ब्रेस्ट दबाए और... ब्रिटेन में स्टाफ से यौन उत्पीड़न को लेकर भारतीय मूल का सर्जन गिरफ्तार, कोर्ट ने कहा- सेक्सुअल प्रिडेटर
ब्रिटेन में भारतीय मूल के नामी सर्जन का घिनौना चेहरा सामने आया है. ब्लैकपूल विक्टोरिया अस्पताल में हृदय सर्जरी विभाग के प्रमुख रह चुके 55 साल के अमल बोस को महिला स्टाफ का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. बोस ने सालों तक अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए जूनियर सहयोगियों का शिकार बनाया.;
ब्रिटेन की एक अदालत में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने मेडिकल जगत की साख पर गहरे सवाल खड़े कर दिए. 55 साल के भारतीय मूल के कार्डियोवैस्कुलर सर्जन अमल बोस अब छह साल की जेल की सजा काटेंगे.
कोर्ट ने उन्हें 'ए सेक्सुअल प्रीडेटर हाइडिंग इन प्लेन साइट' यानी सबके सामने छुपा हुआ यौन शिकारी करार दिया. बोस ने पांच साल तक अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए जूनियर महिला सहकर्मियों के साथ बार-बार यौन उत्पीड़न किया.
महिलाओं के साथ छेड़छाड़
अमल बोस ब्लैकपूल विक्टोरिया अस्पताल, लंकाशायर के डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियक सर्जरी के हेड थे. वह लोगों की नजर में एक अच्छे डॉक्टर थे. लेकिन इस छवि के पीछे उनका असली रूप छुपा था. साल 2017 से 2022 तक उन्होंने कई महिला सहयोगियों के साथ गलत हरकतें कीं. अपने ऊंचे पद और प्रभाव के दम पर वे पीड़ितों को चुप कराने में कामयाब होते रहे. आखिरकार कई नर्सों और जूनियर स्टाफ ने हिम्मत जुटाकर शिकायत की. इसके बाद NHS ट्रस्ट ने बोस को तुरंत सस्पेंड कर दिया और 2023 में पुलिस जांच शुरू हुई.
बोस को को-वर्कर्स ने बताया अश्लील
मैनचेस्टर इवनिंग न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रायल में बोस को 'अहंकारी और अश्लील' बताया गया. पांच महिलाओं ने कोर्ट में गवाही दी कि बोस अपनी सीनियोरिटी का इस्तेमाल करते हुए लगातार गलत हरकतें करते रहे. एक नर्स ने बताया कि जब वह सर्जरी के लिए डिवाइस तैयार कर रही थी तो बोस ने अचानक उसका सीना पकड़ लिया. दूसरी पीड़िता ने कहा कि बोस ने बहाना बनाते हुए उसके टॉप पॉकेट में रखे पेन के लिए हाथ डाला और जानबूझकर उसे छूते हुए फ्रेश मीट कह डाला. तीसरे स्टाफ ने बताया कि बोस ने उसका टॉप नीचे खींचते हुए मज़ाक किया, "यही तो मेरी चाय रखने की जगह है." ये बयान सुनकर अदालत को साफ हो गया कि यह कोई एक बार की भूल नहीं बल्कि एक सुनियोजित और लगातार चलने वाला उत्पीड़न था.
झूठा बचाव और गिरती साख
पुलिस ने जब बोस से पूछताछ की तो उन्होंने अपने गलत हरकतों को 'सिर्फ फ्लर्टिंग' कहकर टालने की कोशिश की. बाद में उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि वह 'सबके लिए सॉरी' हैं. लेकिन ज्यूरी को यह तर्क बिलकुल सही नहीं लगा. BBC की रिपोर्ट के अनुसार, बोस ने अपनी हरकतों को कमतर दिखाने की कोशिश की, मगर अदालत ने उनके रवैये को कोई सच्चा पछतावा नहीं माना. निलंबन के बाद, कभी मशहूर सर्जन रहे बोस ने गुजारे के लिए पार्सल डिलीवरी ड्राइवर की नौकरी करनी शुरू कर दी. यह उनकी पेशेवर जिंदगी का सबसे बड़ा पतन साबित हुआ.
40 गवाहियों के पीछे दबा सच
लंकाशायर पुलिस ने पुष्टि की कि सभी पीड़ित ब्लैकपूल अस्पताल की स्टाफ सदस्य थीं. 2023 में जब लगातार शिकायतें आईं तो अस्पताल प्रशासन ने औपचारिक रूप से पुलिस को अलर्ट किया. इसके बाद क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने लंबी जांच के बाद मामला अदालत में पेश किया. ट्रायल के दौरान ज्यूरी ने बोस को 14 में से 12 आरोपों में दोषी माना जबकि दो मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया. लेकिन गवाहियों और सबूतों ने यह साफ कर दिया कि बोस ने अपनी पोज़िशन का गलत इस्तेमाल किया और कई सहकर्मियों की जिंदगी पर गहरा असर डाला.
अदालत की कड़ी टिप्पणी
प्रेस्टन क्राउन कोर्ट में जज अन्सवर्थ ने बोस से कहा कि 'हकीकत यह है कि आप एक यौन शिकारी थे, जो सबके सामने छुपे हुए थे. आपने महिला स्टाफ को सिर्फ अपनी इच्छाओं की पूर्ति का साधन समझा.' उन्होंने यह भी माना कि बोस एक समय 'बेहद कुशल और समर्पित सर्जन' थे और कई मरीज उनकी विशेषज्ञता के कारण आज ज़िंदा हैं. लेकिन यह उनकी गंभीर आपराधिक गतिविधियों को हल्का करने का आधार नहीं हो सकता. जज ने साफ कहा कि बोस ने न तो सच्चा पछतावा दिखाया और न ही अपने कर्मों की पूरी जिम्मेदारी ली. आखिरकार उन्हें 12 आरोपों में दोषी करार दिया गया और छह साल कैद की सजा सुनाई गई.