जब मां नहीं रही, तो पिता बना ढाल, गुरुग्राम का यह डिलीवरी बॉय अपनी बेटी टुनटुन को लेकर करता है हर ऑर्डर पूरा
सोशल मीडिया पर मंयक नाम के एक शख्स ने असल जिंदगी से जुड़ी कहानी बताई है, जहां उसकी मुलाकात एक ऐसी डिलीवरी बॉय से हुई, जो बहन महज 2 साल की बच्ची को लेकर ऑर्डर पूरा करता है. दरअसल लड़की की मां नहीं है और बच्ची को संभालने के लिए घर पर कोई नहीं है.;
गुरुग्राम की व्यस्त सड़कों पर हर दिन हजारों डिलीवरी एजेंट ऑर्डर लेकर निकलते हैं, लेकिन एक शाम, एक आम-सी डिलीवरी एक असाधारण कहानी में बदल गई. मयंक अग्रवाल ने एक ऐसे शख्स की कहानी शेयर की है, जिसे सुन आप भी यकीनन हैरान हो जाएंगे. दरअसल मयंक ने स्विगी से खाना ऑर्डर किया था. जैसे ही डिलीवरी एजेंट पंकज ने उन्हें फोन किया और बताया कि मैं पहुंच गया हूं.
तो उन्होंने उसे ऊपर आने के लिए कहा, लेकिन तभी फोन के दूसरी तरफ एक मासूम बच्ची की आवाज़ सुनाई दी. मयंक ने हैरानी से पूछा 'क्या आपके साथ कोई बच्चा है? पंकज ने जवाब में कहा कि हां मेरी बेटी है. मयंक तुरंत बोले मैं नीचे आ जाता हूं.
बाइक पर बैठी मासूम टुनटुन
जब मयंक नीचे पहुंचा, तो जो देखा वो किसी फिल्म का फिल्मी सा लगा. एक बाइक उस पर एक थका-हारा पिता और उसकी गोद में बैठी मात्र दो साल की बच्ची टुनटुन बैठी हुई थी. गर्मी, धूल, शोर इन सबसे बेखबर, मासूम-सी आंखों वाली टुनटुन अपने पापा के कंधों पर भरोसे से टिकी हुई थी.
पत्नी की हो चुकी है मौत
पंकज ने बताया कि 'उसकी पत्नी की मौत डिलीवरी के वक्त हो गई थी. अब मैं ही मां भी हूं और बाप भी. बड़ा बेटा शाम की क्लास में चला जाता है, तो मुझे ही इसे साथ लाना पड़ता है.'
मजबूरी नहीं, ममता का नाम है पंकज
पंकज ने कभी शिकायत नहीं की. लोगों अक्सर उन्हें ताना मारते थे. कहते हैं 'बच्चा है तो काम क्यों करते हो? लेकिन उसने सिर्फ एक हल्की मुस्कान दी और कहा क्योंकि मुझे इसके लिए जीना है. उस मुस्कान में कितनी पीड़ा छुपी थी, कोई नहीं समझ पाया, लेकिन एक पिता की मजबूरी और ममता दोनों उस पल में झलक रही थी.
सोशल मीडिया
जब मयंक ने यह कहानी LinkedIn पर शेयर की, तो हजारों दिलों को एक साथ झटका लगा. किसी ने लिखा, 'पिता का प्यार कभी जताया नहीं जाता, लेकिन वो सबसे गहरा होता है.' दूसरे ने कहा 'काश पंकज को कोई सहारा मिल जाए, ताकि वो सिर्फ पिता न रहे, बल्कि इंसान भी रह सके.'