उत्तराखंड में क्यों इतने खतरनाक हो रहे भालू? रोंगटे खड़े कर देगी घायल महिला की तस्वीर; अब तक 31 लोगों की हुई मौत

उत्तराखंड के कई इलाकों में भालुओं का हमला लगातार बढ़ता जा रहा है. जलवायु परिवर्तन, कम बर्फबारी और बदलते पर्यावरणीय पैटर्न के कारण इन जंगली जानवरों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है. इसका सीधा असर पहाड़ी आबादी पर दिखाई दे रहा है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  विशाल पुंडीर
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उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ी इलाकों से एक और दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां जंगल गई एक महिला पर भालू ने हमला कर दिया. हमले में महिला का चेहरा बुरी तरह घायल हो गया, लेकिन वह किसी तरह मौत के मुंह से बाहर निकलने में सफल रही. स्थानीय लोग इसे चमत्कार से कम नहीं मान रहे.

बीते कुछ सालों में हिमालयी क्षेत्रों में भालुओं के हमले लगातार बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन, कम बर्फबारी और बदलते पर्यावरणीय पैटर्न के कारण इन जंगली जानवरों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है. इसका सीधा असर पहाड़ी आबादी पर दिखाई दे रहा है.

6 साल में 31 मौतें, 318 घायल

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह सालों में उत्तराखंड में भालुओं ने 31 लोगों की जान ले ली, जबकि 318 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. वन विभाग का कहना है कि मानव बस्तियों के करीब बढ़ती घुसपैठ और भोजन की तलाश में भालुओं का गांवों तक पहुंचना अब सामान्य होता जा रहा है.

कम बर्फबारी ने बदला भालुओं का स्वभाव

एक्सपर्ट का कहना है कि इस समय हिमालयन ब्लैक बियर शीतनिद्रा (हाइबरनेशन) में चले जाते हैं, लेकिन मौसम के बदलते तेवर उनके प्राकृतिक चक्र को बिगाड़ रहे हैं. वो ठीक से सो नहीं पा रहे और आक्रामक हो रहे हैं.

जंगलों में बढ़ती आवाजाही बनी जोखिम

स्थानीय प्रशासन का मानना है कि पहाड़ी ग्रामीणों का ईंधन और चारा जुटाने के लिए जंगलों पर निर्भर रहना उनकी सुरक्षा के लिए एक बड़ा जोखिम बनता जा रहा है. महिलाओं और बुजुर्गों पर हमले अधिक देखे जा रहे हैं क्योंकि वे अकसर अकेले जंगल में जाती हैं.

वन विभाग ने बढ़ाई सतर्कता

वन विभाग ने संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने, ग्रामीणों को जागरूक करने और खतरे की स्थिति में तुरंत सहायता उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं. साथ ही मौसम में लगातार हो रहे बदलावों को देखते हुए विशेषज्ञ दीर्घकालिक नीतियों की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं.

ग्रामीणों में दहशत

लगातार बढ़ते हमलों से पहाड़ी समुदायों में खौफ का माहौल है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक वन विभाग और सरकार मजबूत सुरक्षा उपाय नहीं करती, तब तक इस समस्या का हल मुश्किल है. प्रभावित क्षेत्रों में भालू पकड़ने के अभियान और चेतावनी तंत्र को और मजबूत करने की मांग उठ रही है.

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