तीसरी या चौथी बीवी बनो, तभी मिलेगी मदद.... आगरा से बरामद हुई देहरादून की युवती ने खोली धर्मांतरण कांड की गंदी पोल
युवती ने बताया कि अयान जावेद, अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र प्रताप (जो पहले हिंदू था) और दिल्ली के एक अन्य अब्दुल रहमान जैसे लोगों से भी उसका संपर्क कराया गया. उन्होंने उसे बताया कि अगर वह इस्लाम अपनाकर निकाह करती है, तो उसकी मदद की जाएगी.;
आगरा में एक कथित धर्मांतरण गिरोह का खुलासा हुआ है, जिसमें पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने देहरादून से एक युवती को बरामद किया है, जिसने पूछताछ के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए. युवती ने बताया कि कैसे उसे प्यार, लालच और दबाव के जरिए इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया.
युवती ने बताया कि 2019 में अबू तालिब नामक व्यक्ति ने फेसबुक पर उससे संपर्क किया. बातचीत करते-करते अबू तालिब ने उससे भावनात्मक संबंध बना लिए और इस्लाम धर्म के बारे में बातें करने लगा. धीरे-धीरे वह उसे इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मनाने लगा. इसके बाद अबू तालिब ने उसे आयशा नाम की महिला से मिलवाया. आयशा ने युवती को अब्दुल रहमान नाम के एक शख्स से मिलवाया, जो इस पूरे गिरोह का हिस्सा बताया जा रहा है.
शादी का दबाव और लालच
युवती ने बताया कि अबू तालिब ने शादी के लिए उस पर दबाव डालना शुरू कर दिया. उसने अपनी बहनों सुमैया और सफिया से भी उसकी मुलाकात करवाई, फिर आयशा और अब्दुल रहमान से उसका संपर्क करवाया गया. आयशा ने युवती की पारिवारिक स्थिति समझने के बाद उसे बेहतर जिंदगी, घर और सुविधाएं देने का लालच दिया. लेकिन इसके लिए शर्त रखी कि युवती को नया नाम अपनाना होगा और किसी पुरुष की दूसरी, तीसरी या चौथी पत्नी बनना होगा। तभी उस पर 'निवेश' किया जाएगा.
मदद से पहले बनो तीसरी या चौथी पत्नी
युवती ने बताया कि अयान जावेद, अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र प्रताप (जो पहले हिंदू था) और दिल्ली के एक अन्य अब्दुल रहमान जैसे लोगों से भी उसका संपर्क कराया गया. उन्होंने उसे बताया कि अगर वह इस्लाम अपनाकर निकाह करती है, तो उसकी मदद की जाएगी. अयान ने उसे झारखंड से चौक तक जाने और फिर वहां से कैब लेकर देहरादून, दिल्ली और एक 'सुरक्षित जगह' पहुंचने की योजना बताई. जब युवती ने यह सब मानने से इनकार किया, तो अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र ने कहा कि अगर वह तीसरी या चौथी पत्नी बनने को तैयार नहीं होगी, तो उसे कोई मदद नहीं दी जाएगी.
सिम तोड़ने की दी ट्रेनिंग
पीड़िता ने बताया कि उसे फोन और सिम कार्ड तोड़ने की ट्रेनिंग दी गई. आयशा के पास ऐसे लोग थे जो महंगे फर्जी सिम कार्ड (4,000-5,000 रुपये तक के) और पुराने कीपैड फोन खरीदते थे ताकि ट्रैकिंग न हो सके. युवती को भी फोन तोड़कर पानी में फेंकने की तरकीब सिखाई गई। उसने यह सब किया लेकिन क्योंकि वह तय जगहों पर नहीं गई, इसलिए उसे छोड़ दिया गया.
कहानी शेयर कर पैसे जुटाए
युवती ने यह भी बताया कि आयशा का एक फंड मैनेजर था, जिसने उससे कहा कि वह अपनी कहानी लिखकर भेजे ताकि सोशल मीडिया पर उसे शेयर करके पैसे जुटाए जा सकें. उसने यह भी कहा कि अगर युवती सामने नहीं आना चाहती, तो उसकी पहचान छिपाकर भी उसकी जैसी दूसरी लड़कियों के नाम पर पैसे लिए जा सकते हैं.
इस्लाम अपनाने का दबाव
आखिर में युवती ने बताया कि अबू तालिब, रूपेंद्र उर्फ अब्दुल रहमान और दिल्ली के अब्दुल रहमान उस पर लगातार इस्लाम अपनाने का दबाव बना रहे थे. रूपेंद्र ने उसे इस्लामिक नामों की एक लिस्ट भेजी, जिसमें से उसे 'मरियम' नाम चुनकर अपना नाम बदलने को कहा गया. दिल्ली वाले अब्दुल रहमान ने उससे एक वॉइस नोट भेजने को कहा, जिसमें उसे कहना था, 'मुझे हिजरत करनी है, मैं रिवर्टेड मुस्लिमा हूं.' इसका मकसद था कि अमीर लोगों से उसके नाम पर धार्मिक फंडिंग ली जा सके. पुलिस इस पूरे गिरोह की जांच कर रही है, अब तक सामने आए नामों और घटनाओं के आधार पर गहरी पूछताछ की जा रही है. माना जा रहा है कि यह गिरोह मासूम और गरीब लड़कियों को बहलाकर, फंसा कर और धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें इस्तेमाल करने की साजिश कर रहा था.