'मतदाताओं को सूची से बाहर करने' के दावे पर चुनाव आयोग ने SC को क्या-क्या बताया? 10 Pointers
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR विवाद गर्म है. विपक्ष ने मतदाता सूची से नाम काटने का आरोप लगाया, लेकिन चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कहा कि अलग सूची जारी करने की बाध्यता नहीं. आयोग ने दावा किया कि बिना नोटिस किसी का नाम नहीं हटेगा और पात्र मतदाताओं को शामिल करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR (Special Intensive Revision) का मुद्दा और गर्माता जा रहा है. विपक्ष ने सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें मतदाता सूची से जबरदस्ती नाम काटने का आरोप भी शामिल है. इस विवाद के बीच अब चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए साफ किया है कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की अलग सूची प्रकाशित करने की कोई बाध्यता उस पर नहीं है.
चुनाव आयोग का कहना है कि नियमों के मुताबिक मसौदा मतदाता सूची में न शामिल किए गए लोगों के नाम या कारण सार्वजनिक करने का प्रावधान नहीं है. आयोग ने हलफनामा देकर भरोसा दिलाया है कि बिना नोटिस, सुनवाई और तर्कपूर्ण आदेश के किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा और सभी योग्य मतदाताओं को अंतिम सूची में शामिल करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
चुनाव आयोग की 10 बड़ी बीतें
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा: चुनाव आयोग ने SC को बताया कि SIR प्रक्रिया में अलग से ‘नाम हटाए गए मतदाताओं’ की सूची प्रकाशित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.
कारण बताने की बाध्यता नहीं: मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों के कारण बताने का भी नियमों में कोई प्रावधान नहीं है.
राजनीतिक दलों को लिस्ट: मसौदा मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों को साझा की गई है, ताकि छूटे हुए नाम समय रहते जोड़े जा सकें.
नाम जोड़ने का विकल्प: जिनका नाम शामिल नहीं हुआ है, वे घोषणा पत्र (Form) देकर सूची में शामिल होने का अनुरोध कर सकते हैं.
65 लाख नाम हटाने का आरोप: ADR का दावा है कि 65 लाख मतदाताओं को गलत तरीके से सूची से बाहर किया गया, जिसे आयोग ने खारिज किया.
बड़े पैमाने पर वेरिफिकेशन: 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने अपने नाम की पुष्टि या फॉर्म जमा किया.
मैदान पर बड़ी टीम: सत्यापन में 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 BLO, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट लगे रहे.
प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष इंतज़ाम: 246 अखबारों में विज्ञापन, ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण, विशेष कैंप और युवाओं के लिए अग्रिम आवेदन व्यवस्था की गई.
कोई औपचारिक आपत्ति नहीं: 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने औपचारिक आपत्ति दाखिल नहीं की.
अगली सुनवाई तय: सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी, जहां आयोग का हलफनामा अहम भूमिका निभाएगा.