बेरहम बाप ने 35 दिन की बेटी को उल्टा लटकाकर मार डाला, फिर पुलिस से बोला- 'पहले मोबाइल गेम डाउनलोड कराओ!'

इंग्लैंड में थॉमस होलफोर्ड नामक एक बेरहम पिता ने नशे की हालत में अपनी 35 दिन की बेटी एवरले स्ट्राउड को पटक-पटक कर मार डाला. बच्ची को गंभीर चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह 14 महीने कोमा में रही और अंततः मौत हो गई. अदालत ने उसे जानबूझकर हत्या का दोषी न मानते हुए उम्रकैद के बजाय 16 साल की जेल की सजा सुनाई. यह मामला पूरी दुनिया में इंसानियत को झकझोर देने वाला साबित हुआ.;

( Image Source:  Meta AI )

क्या कोई पिता 35 दिन की अपनी सगी बेटी की जान उल्टा लटका कर उसे पटक-पटक कर मारकर ले सकता है? हां, ले सकता है साहब, यही तो कलियुग है. यही युग तो इंसानी रिश्ते-नाते तार-तार करने के लिए श्रापित है. फिलहाल बेरहम बाप द्वारा अपनी ही मासूम बच्ची के कत्ल की इस घटना ने दुनिया को हिला कर रख दिया है. जो इस खबर को पढ़-सुन रहा है वही कलियुगी बाप को पानी पी-पी कर कोस रहा है. बदुद्दआएं दे रहा है. भले ही कोसने वालों का बेटी और पिता से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता भले ही न हो. फिलहाल मासूम बच्ची को ‘प्लास्टिक की गुड़िया’ की तरह उल्टा लटका कर उसे पटक-पटक कर मार डालने का मुजरिम बाप, अब जीवन के 16 साल जेल की सलाखों मे बिताएगा.

अपने ही बेरहम बाप की निर्दयता का शिकार होकर असमय ही अकाल मौत के मुंह में समाकर, इस क्रूर इंसानी दुनिया से रुखसत हो चुकी बदकिस्मत मासूम बच्ची का नाम है एवरले स्ट्राउड (Everleigh Stroud). बेटी के कत्ल के गुनहगार कलियुगी मुजरिम पिता का नाम है थॉमस होलफोर्ड (Thomas Holford 25). जो अब अपनी ही बेटी के कत्ल का मुजरिम बनकर 16 साल जेल की सजा काटेगा. 7 पुरुष और 5 महिला न्यायाधीशों की विशेष अदालत ने 20 घंटे की लगातार और लंबी सुनवाई के बाद, आरोपी को बेटी के कत्ल का दोषी तो माना लेकिन आरोपी को उम्रकैद की सजा का दोषी नहीं माना. क्योंकि मुजरिम बाप ने यह कृत्य नशे की हालत में अंजाम दिया है.

पुलिस ने मुजरिम पिता को उम्रकैद मांगी थी

जबकि जांच एजेंसी (इंग्लैंड पुलिस) आरोपी को आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा कराने के लिए पुरजोर कोशिशों में जुटी हुई थी. पुलिस का कहना था कि, “जब मरणासन्न हाल में 35 दिन की लड़की को अस्पताल में दाखिल कराया गया. उस वक्त भी आरोपी क्रूर पिता मोबाइल पर गेम खेल रहा था.” पुलिस ने जब उससे घटना के बारे में पूछा तो आरोपी पिता बोला, “मैंने कुछ नहीं किया है. पहले आप (पुलिस अधिकारी) मुझे मोबाइल पर ऑनलाइन कोई बढ़िया गेम डाउनलोड करवाओ जिसे मैं तन्मयता के साथ खेल सकूं.”

मुकदमे की सुनवाई करने वाली कोर्ट बोली

हालांकि कत्ल के इस मुकदमे की सुनवाई कर रही इंग्लैंड के कैंटरबरी क्राउन कोर्ट (Canterbury Crown Court Jury England) ने मामले की जांच करने वाली पुलिस टीम की कुछ दलीलों पर असहमति जताई. कोर्ट का कहना था कि आरोपी ने नशे की हालत में घटना को अंजाम दिया. उसे यहां तक नहीं मालूम था कि उसने बेटी को कब और कैसे मार डाला? इससे जाहिर है कि 35 दिन की लड़की का कत्ल उसके पिता ने जान-बूझकर षडयंत्र रचकर नहीं किया है. चूंकि वह नशे की हालत में था. घटना के समय वह मोबाइल फोन पर ऑनलाइन गेम खेल रहा था. जब 35 दिन की बेटी के लगातार रोते रहने से पिता को मोबाइल गेम खेलने में बाधा उत्पन्न हुई तो आवेश में आकर आरोपी ने 35 दिन की मासूम बच्ची को पहले तो 'रैगडॉल' (पुराने फटे-पुराने कपड़ों के चीथड़ों टुकड़ों से बनी गुड़िया) समझकर, उसके पैर पकड़ कर उसे उल्टा लटकाए रखा. फिर उसे गंभीर चोटें पहुंचाई.

जांच एजेंसी की अहम दलील, जो कोर्ट में नहीं चली

हालांकि वहीं कत्ल के इस दुस्साहिसक कांड की जांच कर रही पुलिस टीम के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर रॉस गुरडेन (Detective Inspector Ross Gurden) ने कोर्ट में दलील दी कि, “आरोपी ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद भी 35 दिन की अपनी बेटी को मरणासन्न हाल में अस्पताल नहीं पहुंचाया. उसे घर में ही तड़फ-तड़फ कर मरने के लिए छोड़ दिया. जबकि बच्ची के बदन में कई जगह फ्रैक्चर थे. उसके मलद्वार (गुदा) में गंभीर चोटे थीं. उसके मष्तिष्क बेतहाशा रक्तस्राव हुआ और सिर में गंभीर चोट भी मौजूद पाई गई. आरोपी पिता होलफोर्ड को जब पकड़ा गया तब भी वह पुलिस से यही कहता रहा कि पहले, उसे पुलिस अधिकारी मोबाइल में कोई बढ़िया गेम डाउनलोड करने को बताएं. इतना ही नहीं आरोपी बेफिक्री के आलम में अस्पताल में बेटी के बिस्तर के पास भी मोबाइल गेम खेलने में ही व्यस्त रहा.” इन सभी दलीलों को कोर्ट ने यह कहकर मानने से इनकार कर दिया कि, आरोपी ने दुस्साहसिक घटना को होश-ओ-हवास में चूंकि अंजाम नहीं दिया है. लिहाजा उसे उम्रकैद की सजा न देकर कोर्ट सिर्फ 16 साल जेल की सजा सुना रही है.

कोर्ट में पुलिस की दलील कमजोर पड़ी

दुनिया को हिला डालने वाले कत्ल के इस मुकदमे की सुनवाई कर रही इंग्लैंड की कैंटरबरी क्राउन कोर्ट में 12 न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा, “आरोपी ने 35 महीने की मासूम बच्ची को उस हद तक नुकसान पहुंचाया कि वह अंतत: अकाल और क्रूर मौत के गाल में ही समा गई. आरोपी ने पिता होलफोर्ड ने 13 मार्च 2021 को जन्मी अपनी 35 दिन की बेटी का कत्ल तो किया. उसे अधमरी हालत में अस्पताल में जब दाखिल कराया गया तब भी वह मरणासन्न हाल में ही थी. जिसका 14 महीने तक कोमा की ही हालत में इलाज चलता रहा. अंतत: 27 मई 2022 को करीब 14 महीने यानी 1 साल 2 महीने की आयु में उसकी दुखद मृत्यु हो गई. यह सब तथ्य साबित करने में पुलिस/ जांच एजेंसी सफल रही है.

कोर्ट की दलील...

मामले की सुनवाई कर रही कोर्ट के मुताबिक, “मुकदमे में मगर ऐसा कोई सबूत जांच एजेंसी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया जा सका जिससे साबित होता कि, लंदन स्थित मार्गेट अस्पताल (Marget Hospital London) में दाखिल रहने के करीब 13 महीने बाद बदकिस्मत एवरले की मौत के जिम्मेदार उसके 25 वर्षीय पिता थॉमस होलफोर्ड ने, 35 दिन की बेटी एवरले स्ट्राउड के कत्ल के इस जघन्य अपराध को जान-बूझकर षडयंत्र रचकर अंजाम दिया था. उसने इस घटना को नशे की हालत में अंजाम दिया. कोर्ट में यह साबित हुआ. इसीलिए आरोपी को आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा न देकर उसे सिर्फ 16 साल जेल की सजा मुकर्रर की जाती है.”

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस पक्ष की दलील

उधर इस मामले में हत्या के आरोपी पिता थॉमस होलफोर्ड को उम्रकैद न देकर कोर्ट द्वारा उसे महज 16 साल जेल की सजा पर क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस यानी सीपीएस के विल बोडियम (Crown Prosecution Service CPS Will Bodiam) कोर्ट को बताया कि, “आरोपी पिता थॉमस होलफोर्ड को उस काली दुर्भाग्यपूर्ण रात को अपनी बेटी की देखभाल के लिए उसके पास छोड़ा गया था. और उसी पिता ने बेटी की इतनी क्रूरता से जान ले ली. तब ऐसे में फिर आरोपी पिता 16 साल जेल की सजा का क्यों, और उम्रकैद की जेल की सजा का हकदार क्यों नहीं बनाया गया? वह निर्मम-निर्दयी पिता बेटी के इस कत्ल में तो उम्रकैद का ही हकदार था जो, अपनी बेटी को अस्पताल के आईसीयू वार्ड में दाखिल किए जाने के वक्त भी मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने में ही लगा रहा. जिस पिता ने 35 दिन की मासूम बेटी को रैगडॉल की तरह उसके दोनो पैर पकड़ कर हवा में उछाल कर पटक-पटक कर अधमरा कर डाला हो. और जो बेटी पिता से मिली इतनी यातनाओं को सहते हुए अंतत: करीब 12 महीने बाद अस्पताल में कोमा में ही मर भी चुकी हो. ऐसे मुजरिम पिता को आजीवन कारावास की ही सजा होनी चाहिए थी.”

इसलिए मुजरिम बाप उम्रकैद से बच गया

मिरर की खबर के मुताबिक, हालांकि वहीं दूसरी ओर इस सनसनीखेज मामले के मुकदमे के ट्रायल को दौरान चली सुनवाई में बचाव पक्ष (बेटी का हत्यारोपी पिता के वकील) इस बात को सिद्ध करने में कामयाब रहे कि, “आरोपी ने होश-ओ-हवास में षडयंत्र रचकर जान-बूझकर बेटी का कत्ल नहीं किया है. उसका इरादा बेटी को मार डालने का नहीं था. चूंकि आरोपी ड्रग सेवन करने के कारण नशे की हालत में था. बेटी ने जब उसे ऑनलाइन मोबाइल गेम खेलने में बाधा पुहंचाई. तो नशे की ही हालत में आरोपी ने बच्ची के साथ अचानक गुस्से के चलते बदले हालातों में क्रूरता अंजाम दे डाली. और बच्ची की मौत हो गई. लिहाजा चूंकि आरोपी ने वारदात को जान-बूझकर अंजाम नहीं दिया है. लिहाजा बचाव पक्ष की दलील सही मानते हुए, आरोपी को अदालत ने लाभ देकर उम्रकैद के बजाए 16 साल जेल की सजा मुकर्रर कर दी. हालांकि बचाव पक्ष की कोर्ट से अपील थी कि उसके मुवक्किल (अपनी ही 35 दिन की बेटी के कत्ल के मुजरिम पिता) को 16 साल के बजाए 10 साल जेल की ही सजा दी जाए. जिसे कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया.”

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