कौन थे श्रीप्रकाश जायसवाल, जिनका 81 साल की उम्र में हुआ निधन? कांग्रेस और राजनीतिक जगत में फैली शोक की लहर
कानपुर से तीन बार सांसद और मनमोहन सिंह सरकार में कोयला मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल यूपी की राजनीति का एक प्रभावशाली चेहरा थे. स्थानीय राजनीति से उभरकर वे केंद्र में महत्वपूर्ण मंत्रालयों तक पहुंचे. विकास कार्यों और मिलनसार स्वभाव ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया, जबकि कोयला घोटाले और कुछ विवादित बयानों ने उनके करियर को चुनौती भी दी.;
Who Was Sriprakash Jaiswal: मनमोहन सिंह सरकार में कोयला मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल का 28 नवंबर को 81 साल की उम्र में निधन हो गया. इससे कांग्रेस और राजनीतिक जगत में शोक की लहर है. तीन बार कानपुर से सांसद रहे जायसवाल कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल थे जिन्होंने स्थानीय राजनीति से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल तक अपने मजबूत प्रभाव की छाप छोड़ी.
कौन थे श्रीप्रकाश जायसवाल?
श्रीप्रकाश जायसवाल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे. वे लंबे समय तक पार्टी में सक्रिय रहे. 25 सितंबर 1944 को कानपुर में जन्मे जायसवाल ने प्रारंभिक शिक्षा BNSD इंटर कॉलेज से पूरी की. 28 अप्रैल 1967 को उन्होंने माया रानी से शादी की. उनके दो बेटे और एक बेटी हैं. जायसवाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत नगर स्तर से की थी. 1989 में वे कानपुर नगर निगम के मेयर चुने गए, जहां से उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी. इसके बाद वह 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार कानपुर से लोकसभा सांसद बने. यूपी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
केंद्र में संभाले अहम मंत्रालय
मनमोहन सिंह सरकार में जायसवाल को लगातार दो महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं,
- 2004–2009: गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री (MoS)
- 2011–2014: केंद्रीय कोयला मंत्री
कोयला मंत्रालय संभालते समय देश में कोयला ब्लॉकों के आवंटन को लेकर विवादों ने सुर्खियां बटोरीं. वे कई बार अपनी टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहे.
जनता से जुड़ा नेता-कानपुर में मजबूत पकड़
कानपुर में जायसवाल का जनाधार बेहद मजबूत था. हर हफ्ते जनता दरबार लगाना, स्वास्थ्य शिविर-एंबुलेंस सेवा जैसी आम आदमी से जुड़ी पहलें करने की वजह से वे शहर के लोगों के बीच खासे लोकप्रिय रहे. स्थानीय लोग उन्हें सहज, मिलनसार और जमीन से जुड़े नेता के रूप में याद करते हैं. 2004 में कानपुर सीट से उन्होंने बहुत कम वोट प्रतिशत (कुल मतदाताओं में ~14.79%) से चुनाव जीता था . यह कानपुर में अब तक का सबसे कम वोट प्रतिशत में जीत का रिकॉर्ड था.
विवादों से भी रहा नाता
राजनीतिक सफर भले ही लंबा और प्रभावशाली रहा हो, लेकिन कुछ विवादों ने उनका पीछा भी नहीं छोड़ा और वे विपक्ष और मीडिया दोनों के निशाने पर रहे. 2013 में कोयला ब्लॉक आवंटन (कोलगेट) और संबंधित घोटालों को लेकर ज़मीनी विवादों में उनका नाम आया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने पूर्व सचिव पी.सी. परख और अन्य पर आपत्तिजनक बयान दिए थे, जिसके लिए उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी. 2014 में उनके चुनावी नामांकन के अनुसार, उनके चल-अचल संपत्ति का मूल्य करीब ₹1.45 करोड़ बतलाया गया था. महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर भी उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा था.
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
तीन दशकों से अधिक समय तक सक्रिय राजनीति में रहने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल ने स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बनाई. कानपुर के विकास को लेकर उनका प्रयास, और जनता से सीधा संवाद की शैली उन्हें आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती रही.