कौन हैं आगरा के वैज्ञानिक संजीव गुप्ता, जिन्‍होंने मंगल ग्रह पर खोजे जीवन के संकेत?

भारतीय मूल के वैज्ञानिक संजीव गुप्ता, जो इम्पीरियल कॉलेज लंदन में प्रोफेसर हैं, NASA के पर्सीवरेंस रोवर मिशन में अहम भूमिका निभा रहे हैं. हाल ही में मंगल ग्रह के जेज़ेरो क्रेटर की चट्टानों में जीवन से जुड़े संभावित संकेत मिले हैं, जिनके अध्ययन में गुप्ता की विशेषज्ञता निर्णायक रही. उनका काम नमूनों के चयन और प्राचीन झील-डेल्टा संरचनाओं को समझने से जुड़ा है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि ये संकेत जीवन का प्रमाण नहीं बल्कि उसकी संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं.;

( Image Source:  Imperial College )

Who is Sanjeev Gupta: भारतीय मूल के वैज्ञानिक संजीव गुप्ता इन दिनों सुर्खियों में हैं, क्योंकि NASA के पर्सीवरेंस रोवर मिशन ने मंगल ग्रह पर प्राचीन झील और डेल्टा क्षेत्र की चट्टानों में संभावित जीवन के संकेत खोजे हैं. इन संकेतों को लेकर दुनिया भर में वैज्ञानिक हलचल है और इस मिशन में अहम भूमिका निभाने वाले प्रमुख भू-वैज्ञानिकों में संजीव गुप्ता का नाम सामने आया है. उनका काम यह तय करना है कि किन चट्टानों और मिट्टी के नमूनों को इकट्ठा कर पृथ्वी पर भेजा जाए ताकि जीवन की संभावनाओं की वैज्ञानिक जांच आगे बढ़ सके.

हाल ही में जिस अध्ययन ने मंगल ग्रह की चट्टानों में 'पोटेंशियल बायोसिग्नेचर्स' यानी संभावित जीवन-चिह्नों की खोज की, उसमें संजीव गुप्ता की विशेषज्ञता निर्णायक साबित हुई है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह जीवन का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है, लेकिन ऐसे संकेत हैं जिनसे यह समझा जा सकता है कि कभी मंगल पर जीवन के अनुकूल वातावरण रहा होगा.

कौन हैं संजीव गुप्ता?

संजीव गुप्ता एक भारतीय मूल के भू-वैज्ञानिक (geologist) हैं. जो वर्तमान में ब्रिटेन की Imperial College London में Earth Science & Engineering विभाग में प्राध्यापक हैं. वे NASA के मार्स मिशन से लंबे समय से जुड़े हुए हैं. उनका बचपन आगरा में बीता, लेकिन पांच साल की उम्र में परिवार के साथ ब्रिटेन चले गए. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से PhD की डिग्री प्राप्त की है.

मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत खोजने में उनकी भूमिका

संजीव गुप्ता NASA के Perseverance rover मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों में से हैं, जो मंगल के Jezero Crater क्षेत्र की खोज कर रहा है जहां प्राचीन झील और नदी-घाटी (delta) रही होगी. वहां की चट्टानों में वह 'potential biosignatures' अर्थात् संभावित जीवन के अतीत के संकेत खोजे गए हैं. उनका काम है यह निर्धारित करना कि किन चट्टानों और मिट्टी के नमूनों (rock/soil samples) को संग्रहित किया जाए ताकि उन्हें बाद में पृथ्वी पर भेज कर गहराई से विश्लेषित किया जा सके.

संजीव ने यह भी कहा है कि ये संकेत अभी जीवन का 'साक्ष्य' नहीं हैं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसे भौतिक, रासायनिक और खनिजीय गुण हैं जो जीवन की मौजूदगी से जुड़े हो सकते हैं. पुष्टि के लिए पृथ्वी पर विश्लेषण ज़रूरी है.

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