ट्रंप ने कैसे एक ही झटके में ईरान का कर दिया काम तमाम? हवाई हमले की ख़ौफ़नाक कहानी

21 जून की सुबह ईरान के तीन बड़े न्यूक्लियर ठिकाने अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स के हमले में तबाह हो गए. ट्रंप के आदेश पर हुए इस ऑपरेशन में फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया गया. ट्रंप ने इसे 'अभूतपूर्व स्ट्राइक' बताते हुए कहा, "अब शांति का समय है." ईरान सकते में है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दे चुका है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 22 Jun 2025 1:31 PM IST

21 जून 2025 की रात ईरान में आम रातों जैसी थी. लोग सो रहे थे, सड़कों पर सन्नाटा पसरा था और सरकारी रडार सामान्य गति से काम कर रहे थे. मगर तभी आसमान में कुछ ऐसा उड़ा जो दिखाई नहीं दिया और सुनाई भी नहीं दिया. यह अमेरिका के B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स थे जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीधे आदेश पर ईरान के सबसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों को नष्ट करने निकले थे. अगले ही कुछ सेकंड में फोर्डो, नतांज और इस्फहान की ज़मीन कांप उठी. बंकर-बस्टर बमों और टॉम हॉक मिसाइलों ने वो तहस-नहस किया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.

जैसे ही सूरज निकला, दुनिया को मालूम चला कि ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर प्लांट फोर्डो, नतांज और इस्फहान अमेरिकी हमले में पूरी तरह तबाह हो चुके हैं. इजरायल पहले ही इन स्थानों पर मिसाइलें दाग चुका था, मगर अमेरिका की ये स्ट्राइक निर्णायक साबित हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया के एक पोस्ट में इस कार्रवाई की जानकारी दी और लिखा, “अब शांति का समय है. कोई और सेना ऐसा कर ही नहीं सकती थी.”

जानिए ऑपरेशन की भयानक कहानी

अमेरिकी वायुसेना के B-2 स्टील्थ बमवर्षकों ने 6 बंकर-बस्टर बम गिराए जो 80 फीट गहराई तक जाकर विस्फोट कर सकते हैं. इसके साथ ही, अमेरिकी पनडुब्बियों से 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी गईं. हमला इतना अचानक और सटीक था कि ईरान के रडार तक सक्रिय नहीं हो सके. नतांज और इस्फहान में बड़े विस्फोट हुए, और फोर्डो में जमीन धंसती हुई नजर आई. रिपोर्ट्स के अनुसार तीनों साइट्स पर बिजली और संचार सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं.

जनता में दहशत, बाजार में भगदड़

हमले के बाद तेहरान समेत कई शहरों में अफरा-तफरी मच गई. पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लग गईं, बाजारों में सामान की जमाखोरी शुरू हो गई. इंटरनेट बंद हो गया और कई इलाकों में बिजली नहीं थी. साथ ही एटीएम में भी पैसों की किल्लत हो गई है. कई लोगों ने बंकरों में शरण ली, जबकि देश के दक्षिणी भागों में सेना को अलर्ट कर दिया गया है. नागरिकों को अगली सूचना तक घरों में ही रहने की हिदायत दी गई है.

ट्रंप को मिला नेतन्याहू का समर्थन

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका के इस हमले का स्वागत किया और ट्रंप को "स्वतंत्रता की रक्षा करने वाला महान नेता" बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका-इजरायल मिलकर इस मिशन को अंजाम देने में सफल हुए और ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को पीछे धकेल दिया है. नेतन्याहू ने कहा, “मैंने कहा था कि ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को खत्म करेंगे, और अब वो वादा पूरा हुआ है.”

दुनिया की बढ़ी चिंता, UN ने बुलाई आपात बैठक

अमेरिका के इस कदम से पूरी दुनिया में चिंता की लहर दौड़ गई है. संयुक्त राष्ट्र ने आपात बैठक बुलाई है. भारत, चीन, रूस और यूरोपीय देशों ने तत्काल शांति बनाए रखने की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे "खतरनाक उकसावा" बताया और चेताया कि यह जंग वैश्विक संकट को जन्म दे सकती है.

ईरान के लिए आगे क्या विकल्प हैं?

अब सवाल है कि ईरान क्या करेगा? क्या वह सीधे युद्ध में कूदेगा या प्रॉक्सी संगठनों जैसे हिज़बुल्लाह और हूती विद्रोहियों के जरिए जवाब देगा? कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को ब्लॉक कर सकता है जिससे दुनिया की तेल आपूर्ति बाधित होगी. लेकिन इसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. कूटनीति अब भी एक रास्ता है, लेकिन ईरान की आक्रोशित स्थिति में यह व्यावहारिक नहीं दिख रहा.

अंत नहीं, आगाज है ये?

अमेरिका और इजरायल का संयुक्त हमला जहां ईरान की न्यूक्लियर महत्वाकांक्षाओं को झटका देने वाला है, वहीं यह पूरी दुनिया के लिए चिंता की वजह भी है. जवाबी हमला हुआ तो पश्चिम एशिया युद्ध की आग में झुलस सकता है, जिसकी लपटें वैश्विक अर्थव्यवस्था और शांति को भी प्रभावित करेंगी. ट्रंप ने भले कहा हो कि "अब शांति का समय है", लेकिन तेहरान की खामोशी तूफान से पहले की शांति भी हो सकती है.

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