अब नोबेल पुरस्कार पक्का! रूस-यूक्रेन में शांति के लिए ट्रंप कर रहे मेहनत, एक ही टेबल पर होंगे पुतिन-जेलेंस्की?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए अलास्का में ऐतिहासिक बैठक कराने की तैयारी में हैं. पुतिन से 15 अगस्त को मुलाकात तय, जेलेंस्की की मौजूदगी पर सस्पेंस बरकरार. ट्रंप ने पहले ही पुतिन पर 100% टैरिफ का दबाव बनाया, अब देखना है कूटनीति जीतती है या युद्ध का धुआं जारी रहता है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए एक साहसिक कदम उठाने का संकेत दिया है. व्हाइट हाउस ने रविवार को घोषणा की कि ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मिलने के लिए तैयार हैं. यह मुलाकात अमेरिकी राज्य अलास्का में आयोजित की जा सकती है, जो एशिया और यूरोप के बीच एक रणनीतिक लोकेशन मानी जाती है.

अलास्का, अमेरिका और रूस के भूगोलिक निकटता के कारण एक प्रतीकात्मक जगह है. ऐतिहासिक रूप से, यह क्षेत्र 1867 में रूस से खरीदा गया था, इसलिए इसे शांति वार्ता के लिए चुनना एक कूटनीतिक संदेश भी है. इस स्थान का चयन यह दर्शाता है कि अमेरिका सीधे और तटस्थ तरीके से वार्ता कराने का इच्छुक है.

पुतिन के साथ पहले चरण की बैठक

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल व्हाइट हाउस पुतिन के साथ एक द्विपक्षीय बैठक की तैयारी कर रहा है. यह बैठक शांति प्रक्रिया के पहले चरण के रूप में देखी जा रही है. उम्मीद है कि इस मुलाकात में संघर्ष विराम और बुनियादी शर्तों पर चर्चा होगी, जिसके बाद यूक्रेन को शामिल किया जाएगा.

15 अगस्त को होगी मुलाकात

ट्रंप ने एक दिन पहले घोषणा की थी कि वे 15 अगस्त को पुतिन से अलास्का में मिलेंगे. यह तारीख अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक महीने बाद और भारत के स्वतंत्रता दिवस के दिन पड़ती है, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतीकात्मक महत्व रखती है. एनबीसी न्यूज के मुताबिक, इस बैठक में जेलेंस्की को शामिल करने की संभावना पर भी विचार चल रहा है, लेकिन अब तक उनकी भागीदारी की पुष्टि नहीं हुई है.

जेलेंस्की का तीखा वार

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने पुतिन पर आरोप लगाया कि वे कब्जे को वैध बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रूस ने ही युद्ध की शुरुआत की थी और इसे खत्म करने की जिम्मेदारी भी उसी की है. जेलेंस्की ने यह भी कहा कि पुतिन का एकमात्र हथियार हिंसा है और अब वे ‘हत्या रोकने’ की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वसूलना चाहते हैं.

ट्रंप का सख्त आर्थिक दबाव

ट्रंप लंबे समय से पुतिन पर दबाव बनाने के लिए आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जुलाई में उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर रूस 50 दिनों में शांति समझौते पर सहमत नहीं होता तो अमेरिका 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाएगा. यह धमकी केवल रूस के लिए नहीं थी, बल्कि उन देशों के लिए भी थी जो रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं.

वैश्विक व्यापार पर असर

ट्रंप ने रूस के व्यापारिक साझेदारों को भी चेतावनी दी थी कि वे ‘सेकेंडरी सैंक्शन’ झेलने के लिए तैयार रहें. कुछ हफ्तों बाद, उन्होंने भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया, यह कहते हुए कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीद रहा है. इस कदम से साफ है कि अमेरिका का दबाव युद्धक्षेत्र से बाहर वैश्विक बाजारों तक फैल सकता है.

अब आगे क्या होगा?

विश्लेषकों का मानना है कि अगर अलास्का बैठक सफल होती है, तो यह युद्ध खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा. लेकिन यह भी सच है कि पुतिन और जेलेंस्की के बीच अविश्वास की खाई गहरी है. आने वाले हफ्तों में यह स्पष्ट होगा कि ट्रंप की मध्यस्थता वास्तविक शांति लाती है या यह सिर्फ एक और कूटनीतिक ड्रामा साबित होती है.

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