फ़ोर्डो से इस्फ़हान तक दहशत, ईरान के परमाणु किले हिले, जानें इन ठिकानों की पूरी डिटेल
ईरान-इजरायल युद्ध को अब तक सीमित माना जा रहा था. वह वैश्विक अशांति के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है. इस लड़ाई में अमेरिका की एंट्री हो चुकी है. जहां यूएस ने सीधे-सीधे ईरान के 3 परमाणु ढांचे को निशाना बनाकर बंकर बस्टर बमों से हमला किया.

हाल ही में अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमलों ने फिर से ईरान के परमाणु ढांचे की ओर दुनिया का ध्यान खींचा है. इस बार निशाना था वह नेटवर्क, जो ईरान की यूरेनियम डेवलपमेंट और परमाणु रिसर्च की रीढ़ बन चुका है. इनमें फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान शामिल है.
ये तीनो ठिकाने ईरान के लिए बेहद जरूरी है. एक सुरक्षा में बेजोड़ है, दूसरा तकनीकी रूप से अत्याधुनिक और तीसरा विज्ञान की नींव है. चलिए जानते हैं ईरान के 3 परमाणु ठिकानों की डिटेल, जहां अमेरिका ने किया हमला.
फोर्डो: पहाड़ों के नीचे छुपा ‘किला’
फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट पवित्र शहर क़ोम के पास पहाड़ों के नीचे छुपा हुआ है. इसे ईरान की सबसे मजबूत और सीक्रेट परमाणु साइट माना जाता है. इसका ज्यादातर हिस्सा जमीन के 80-90 मीटर नीचे है, जिससे इसे बमबारी से बचाना आसान हो जाता है. सीएनएन और इज़राइली खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इतनी गहराई और सुरक्षा के चलते सिर्फ अमेरिका के पास ही इसे गंभीर नुकसान पहुंचाने की ताकत है. B-2 बॉम्बर्स के जरिए अमेरिका इसे ध्वस्त कर सकता है. IAEA की ताजा रिपोर्ट बताती है कि ईरान ने यहां यूरेनियम डेवलेपमेंट 60% तक बढ़ा दिया है और करीब 2,700 सेंट्रीफ्यूज यहां काम कर रहे हैं. इससे दुनिया भर में चिंता और बढ़ गई है.
नतांज़: यूरेनियम का सबसे बड़ा अड्डा
तेहरान से करीब 250 किलोमीटर दूर नतांज़ ईरान का सबसे महत्वपूर्ण यूरेनियम एनरिचमेंट साइट है. यहां मुख्य रूप से सेंट्रीफ्यूज बनाए और इकट्ठा किए जाते हैं, जो यूरेनियम को समृद्ध करने के लिए जरूरी हैं. इस कॉम्प्लेक्स में कई ओवरग्राउंड और अंडरग्राउंड इमारतें हैं, जिनमें से दो अंडरग्राउंड हॉल में 50,000 तक सेंट्रीफ्यूज रखने की क्षमता है. IAEA के मुताबिक, यहां भी 60% तक यूरेनियम समृद्ध किया जा चुका है, जो हथियार-ग्रेड स्तर (90%) से थोड़ा कम है. नतांज़ की विशाल क्षमता इसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम का दिल बनाती है.
इस्फ़हान के बारे में
मध्य ईरान में स्थित इस्फ़हान परमाणु सुविधा को देश का सबसे बड़ा और सबसे एडवांस्ड रिसर्च सेंटर माना जाता है. 1984 में चीन की मदद से बनी इस जगह पर करीब 3,000 वैज्ञानिक काम करते हैं. यहां तीन चीनी-आपूर्ति वाले रिसर्च रिएक्टर, एक यूरेनियम कंवर्जन फैसिलिटी, फ्यूल प्रोडक्शन प्लांट, ज़िरकोनियम क्लैडिंग प्लांट और कई लैबोरेटरीज हैं. इसकी मल्टीफंक्शनल कैपेबिलिटीज इसे ईरान के परमाणु विकास का सबसे अहम हिस्सा बनाती हैं.
दुनिया की चिंता क्यों बढ़ी?
इन तीनों ठिकानों की ताकत और गुप्तता ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. अमेरिका के हमले के बाद इन साइट्स पर नजरें और पैनी हो गई हैं, क्योंकि यहां से निकलने वाला यूरेनियम सिर्फ बिजली नहीं, हथियार भी बना सकता है. यही वजह है कि नतांज़, फोर्डो और इस्फ़हान आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में हैं.