14 साल से पुल का इंतजार, उफनती नदी पार कर लाना पड़ता है राशन; युवक का वीडियो वायरल होने पर जागे अधिकारी
उत्तराखंड के चमोली जिले के मिमराणी गांव के ग्रामीण पिछले 14 वर्षों से पुल के अभाव में उफनती नदी पार करने को मजबूर हैं. 2013 की आपदा में जेठागाड गदेरे पर बना पैदल पुल बह गया था, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिला. हाल ही में एक युवक का नदी पार करते हुए वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं. ग्रामीण आज भी राशन और जरूरी सामान कंधों पर लादकर जोखिम उठाते हुए नदी पार कर रहे हैं.;
Chamoli Viral Video: चमोली जनपद के एक वायरल वीडियो ने उस कड़वी हकीकत को उजागर कर दिया है जो अब तक सरकारी फाइलों में ही विकास के दावे करती रही है. यह वीडियो दशोली और नंदानगर घाट विकासखंड को जोड़ने वाले गांवों मिमराणी, सकनड और एगड़ी का है, जहां ग्रामीणों को आज भी उफनती नदी पार करके जरूरी सामान अपने कंधों पर ढोना पड़ता है.
वर्ष 2013 की विनाशकारी आपदा में जेठागाड गदेरे पर बना एकमात्र पैदल पुल बह गया था. तब से आज तक मिमराणी गांव के आठ परिवारों को पांच किलोमीटर की अतिरिक्त पैदल दूरी तय कर नंदप्रयाग बाजार पहुंचना पड़ता है. खासकर बारिश के दिनों में जब जेंथा गदेरा उफान पर होता है, तब खतरा और बढ़ जाता है.
युवक का वीडियो वायरल होने पर जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश
हाल ही में एक युवक का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह उफनते गदेरे को पार करते दिखा. इस वीडियो के सामने आने के बाद जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने संज्ञान लेते हुए एसडीएम को जांच के निर्देश दिए हैं.
बरसात के दिनों में बढ़ जाता है गदेरे का जलस्तर
स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात के दिनों में गदेरे का जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि आवाजाही बेहद खतरनाक हो जाती है, लेकिन समय की मजबूरी उन्हें इस जोखिम को उठाने पर मजबूर कर देती है. जरूरी राशन व सामान उन्हें पीठ पर लादकर दूर-दराज़ गांवों के रास्ते से होकर ले जाना पड़ता है.
अब प्रशासन की ओर से कहा गया है कि ग्रामीणों के प्रस्ताव के आधार पर पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन यह सवाल अब भी कायम है- आखिर चमोली के इन गांवों को विकास की मुख्यधारा से जुड़ने में और कितने साल लगेंगे?