इधर कुआं उधर खाई... अमेरिका के हमले के बाद ईरान के पास अब क्या है Options?
अमेरिका द्वारा ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स पर हमले के बाद तेहरान चौतरफा दबाव में है. सैन्य पलटवार, प्रॉक्सी युद्ध, कूटनीति या आर्थिक हथियार, हर विकल्प जोखिम से भरा है. अंदरूनी असंतोष और अंतरराष्ट्रीय दबाव ने ईरान को मुश्किल मोड़ पर खड़ा कर दिया है. अब सवाल है- लड़े या झुके? दोनों में साख और नुकसान का खतरा बराबर है.

ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है. अमेरिका ने पहली बार इस संघर्ष में खुलकर हस्तक्षेप किया है. अमेरिकी वायुसेना के B-2 बमवर्षक विमानों ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बंकर बस्टर बमों से हमला किया. इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने की, जिसकी तस्वीरें सार्वजनिक भी की गई हैं.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर इस हमले को ‘अभूतपूर्व सैन्य सफलता’ बताया. उन्होंने कहा, “फोर्डो अब खत्म हो चुका है. हमारे वीर सैनिकों को सलाम.” दूसरी ओर, ईरान की ओर से इस हमले की निंदा करते हुए विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि अमेरिका के इस कदम के गंभीर परिणाम होंगे और ईरान आत्मरक्षा के अधिकार के तहत हर जवाबी विकल्प खुला रखता है. अब ये सवाल है कि आखिर अमेरिका के हमले के बाद ईरान के पास क्या क्या ऑप्शन है?
क्या सैन्य पलटवार करेगा ईरान?
ईरान के पास अब एक सीधा विकल्प है- इजराइल पर जवाबी हमला. लेकिन यह रास्ता बेहद जोखिम भरा है. अगर तेहरान ने सैन्य पलटवार किया, तो यह जंग एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकती है, जिसमें ईरान की सैन्य और नागरिक संरचनाओं को गहरा नुकसान हो सकता है. साथ ही, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की और भी आक्रामक प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं.
प्रॉक्सी के जरिये बदला लेना
ईरान के पास दूसरा विकल्प है अपने परोक्ष सहयोगियों हिज़्बुल्लाह, हूती विद्रोही और अन्य मिलिशिया समूहों के जरिए इजराइल को घेरना. इस तरह वह खुद सीधे शामिल हुए बिना इजराइल पर दबाव बना सकता है. हालांकि यह भी लंबे समय में ईरान को बदले की आग में झोंक सकता है, क्योंकि इजराइल की प्रतिक्रिया सीमित नहीं रहती.
कूटनीति या चेतावनी- लेकिन असर की संभावना कम
एक और विकल्प है कि ईरान अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र में जाकर अमेरिका की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ बताए और कूटनीतिक दबाव बनाए. लेकिन अमेरिका के वीटो पावर और वैश्विक ध्रुवीकरण की वजह से यह प्रयास बहुत सफल होंगे, इसकी संभावना कम है. फिर भी यह प्रयास एक नैतिक स्टैंड बना सकता है.
होर्मुज पर शिकंजा- एक आर्थिक जवाब
ईरान दुनिया के सबसे अहम तेल रास्ते होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी देकर एक आर्थिक हथियार चला सकता है. इससे वैश्विक तेल आपूर्ति पर असर पड़ेगा और बाजारों में हड़कंप मच सकता है. लेकिन इस कदम से ईरान खुद भी आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित होगा, क्योंकि वह पहले से ही प्रतिबंधों के बोझ तले है.
अगर युद्ध बढ़ा तो बर्बादी तय
अगर ईरान शांति की जगह जवाबी हमलों का रास्ता चुनता है, तो इस पूरे संघर्ष का दायरा और हिंसक हो जाएगा. इजराइल की ओर से फिर से ईरानी ठिकानों पर हमले हो सकते हैं. इससे ईरान की रक्षा व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता पर बड़ा असर पड़ेगा. जंग लंबी चली तो अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भी मजबूती से दो खेमों में बंट सकती हैं.
ईरान की अंदरूनी चुनौतियां- हर तरफ दबाव
ईरान इस समय न केवल बाहरी दुश्मनों से जूझ रहा है, बल्कि देश के अंदर भी असंतोष की आग सुलग रही है. महंगाई, बेरोजगारी और कट्टरपंथी-प्रगतिशीलों के बीच तनाव गहराता जा रहा है. ऊपर से अमेरिका के हमलों और नए प्रतिबंधों की आशंका ने ईरान को ‘कुएं और खाई’ जैसी स्थिति में ला खड़ा किया है. ऐसे में सवाल यह नहीं है कि ईरान क्या करेगा, बल्कि यह है कि क्या उसके पास कोई सुरक्षित विकल्प बचा भी है या नहीं.