चीन-रूस के खिलाफ ट्रंप का नया ब्रह्मास्त्र, 175 अरब डॉलर की मिसाइल ढाल, जानिए क्या है 'गोल्डन डोम'
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 175 अरब डॉलर के 'गोल्डन डोम' प्रोजेक्ट का ऐलान किया है, जो चीन और रूस जैसे खतरों से अमेरिकी मुख्यभूमि की रक्षा करेगा. यह इजरायल के आयरन डोम से कहीं ज्यादा उन्नत और प्रभावशाली होगा. इसमें सैटेलाइट, AI और इंटरसेप्टर तकनीक का इस्तेमाल कर हाइपरसोनिक मिसाइलों तक को हवा में नष्ट किया जाएगा.;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्त्वाकांक्षी और तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली गोल्डन डोम प्रोजेक्ट की घोषणा की. इस परियोजना की अनुमानित लागत 175 बिलियन डॉलर है और इसका लक्ष्य अमेरिका को चीन, रूस जैसे महाशक्तियों से उत्पन्न खतरों से सुरक्षित रखना है. यह नया सिस्टम इजरायल के आयरन डोम की तुलना में कई गुना अधिक शक्तिशाली और व्यापक माना जा रहा है, जो आने वाले खतरों के मुकाबले अमेरिका की सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.
व्हाइट हाउस में दिए गए अपने भाषण में ट्रंप ने बताया कि इस परियोजना के लिए अंतिम डिजाइन चुन लिया गया है और अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल ग्यूटलिन को इसका प्रमुख नियुक्त किया गया है. ट्रंप ने इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने भी इसे बनाने की इच्छा जताई थी, लेकिन उस वक्त तकनीक पूरी तरह विकसित नहीं थी. अब यह तकनीक उपलब्ध है और इसे उच्चतम स्तर पर लागू किया जाएगा, जिससे अमेरिका की सीमाओं की सुरक्षा अटूट होगी.
गोल्डन डोम क्या है?
गोल्डन डोम प्रोजेक्ट का प्रमुख आकर्षण इसकी अत्याधुनिक तकनीक है, जो सैकड़ों उपग्रहों और निगरानी तंत्रों के माध्यम से मिसाइलों का पता लगाने, उनका ट्रैक रखने और हवाई क्षेत्र में ही उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगा. यह प्रणाली विशेष रूप से हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स, क्रूज मिसाइलों और AI-संचालित ड्रोन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए डिजाइन की गई है. ट्रंप ने कहा कि इसका लक्ष्य 100 प्रतिशत सफलता दर के साथ मिसाइलों को लॉन्च होते ही हवा में मार गिराना है, जो सुरक्षा के मानकों को पूरी तरह बदल देगा. गोल्डन डोम का आधार इजरायल के सफल आयरन डोम प्रणाली पर रखा गया है, लेकिन यह उससे कई गुना अधिक व्यापक और शक्तिशाली होगा.
गोल्डन डोम क्यों है गेम चेंजर?
गोल्डन डोम को एक गेम चेंजर माना जा रहा है क्योंकि यह न केवल पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से रक्षा करेगा, बल्कि हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स, क्रूज मिसाइलों और AI से लैस ड्रोन जैसे आधुनिक और तेजी से विकसित हो रहे खतरों से भी निपटने में सक्षम होगा. पुरानी मिसाइल रक्षा प्रणालियां इन नई तकनीकों के लिए पर्याप्त प्रभावी नहीं थीं. इस नई प्रणाली से अमेरिका को अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के साथ-साथ रणनीतिक और तकनीकी बढ़त भी मिलेगी, जिससे उसकी वैश्विक सैन्य ताकत में वृद्धि होगी.
कंपनियों के सेलेक्शन पर उठे सवाल
इस प्रोजेक्ट की एक बड़ी चुनौती इसके भारी वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन है, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी भी शामिल है. डेमोक्रेटिक नेताओं ने प्राइवेट कंपनियों के चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, लेकिन ट्रंप ने एलन मस्क की स्पेसएक्स, पालंतिर और एंडुरिल जैसी कंपनियों को प्रमुख दावेदार बताया. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अलास्का, फ्लोरिडा, जॉर्जिया और इंडियाना जैसे राज्यों को इस योजना से विशेष लाभ होगा, क्योंकि यहां पर इसके घटकों का उत्पादन होगा.
एक नए युग का संकेत
गोल्डन डोम प्रोजेक्ट का महत्व सिर्फ तकनीकी और वित्तीय पक्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक नए युग का संकेत है. पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों से हटकर यह प्रणाली नए प्रकार के और तेजी से विकसित हो रहे खतरों से निपटने के लिए तैयार की गई है. यह अमेरिका को केवल मिसाइल हमलों से बचाएगा ही नहीं, बल्कि भविष्य की जटिल तकनीकी लड़ाइयों में भी उसे बढ़त दिलाएगा.
2029 तक होगा कम्पलीट
अमेरिका की यह योजना वैश्विक रणनीतिक स्थिति को भी प्रभावित करेगी, क्योंकि यह स्पष्ट संदेश देती है कि अमेरिका अपनी सुरक्षा को किसी भी कीमत पर सुनिश्चित करने के लिए तैयार है. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को पूर्ण रूप से लागू करने में अभी कई साल लगेंगे, लेकिन ट्रंप ने इसे 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. यह मिसाइल रक्षा प्रणाली न केवल अमेरिका की सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समीकरणों को भी नया आयाम देगी.