बांग्‍लादेश में भी नोटबंदी! करेंसी नोट को तरसे लोग, यूनुस सरकार के इस फैसले से पाई-पाई को हुए मोहताज

नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार द्वारा शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर वाले नोटों को हटाने के फैसले ने बांग्लादेश को भारी नकदी संकट में धकेल दिया है. बिना वैकल्पिक करेंसी के बाजार ठप हैं, बैंक खाली हैं और लोग परेशान. यह कदम न केवल आर्थिक तबाही ला रहा है, बल्कि राजनीतिक द्वेष और कट्टरपंथी दबाव के आरोपों को भी हवा दे रहा है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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बांग्लादेश इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इसकी जड़ में है एक राजनीतिक फैसला. नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर वाले नोटों को प्रचलन से हटाने का निर्णय लिया. इस कदम ने पूरे देश में करेंसी संकट पैदा कर दिया है. बाजारों में नकदी की किल्लत है और सामान्य लेनदेन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं.

सरकार का यह फैसला बिना तैयारी के लिया गया था. अप्रैल की शुरुआत में अचानक घोषणा कर दी गई कि जिन नोटों और सिक्कों पर शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर है, वे अब वैध नहीं रहेंगे. समस्या यह थी कि घोषणा से पहले कोई वैकल्पिक करेंसी छापी ही नहीं गई थी. नतीजा ये हुआ कि बैंकों में नकदी खत्म हो गई और लोग पैसे निकालने के लिए तरसने लगे.

बैंकों में कैश की किल्लत

बांग्लादेश के बैंक अधिकारी खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक बैंकों में कैश का इतना अभाव है कि कई शाखाओं को ताले तक लगाने पड़ रहे हैं. बाजारों में व्यापार लगभग ठप हो चुका है. छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े कारोबारी तक सब परेशान हैं. आर्थिक गतिविधियों पर इस संकट का सीधा असर पड़ रहा है, जिससे देश की पहले से नाजुक अर्थव्यवस्था और डगमगा गई है.

2016 में भारत में हुई थी नोटबंदी

भारत में 2016 की नोटबंदी के दौरान भी नकदी संकट आया था, लेकिन सरकार ने पहले से बड़े पैमाने पर नई करेंसी छपवा ली थी. वहीं बांग्लादेश में ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया गया. बांग्लादेश बैंक का कहना है कि नए नोटों की छपाई मई से शुरू होगी, लेकिन कब तक पर्याप्त संख्या में नए नोट बाजार में पहुंचेंगे, इसका कोई ठोस जवाब नहीं है.

पहले कौन से नोट छपेंगे?

बताया जा रहा है कि पहले चरण में 20, 50 और 1000 टका के नए नोट छापे जाएंगे. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं. पूर्व बांग्लादेश बैंक एमडी जियाउद्दीन अहमद ने साफ कहा कि करेंसी बदलने जैसे बड़े फैसले को अचानक लागू करना बेहद गैरजिम्मेदाराना था. बिना वैकल्पिक व्यवस्था के देश को इस तरह नकदी संकट में धकेलना विनाशकारी साबित हो सकता है.

बंगबंधु के प्रतीक को हटाने की कोशिश

दरअसल, इस फैसले के पीछे राजनीतिक मकसद भी साफ दिख रहा है. मोहम्मद यूनुस की सरकार पर आरोप है कि वह कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में शेख मुजीब के प्रतीकों को खत्म करने की कोशिश कर रही है. नोटों से तस्वीर हटाना इसी साजिश का हिस्सा बताया जा रहा है. लेकिन इस राजनीतिक लड़ाई ने आम लोगों की जेब पर गहरी चोट कर दी है, जिससे बांग्लादेश अब आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर जूझ रहा है.

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