आत्महत्या या हत्या? लखनऊ डीएम आवास के बाहर कार में युवक की गोली लगी मिली लाश, सुराग ढूंढने में जुटी पुलिस

पुलिस अब पूरे इलाके के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है. वे देखना चाहते हैं कि कार कहां-कहां से गुजरी, कब आई, और क्या कोई दूसरा व्यक्ति उसके साथ था या नहीं. शव की शिनाख्त के लिए भी कोशिशें जारी हैं.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  रूपाली राय
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शनिवार की देर रात लखनऊ के डीएम आवास परिसर के ठीक बाहर एक बहुत ही दुखद और रहस्यमयी घटना घटी. वहां सड़क किनारे एक कार खड़ी थी, जिसका इंजन अभी भी चल रहा था. कार की ड्राइविंग सीट पर एक युवक बैठा हुआ था, लेकिन वह जिंदा नहीं था. उसकी लाश खून से पूरी तरह लथपथ थी. राह चलते कुछ लोगों ने जब गाड़ी को चलती हुई देखा और अंदर झांककर देखा, तो उन्हें यह भयानक नजारा दिखाई दिया. वे तुरंत घबरा गए और उन्होंने फौरन डायल 112 पर पुलिस को फोन करके पूरी बात बताई. 

सूचना मिलते ही पुलिस के बड़े अधिकारी मौके पर पहुंच गए. इनमें डीसीपी मध्य विक्रांत वीर, एडीसीपी मध्य जितेंद्र कुमार दुबे, एसीपी विकास जायसवाल और हजरतगंज थाने के इंस्पेक्टर विक्रम सिंह शामिल थे. सभी ने मिलकर घटनास्थल का मुआयना करना शुरू किया. सहायक पुलिस आयुक्त यानी एसीपी विकास जायसवाल ने बाद में पत्रकारों को बताया कि जब पुलिस वहां पहुंची, तो कार के सारे दरवाजे अंदर से लॉक थे. यानी कोई बाहर से अंदर नहीं जा सकता था और न ही अंदर वाला बाहर निकल सकता था. 

मैकेनिक की मदद से खोला कार का दरवाजा  

पुलिस ने तुरंत अपनी फील्ड यूनिट और फॉरेंसिक टीम को बुलाया. फॉरेंसिक टीम ने सबसे पहले कार के दरवाजों पर लगे हैंडल और कांच पर उंगलियों के निशान यानी फिंगर प्रिंट्स लिए, ताकि बाद में पता चल सके कि कार को आखिरी बार किसने छुआ था. फिर एक मैकेनिक की मदद से कार का लॉक खोला गया. जैसे ही दरवाजा खुला, पुलिस को युवक का शव दिखा. वह सफेद रंग की प्रिंटेड शर्ट पहने हुए था और उसकी उम्र करीब 35 से 40 साल के बीच लग रही थी. 

मिले ज़िंदा कारतूस 

सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि मृतक के दाहिने पैर के ठीक पास फर्श पर एक रिवॉल्वर पड़ी हुई थी. पुलिस ने उसे उठाया और चेक किया. रिवॉल्वर में एक खाली खोखा यानी इस्तेमाल हुई गोली का कारतूस था और बाकी पांच जिंदा कारतूस थे. यानी कुल छह गोलियां थीं, जिनमें से एक चल चुकी थी. गोली युवक के सिर के दाहिनी तरफ लगी थी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि रिवॉल्वर मृतक की उंगली में फंसी हुई मिली, मानो उसने खुद ही गोली चलाई हो. 

कार के अलावा नहीं मिला कोई सुराग 

पुलिस ने कार के अंदर पूरी तलाशी ली. युवक के कपड़ों की जेबें खंगालीं, लेकिन न तो उसका मोबाइल फोन मिला, न पर्स, न कोई पहचान पत्र और न ही कोई दूसरी चीज जो यह बता सके कि वह कौन था. सिर्फ कार ही एकमात्र सुराग थी. पुलिस ने कार के नंबर प्लेट से परिवहन विभाग की वेबसाइट पर चेक किया. पता चला कि यह कार ईशान गर्ग नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है. उनका पता तालकटोरा राजाजीपुरम के एफ ब्लॉक में दर्ज था. पुलिस की एक टीम उस पते पर गई, लेकिन वहां कोई संपर्क नहीं हो सका न तो ईशान गर्ग मिले और न ही कोई परिवार वाला जो कुछ बता सके. 

ड्राइविंग लाइसेंस और मिला वोटर आईडी कार्ड 

फिर कार की तलाशी में दो महत्वपूर्ण चीजें मिली एक ड्राइविंग लाइसेंस और एक वोटर आईडी कार्ड. लेकिन यहां भी रहस्य और गहरा गया. लाइसेंस पर नाम लिखा था पराग गर्ग, जबकि वोटर आईडी पर ईशान गर्ग. यानी एक ही कार में दो अलग-अलग नामों वाले दस्तावेज. अब पुलिस यह समझने की कोशिश कर रही है कि मृतक कौन था पराग गर्ग या ईशान गर्ग या फिर कोई तीसरा व्यक्ति?. 

आत्महत्या या हत्या?

राहगीरों ने पुलिस को बताया कि उन्हें गोली चलने की तेज आवाज सुनाई दी थी, जिसके बाद उन्होंने कार को चेक किया. लेकिन अगर यह आत्महत्या का मामला था, तो फिर मृतक का मोबाइल, पर्स और बाकी सामान कहां गायब हो गया? क्या कोई और व्यक्ति वहां था जिसने सामान ले लिया और भाग गया? या फिर यह हत्या थी और हत्यारे ने सब कुछ साफ कर दिया? ये सारे सवाल पुलिस के सामने हैं. 

खंगाली जा रही है सीसीटीवी फुटेज 

पुलिस अब पूरे इलाके के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है. वे देखना चाहते हैं कि कार कहां-कहां से गुजरी, कब आई, और क्या कोई दूसरा व्यक्ति उसके साथ था या नहीं. शव की शिनाख्त के लिए भी कोशिशें जारी हैं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जो यह बता सकती है कि गोली कितनी दूरी से चली और क्या कोई दूसरा चोट का निशान है या नहीं. फिलहाल पुलिस का कहना है कि वे हर कोण से मामले की जांच कर रहे हैं. आत्महत्या हो या हत्या, सच जल्द ही सामने आएगा. लेकिन अभी यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है और लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं. 

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