‘सूट में ओसामा बिन लादेन’: पूर्व पेंटागन अधिकारी का पाकिस्तानी सेना प्रमुख पर हमला, कहा - आधे घंटे के अंदर मुनीर को...

पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के कथित परमाणु धमकी भरे बयान को 'पूरी तरह अस्वीकार्य' बताते हुए उनकी तुलना त्रसूट में ओसामा बिन लादेन' से की. उन्होंने अमेरिका से मुनीर पर प्रवेश प्रतिबंध, पाकिस्तान का ‘मेजर नॉन-नाटो एलाय’ दर्जा खत्म करने और ‘स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म’ घोषित करने की मांग की.;

Edited By :  प्रवीण सिंह
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अमेरिका की धरती पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर (Gen Asim Munir) द्वारा कथित तौर पर दिए गए परमाणु युद्ध से जुड़े धमकी भरे बयान ने कूटनीतिक हलकों में तूफान खड़ा कर दिया है. पूर्व पेंटागन विश्लेषक माइकल रुबिन (Michael Rubin) ने इसे 'पूरी तरह अस्वीकार्य' बताते हुए मुनीर की तुलना आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन से कर डाली, बस फर्क इतना कि, उनके मुताबिक, 'मुनीर सूट पहनते हैं.' मामला तब गरमाया जब मीडिया रिपोर्ट्स में दावा हुआ कि अमेरिका के टाम्पा (फ्लोरिडा) में अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान असीम मुनीर ने चेतावनी दी कि 'अगर पाकिस्तान डूबा, तो वह दुनिया का आधा हिस्सा भी डुबो देगा.'

रुबिन ने इस बयान को न सिर्फ पाकिस्तान की 'रोग स्टेट' वाली छवि का सबूत बताया, बल्कि अमेरिका से कड़ी कार्रवाई की मांग भी की. उन्होंने कहा कि ऐसे बयानों से पाकिस्तान की स्थिरता, परमाणु हथियारों की सुरक्षा और वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं. रुबिन के मुताबिक, अमेरिका को पाकिस्तान का ‘मेजर नॉन-नाटो एलाय’ का दर्जा छीनना चाहिए, उसे ‘स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म’ घोषित करना चाहिए और असीम मुनीर को अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.

बयान से उपजा विवाद

मामला तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बारे में यह दावा सामने आया कि उन्होंने अमेरिका के टाम्पा में एक बैठक के दौरान बेहद आक्रामक और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया. बताया गया कि उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान का अस्तित्व खतरे में पड़ा, तो वह आधी दुनिया को साथ लेकर जाएगा. कूटनीतिक शिष्टाचार के लिहाज से यह कथन बेहद असामान्य और उत्तेजक माना गया.

माइकल रुबिन की कड़ी प्रतिक्रिया

माइकल रुबिन, जो पेंटागन के पूर्व अधिकारी और रक्षा विश्लेषक हैं, ने कहा, “असीम मुनीर का बयान हमें इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों की भाषा की याद दिलाता है. पाकिस्तान यह साबित कर रहा है कि वह एक जिम्मेदार राष्ट्र की तरह व्यवहार करने में सक्षम नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना और ISI से जुड़े कुछ गुट पहले से ही चरमपंथी संगठनों से करीबी रखते हैं, और इस तरह की परमाणु धमकी उन गुटों को 'रोग' होकर परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.

तुरंत कार्रवाई की मांग

रुबिन ने अमेरिका से कहा कि असीम मुनीर के खिलाफ तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए थे. उनके शब्दों में, “जैसे ही उन्होंने यह बयान दिया, 30 मिनट के भीतर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर टाम्पा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पाकिस्तान भेज देना चाहिए था.” रुबिन का मानना है कि अमेरिका को पाकिस्तान का Major Non-NATO Ally दर्जा खत्म करना चाहिए, उसे State Sponsor of Terrorism घोषित करना चाहिए और मुनीर को अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लगानी चाहिए.

ट्रंप की नीति पर सवाल

पूर्व पेंटागन अधिकारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रवैये पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने इशारा किया कि ट्रंप का दृष्टिकोण पूर्ववर्ती जॉर्ज डब्ल्यू. बुश से लेकर अब तक चले आ रहे भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग से अलग है. रुबिन ने कहा कि पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई न करना अमेरिकी विदेश नीति में खतरनाक संदेश भेज रहा है.

पाकिस्तान के विघटन की बात

रुबिन ने सबसे विवादास्पद सुझाव देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के 'Managed Decline' यानी नियंत्रित पतन पर विचार करना चाहिए, जिसमें बलूचिस्तान जैसे अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता दी जा सकती है. उन्होंने यहां तक कहा कि भविष्य में अमेरिकी नेवी सील्स जैसी स्पेशल फोर्स पाकिस्तान के परमाणु हथियार जब्त करने के लिए ऑपरेशन चला सकती हैं, क्योंकि इसका विकल्प 'बहुत खतरनाक' होगा.

परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर चिंता

अमेरिका और अन्य देशों में लंबे समय से चिंता रही है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार कहीं आतंकी संगठनों के हाथ न लग जाएं. असीम मुनीर का यह कथित बयान उन चिंताओं को और गहरा करता है. रुबिन के मुताबिक, अमेरिका अक्सर आतंकवाद को 'शिकायत आधारित' दृष्टिकोण से देखता है, लेकिन पाकिस्तान में यह एक गहरी विचारधारा से जुड़ा हुआ है, जिसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक है.

अमेरिका की दोहरी नीति पर तंज

रुबिन ने अमेरिका पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को रूसी तेल आयात के लिए आलोचना करता है, जबकि खुद रूस से सामरिक सामग्री खरीदता है. उनके अनुसार, मौजूदा व्यापार और ऊर्जा विवाद 'एक स्ट्रेस टेस्ट' है, जो बीतने के बाद भारत-अमेरिका संबंध और मजबूत होंगे.

वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा

रुबिन के बयान का सार यही है कि पाकिस्तान की मौजूदा राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की बयानबाजी सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरा है. उनका मानना है कि वॉशिंगटन अब इस खतरे को कम करके नहीं आंक सकता.

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