बेहद सख्त है UCC से जुड़ा नया प्रावधान? किसी तीसरे के पास नहीं होंगी पंजीकरण डिटेल्स

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दिया गया है. अब इससे जुड़ा एक नया प्रावधान सामने आया है जिसमें कहा गया है कि यूसीसी में पंजीकरण की जानकारी किसी तीसरे के पास नहीं जाएगी. यूसीसी की किसी भी सेवा के लिए दी जाने वाली इनफार्मेशन जैसे नाम,पता,मोबाइल,आधार संख्या,धर्म और जाती जैसी निजी जानकारियां किस भी लेवल पर सार्वजानिक नहीं होगी.;

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Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 13 Feb 2025 6:35 PM IST

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. लेकिन अब यूसीसी प्राइवेसी बनाएं रखने के लिए राज्य सरकार ने एक नया प्रावधान निकाला है. जिसमें रजिस्ट्रेशन करवाने वाले की जानकारी किसी तीसरे तक पहुंच पाएगी. रजिस्ट्रेशन संख्या ही केवल सार्वजानिक होगी और यह पोर्टल के डैशबोर्ड पर दिखाई देगी.

अपर सचिव गृह निवोदिता कुकरेती ने इस प्रावधान के बारें में बताया कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की प्राइवेसी को टॉप प्रॉयरिटी पर रखा जाएगा. यूसीसी की किसी भी सेवा के लिए दी जाने वाली इनफार्मेशन जैसे नाम,पता,मोबाइल,आधार संख्या,धर्म और जाती जैसी निजी जानकारियां किस भी लेवल पर सार्वजानिक नहीं होगी.

सिमित रहेगी जानकारी 

इसके अलावा, केवल वही व्यक्ति जिसने यूसीसी के तहत किसी सेवा के लिए आवेदन किया है, अपने आवेदन से संबंधित जानकारी स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त आवेदन के माध्यम से मांग सकता है. इसके अलावा किसी और की जानकारी तक पहुंच नहीं है. कुकरेती के मुताबिक, यूसीसी के तहत होने वाले रजिस्ट्रेशन की जानकारी थाना पुलिस तक ही सिमित रखने के लिए भेजी जाएगी. ऐसे में किसी को दिए गए रजिस्ट्रेशन डिटेल समबंधित थाना प्रभारी की पहुंच एसएसपी की निगरानी में हो सकेगी. साथ ही अगर किसी भी लेवल पर इनफार्मेशन का गलत इस्तेमाल होता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी.

 क्या है समान नागरिक संहिता कानून 

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भारत में एक कानूनी प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून लागू करना है. इसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के बीच वैवाहिक, पारिवारिक, और संपत्ति संबंधी मामलों में समानता लाना है. भारत में अभी विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं. जैसे कि हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म, ईसाई धर्म, और अन्य धर्मों के लिए उनके खुद के वैवाहिक और पारिवारिक कानून हैं. उदाहरण के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ, ईसाई विवाह अधिनियम आदि हैं. इन कानूनों के बीच अंतर के कारण विभिन्न समुदायों के बीच भेदभाव और असमानता हो सकती है.

विचार-विमर्श हुए

यूसीसी का प्रस्ताव एक ही समान कानून लाने की कोशिश करता है, जिससे सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक समान और न्यायपूर्ण कानूनी प्रणाली हो. यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित है, जो कहता है कि राज्य को नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून लागू करने का प्रयास करना चाहिए. यूसीसी को लेकर भारत में कई विचार-विमर्श हुए हैं, और इस पर विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों के बीच मतभेद भी हैं। कुछ लोग इसे समानता और न्याय की दिशा में एक कदम मानते हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के खिलाफ मानते हैं.

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