कड़ी सुरक्षा में 54 साल बाद खोला गया बांके बिहारी मंदिर से खजाना, जानिए क्या-क्या मिला!
प्रारंभिक तलाशी में टीम को एक संदूक (बड़ा बक्सा) और एक कलश मिला. अंदर क्या है, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी तक साझा नहीं की गई, लेकिन अनुमान है कि वहां सोने-चांदी के आभूषण, सोने के कलश, हीरे-जवाहरात, और दुर्लभ कलाकृतियां मौजूद हैं.;
उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित श्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में शनिवार को एक ऐतिहासिक और बेहद खास पल देखने को मिला. धनतेरस के शुभ अवसर पर मंदिर का लंबे समय से बंद तोशखाना (खजाना कक्ष) पूरे 54 साल बाद खोला गया. यह पल न केवल भक्तों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी रोमांचक था, क्योंकि इस खजाने में सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात और ऐतिहासिक धरोहरों के होने की उम्मीद की जा रही है. यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद की गई.
कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंदिर के खजाने को एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति की निगरानी में खोला जाए ताकि पारदर्शिता और सुरक्षा बनी रहे. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई और हर कदम पर प्रशासनिक निगरानी रखी गई. मथुरा के सर्किल ऑफिसर संदीप सिंह ने बताया कि खजाने को खोलने की पूरी प्रक्रिया कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पूरी की गई. केवल उन्हीं लोगों को अंदर जाने की अनुमति थी जो अदालत द्वारा अधिकृत थे.
सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
चूंकि यह खजाना कई दशकों से बंद था, इसलिए इसके अंदर गैस, आग या किसी अन्य खतरे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता था. इसी कारण अग्निशमन विभाग और वन विभाग की टीमों को पहले से ही तैनात किया गया. एक विशेष ऑक्सीजन-नियंत्रित बैकपैक फायर एक्सटिंग्विशर भी रखा गया था ताकि किसी भी तरह की आग लगने की स्थिति में तुरंत नियंत्रण पाया जा सके.
पारंपरिक विधि से खोला गया दरवाज़ा
खजाना खोलने से पहले अधिकारियों ने मंदिर की परंपरा के अनुसार दीप जलाकर पूजा-अर्चना की. इसके बाद जांच दल ने सुरक्षात्मक मास्क पहनकर अंदर प्रवेश किया. दल में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर और चार गोस्वामी शामिल थे. मंदिर के संरक्षक घनश्याम गोस्वामी ने पुष्टि की कि न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ चार मनोनीत गोस्वामी ही अंदर प्रवेश कर पाए.
क्या मिला खजाने में?
प्रारंभिक तलाशी में टीम को एक संदूक (बड़ा बक्सा) और एक कलश मिला. अंदर क्या है, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी तक साझा नहीं की गई, लेकिन अनुमान है कि वहां सोने-चांदी के आभूषण, सोने के कलश, हीरे-जवाहरात, और दुर्लभ कलाकृतियां मौजूद हैं. इस तोशखाने के बारे में कहा जाता है कि इसमें 160 साल पुराने चांदी के सिक्के और पुराने समय के दस्तावेज़ एवं दान की रसीदें भी रखी हैं. बांके बिहारी मंदिर का खजाना 1971 में आखिरी बार खोला गया था. उस समय मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ने पूरी प्रक्रिया की निगरानी की थी. यह खजाना मंदिर के गर्भगृह के नीचे स्थित है, जहां भगवान श्री बांके बिहारी का सिंहासन स्थापित है.
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
इतिहासकारों के अनुसार, यह खजाना 1864 में वैष्णव परंपराओं के अनुसार बनाया गया था. इसमें भरतपुर, करौली और ग्वालियर राज्यों से मंदिर को मिले दान की संपत्तियां रखी गई थी. खजाने में मुहरबंद दस्तावेज़, उपहार, प्रशंसा पत्र, भवनों और खेतों के भूमि-पत्र भी शामिल हैं. अब एक विशेष समिति इन सबकी गणना और दस्तावेजीकरण करेगी ताकि यह रिकॉर्ड सुरक्षित रहे.
बांके बिहारी मंदिर का गौरवशाली इतिहास
वृंदावन का श्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर, भगवान कृष्ण के सबसे प्रिय और प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है. इसका निर्माण 1862 में हुआ था, इस मंदिर का प्रबंधन ‘शेबैत’ वंशानुगत पुजारी परिवार करता है, जो रोज़ाना के पूजा-अर्चना और मंदिर प्रशासन की देखरेख करते हैं. 'बांके बिहारी' नाम का अर्थ होता है 'तीन स्थानों पर झुका हुआ' यह भगवान कृष्ण की त्रिभंग मुद्रा का प्रतीक है, जिसमें वे कमर, गर्दन और पैर को तीन दिशाओं में झुकाकर खड़े हैं. भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में भगवान कृष्ण स्वयं अपने भक्तों से संवाद करते हैं, इसलिए यहां की हर रस्म और हर झलक को दिव्य माना जाता है.