फिर से चर्चा में ज्योति मौर्या! किस मांग को लेकर इलाहाबाद HC पहुंचा पति, बचाव में SDM ने क्या कहा?

आलोक मौर्या ने अपनी कठिन आर्थिक स्थिति और गंभीर बीमारियों का हवाला देते हुए आजमगढ़ की फैमिली कोर्ट में अंतरिम गुजारा भत्ता की मांग की थी. उनका कहना है कि वह सरकारी सेवा में एक निचले स्तर के कर्मचारी हैं और उनका मासिक वेतन बहुत सीमित है.;

( Image Source:  X : @ShoneeKapoor )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 14 July 2025 11:50 AM IST

उत्तर प्रदेश की चर्चित एसडीएम ज्योति मौर्या और उनके पति आलोक मौर्या के बीच चल रहा विवाद अब कानूनी मोर्चे पर भी तेज होता जा रहा है. ताजा घटनाक्रम में, आलोक मौर्या ने अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता दिलवाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए ज्योति मौर्या को नोटिस जारी किया है, साथ ही अपील की कॉपी रजिस्टर्ड डाक के जरिए से भेजे जाने के आदेश भी दिए हैं.

यह मामला अब सिर्फ पति-पत्नी के व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि सामाजिक, नैतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी बहस का विषय बन चुका है. पूरे देश की नजर इस केस की अगली सुनवाई पर है, जो 8 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है.

कैसे शुरू हुआ यह विवाद?

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब आलोक मौर्या, जो कि एक सफाई कर्मचारी ने अपनी पत्नी और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ज्योति मौर्या पर एक्सट्रामैरिटल अफेयर का आरोप लगाते हुए इसे सार्वजनिक मंच पर उजागर किया. इस घटनाक्रम ने सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट तक में हलचल मचा दी थी. आलोक का कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी की पढ़ाई में भरपूर साथ दिया और मेहनत की ताकि वह एक अधिकारी बन सकें। लेकिन अब जब ज्योति मौर्या उच्च पद पर पहुंच चुकी हैं, तो उन्होंने अपने पति से रिश्ता तोड़ने का प्रयास किया है. आलोक ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी पत्नी का एक अधिकारी के साथ अवैध संबंध है, जिसने उनके पारिवारिक जीवन को पूरी तरह तबाह कर दिया.

अलोक मौर्या कि गुजारा भत्ता याचिका 

आलोक मौर्या ने अपनी कठिन आर्थिक स्थिति और गंभीर बीमारियों का हवाला देते हुए आजमगढ़ की फैमिली कोर्ट में अंतरिम गुजारा भत्ता की मांग की थी. उनका कहना है कि वह सरकारी सेवा में एक निचले स्तर के कर्मचारी हैं और उनका मासिक वेतन बहुत सीमित है. इसके विपरीत, उनकी पत्नी ज्योति मौर्या एक वरिष्ठ और उच्च आय वर्ग की सरकारी अधिकारी हैं. हालांकि, फैमिली कोर्ट ने 4 जनवरी 2025 को उनकी अर्जी खारिज कर दी, जिसके बाद आलोक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर की है.

77 दिन की देरी, लेकिन कारण भी दिया गया

यह अपील 77 दिनों की देरी से दाखिल की गई है, लेकिन आलोक मौर्या ने कोर्ट में बताया कि फैमिली कोर्ट का फैसला (डिक्री) उन्हें समय पर नहीं मिल सका, इसलिए अपील करने में देर हो गई. इसी वजह से उन्होंने देरी माफ करने की एक अलग अर्जी भी दी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस डॉ. योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने की. कोर्ट ने अपील और देरी माफ करने की अर्जी पर गौर करते हुए ज्योति मौर्या को नोटिस भेजने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आलोक मौर्या को यह भी कहा है कि वे अपील की एक कॉपी, प्रक्रिया शुल्क के साथ, स्पीड पोस्ट या रजिस्टर्ड डाक से ज्योति मौर्या को भेजें। इसके अलावा, फैमिली कोर्ट का जो आदेश 4 जनवरी 2025 को दिया गया था, उसका अंग्रेज़ी में अनुवाद भी कोर्ट में पेश करने को कहा गया है.

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