नेपाल में खूनी होली, स्कूली बच्चों पर चली गोली, महिलाओं के साथ घर में रेप, Protest के बीच इंफ्लुएंसर ने क्या- क्या किया दावा

नेपाल इस वक्त हिंसा और आक्रोश की आग में झुलस रहा है. सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुए प्रदर्शन अब खूनी विद्रोह में बदल चुके हैं. इस प्रोटेस्ट को लेकर अब नेपाली इंफ्लुएंसर ने दावे किए कि सड़कों पर स्कूली बच्चों के खून से लाल दाग दिख रहे हैं, जबकि कई महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उनके घरों में घुसकर बलात्कार किया गया.;

( Image Source:  x-@zoo_bear )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 9 Sept 2025 6:51 PM IST

नेपाल में लोकतंत्र की जड़ें हिल चुकी हैं. सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी युवा पीढ़ी की आवाज़ ने पूरे देश को हिला दिया. प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया, लेकिन तब तक हालात नियंत्रण से बाहर हो चुके थे. सड़कों पर खून बिखरा था.

इन उग्र प्रदर्शनों के बीच जब पूरा देश धधकते लावे की तरह फट रहा है, तभी कुछ इंफ्लुएंसर ने दावे किए हैं कि इस दौरान स्कूल यूनिफॉर्म में मासूम बच्चे मौत के शिकार बने. इतना ही नहीं, महिलाओं के साथ भी दरिंदगी हुई और अस्पतालों में घायलों पर भी गोलियां चलाई गईं. 

सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ तूफान

नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाकर यह मान लिया था कि लोगों की आवाज़ को दबाया जा सकता है. लेकिन यह फैसला जेनरेशन Z के गले नहीं उतरा. स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने इसे सीधा हमला माना और सड़क पर उतर आए. शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की शुरुआत हुई, जिनमें हजारों युवा शामिल थे. शुरुआत में यह विरोध सिर्फ "सोशल मीडिया खोलो" के नारों तक सीमित था, लेकिन जल्द ही यह गुस्सा भ्रष्टाचार और सत्ता के दमन के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गया.

प्रदर्शनकारियों पर चलाई गई गोलियां

सरकार ने जिस आंदोलन को दबाने की कोशिश की, वही आंदोलन अब उसके लिए बवंडर बन गया. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस, लाठीचार्ज और फिर सीधी गोलियां चलाई गईं. मिस नेपाल अर्थ 2022 सरीशा श्रेष्ठा ने अपने वीडियो में कहा कि 'स्टूडेंट्स ड्रेस में यहां तक कि नाबालिगों को भी गोली मारी गई'. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि घायल छात्रों का इलाज कर रहे अस्पतालों में पुलिस घुसकर मरीजों को पीटने और गोली चलाने लगी.

महिलाओं के साथ हुआ बलात्कार

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रुथ खड़का ने और भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि 'पुलिस ने जानबूझकर छात्रों को निशाना बनाया. कई महिलाओं के साथ उनके घर में ही बलात्कार किया गया, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई. पुलिस को नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन यहां तो उन्हीं पर बंदूकें तान दी गईं.'

यूनिफॉर्म में लाश सड़क पर

नेपाली टिकटॉकर दृष्टि अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी निहत्थे थे, लेकिन जवाब में उन्हें पहले आंसू गैस, फिर रबर बुलेट और आखिर में असली गोलियों का सामना करना पड़ा. मारे गए लोगों में एक बच्चा भी शामिल था, जिसकी यूनिफॉर्म में लाश सड़क पर पड़ी रही. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून साफ कहता है कि बच्चों की मौजूदगी में घातक हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. लेकिन नेपाल में यह नियम कागज पर ही रह गया. 

अस्पताल में गोलियों की गूंज

सबसे हैरान करने वाला वीडियो तब सामने आया जब एक महिला डॉक्टर ने दावा किया कि पुलिस अस्पतालों के भीतर घुसकर मरीजों पर गोलियां चला रही थी. डॉक्टर ने कहा कि हॉस्पिटल शांति की जगह होती है. वहां घायल लोग इलाज के लिए आते हैं, लेकिन वहां भी गोलियां चलाना...यह कैसे हो सकता है?

आग के हवाले नेताओं के घर

हिंसा और मौत की खबरों ने पूरे नेपाल को झकझोर दिया. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में बड़े नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया. नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, गृहमंत्री रमेश लेखक और सीपीएन (माओवादी) प्रमुख पुष्प कमल दाहल तक, किसी का घर इस आग से बच नहीं पाया. यहां तक कि विदेश मंत्री अरजू देउबा राणा के स्वामित्व वाले निजी स्कूल को भी प्रदर्शनकारियों ने जला डाला. सरकार ने कर्फ्यू लगाया, लेकिन तब तक आंदोलन पूरे देश की नसों में समा चुका था.

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