गए सेल्समैन तो Shehbaz मैनेजर की तरह देख रहे तमाशा, ट्रंप को गिफ्ट देने पर भड़के पाक सांसद
पाकिस्तान के सीनेटर ऐमल वली खान ने संसद में सेना प्रमुख मुनीर पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वे "एक सेल्समैन" की तरह पेश आए, जबकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ "मैनेजर की तरह तमाशा देखते रहे". उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किस अधिकार से सेना प्रमुख विदेशी नेताओं के साथ समझौते कर रहे हैं

पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. वॉशिंगटन के अपने हाई-प्रोफाइल दौरे के दौरान उनकी एक तस्वीर ने पाकिस्तान की सियासत में तूफान ला दिया है. यह दौरा पिछले छह महीनों में उनका तीसरा अमेरिकी दौरा था.
दरअसल, व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस से सामने आई तस्वीर में आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान के रेयर अर्थ मिनरल्स का बॉक्स भेंट करते देखा गया. यह कदम पाकिस्तान की खनिज संपदा को प्रदर्शित करने के इरादे से उठाया गया था, लेकिन नतीजा इसके उलट निकला और यह पाकिस्तान की संसद तक में राजनीतिक विवाद का कारण बन गया.
संसद में गूंजा विवाद: 'सेल्समैन बन गए सेना प्रमुख'
पाकिस्तान के सीनेटर ऐमल वली खान ने संसद में सेना प्रमुख मुनीर पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वे "एक सेल्समैन" की तरह पेश आए, जबकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ "मैनेजर की तरह तमाशा देखते रहे". उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किस अधिकार से सेना प्रमुख विदेशी नेताओं के साथ समझौते कर रहे हैं. ऐमल खान ने इसे "संविधान का मजाक" और "संसद की अवमानना" करार देते हुए कहा कि यह तानाशाही है, लोकतंत्र नहीं."
ट्रंप से सौदे और संसद की नाराज़गी
इस विवाद के बीच अमेरिका और पाकिस्तान ने कई समझौते किए हैं, जिनमें मिनरल एक्सपोर्ट और अमेरिकी व यूरोपीय कंपनियों के साथ रिफाइनरी प्रोजेक्ट शामिल हैं. सरकार इन सौदों को आर्थिक पुनरुत्थान का रास्ता बता रही है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सेना प्रमुख द्वारा ऐसे समझौतों का नेतृत्व करना नागरिक सरकार की कमजोरी और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को धक्का पहुंचा रहा है.
विदेश नीति में बढ़ती सैन्य दखलअंदाज़ी
यह पहली बार नहीं है जब आसिम मुनीर की विदेशी दौरे पर कूटनीतिक सक्रियता पर सवाल उठे हैं. लगातार अमेरिका यात्राओं ने इस आशंका को गहरा दिया है कि पाकिस्तान में सेना की विदेश नीति पर पकड़ और मजबूत होती जा रही है, जिससे नागरिक नेतृत्व हाशिए पर चला रहा है.
विश्लेषकों की राय: ‘उल्टे खड़े हो गए संस्थान’
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पूरा विवाद पाकिस्तान में सेना के वर्चस्व को लेकर जनता की गहरी नाराज़गी को दिखाता है. एक टिप्पणीकार ने कहा कि ट्रंप के सामने खनिज बेचते सेना प्रमुख की तस्वीर इस बात का प्रतीक है कि पाकिस्तान के संस्थान कैसे उलट-पुलट हो गए हैं. लोकतंत्र को मजबूत करने के बजाय यह देश को हताश और सैन्यीकृत दिखाता है."