Sambhal Violence Report: बाहरी दंगाई, सांप्रदायिक साज़िश और घटती हिंदू आबादी का बड़ा खुलासा - 10 बातें
संभल दंगों की 450-पन्नों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हिंदू आबादी लगातार घटकर अब केवल 15-20% रह गई है. हालिया दंगे में बाहरी दंगाई शामिल थे और हिंदुओं को निशाना बनाया गया. पुलिस की मौजूदगी से बड़ी हिंसा टली. रिपोर्ट में तुर्क-पठान तनाव, सांसद बर्क के विवादित बयान और आतंकवादी नेटवर्क का जिक्र है.;
उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले साल 24 नवंबर 2024 को हुए दंगे की जांच के लिए गठित ज्यूडिशियल कमेटी ने अपनी 450 पेज की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. रिपोर्ट में न केवल हालिया हिंसा का पूरा ब्योरा है, बल्कि संभल में पिछले 75 वर्षों में बार-बार भड़की सांप्रदायिक हिंसा और उसका प्रभाव भी शामिल है.
रिपोर्ट के मुताबिक, संभल की हिंदू आबादी 1947 में करीब 45% थी, लेकिन लगातार दंगों, असुरक्षा और तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से यह घटकर 15-20% रह गई है. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि हालिया दंगे में हिंदुओं को निशाना बनाने की साज़िश थी और दंगाई बाहर से बुलाए गए थे. पुलिस की मौजूदगी से बड़ी हिंसा टल गई. इसके अलावा, संभल अब आतंकवादी संगठनों के नेटवर्क का केंद्र बन चुका है. सांसद बर्क के विवादित बयान ने भी तनाव बढ़ाया था. रिपोर्ट में समुदायों के बीच बढ़ते तनाव, पुराने ऐतिहासिक झगड़े और वर्तमान परिस्थितियों का विश्लेषण किया गया है. आइए इस रिपोर्ट से जुड़ी 10 बड़ी बातें जान लेते हैं.
- संभल दंगे की जांच रिपोर्ट में 450 पन्नों में 24 नवंबर 2024 की हिंसा और संभल के इतिहास में हुई 15 बड़ी सांप्रदायिक घटनाओं का विस्तृत विवरण शामिल है.
- रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 1947 में संभल की हिंदू आबादी 45% थी, जो लगातार दंगों और असुरक्षा की वजह से घटकर अब केवल 15-20% रह गई है.
- 24 नवंबर 2024 के दंगे में हिंदुओं को निशाना बनाने की योजना बनाई गई थी और दंगाई बाहरी इलाके से बुलाए गए थे.
- हिंसा में पुलिस की सक्रियता और Hindu-majority इलाकों में मौजूदगी से बड़ी हताहतियों और व्यापक तबाही को टाला गया.
- संभल में तुर्क और पठान समुदायों के बीच पुराने प्रतिद्वंद्विता के कारण समय-समय पर झगड़े और हिंसक टकराव होते रहे हैं.
- 22 नवंबर 2024 को सांसद बर्क का विवादित बयान 'हम इस देश के मालिक हैं' ने तनाव और हिंसा भड़काने में योगदान दिया.
- रिपोर्ट में बताया गया कि दंगे में बाहरी तत्वों को शामिल करके स्थानीय समुदायों में तनाव बढ़ाया गया.
- संभल में अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों के सक्रिय नेटवर्क की जानकारी रिपोर्ट में दी गई.
- लगातार हिंसा और तुष्टिकरण की राजनीति ने संभल की डेमोग्राफी और सामाजिक ताने-बाने को बदल दिया है.
- रिपोर्ट सुझाव देती है कि संभल में सांप्रदायिक शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा रणनीतियों, समुदायों के बीच संवाद और सतर्कता जरूरी है.