कभी पांचाल देश की राजधानी थी कम्पिल, यूपी के महाभारत सर्किट से जुड़ी जगह का द्रौपदी से क्या है नाता?
उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले में स्थित कम्पिल कभी प्राचीन पांचाल देश की राजधानी हुआ करती थी. महाभारत काल से जुड़े इस स्थल का द्रौपदी से भी खास नाता है. अब यह ऐतिहासिक महत्व और पुरातात्विक धरोहर के रूप में महाभारत सर्किट का हिस्सा है, जिसे पुरानी कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के जरिए इसे नए सिरे से जीवंत किया जा रहा है.;
महाभारतकाल की गाथाओं में लोकप्रिय कम्पिल कभी पांचाल देश की राजधानी और द्रौपदी से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है. यूपी सरकार द्वारा महाभारत सर्किट में शामिल करने के बाद से फर्रूखाबाद का यह स्थल सुर्खियों में है. महाभारत काल में यह स्थान अपने शाही महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता था. इतिहास और पुराणों के अनुसार द्रौपदी के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण घटनाएं इसी क्षेत्र में घटित हुई थीं, जिनमें उसके तप और धार्मिक अनुष्ठान भी शामिल हैं. यह स्थल हमेशा से इतिहास प्रेमियों और तीर्थ यात्रियों के बीच लोकप्रिय रहा है.
क्या है महाभारत सर्किट?
महाभारत सर्किट केंद्र और प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पर्यटन परियोजना है. इसकी आधिकारिक घोषणा 2018 में हुई थी. इसे भारतीय पर्यटन मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से शुरू किया गया. इसका उद्देश्य महाभारत के प्रसंगों और कथाओं से जुड़े ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को जोड़कर एक पर्यटन मार्ग तैयार करना है. ताकि महाभारतकालीन संस्कृति और इतिहास को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिले.
ऐतिहासिक रूप से कम्पिल को पांचाल साम्राज्य की राजधानी और द्रौपदी का जन्मस्थान माना जाता है. कम्पिल में द्रौपदी कुंड नामक एक पूजनीय कुंड है, जिसे भक्त द्रौपदी के जन्म और उनके स्वयंवर का प्रतीक मानते हैं. महाभारत काल में पांचाल प्रदेश के राजा द्रुपद थे.
सर्किट का उद्देश्य
धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना. महाभारत से जुड़े स्थलों को जोड़कर एक पर्यटन मार्ग तैयार करना. स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना. पर्यटन से संबंधित रोजगार और व्यवसायों को बढ़ावा देने के अवसरों को सृजन करना. महाभारत से जुड़े स्थलों का संरक्षण और पुनर्विकास करना भी इसमें शामिल है.
परियोजना की लागत
महाभारत सर्किट परियोजना की कुल लागत 3,295.76 करोड़ रुपये है, जो भारत सरकार की पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वीकृत 40 परियोजनाओं में शामिल है. इन परियोजनाओं का उद्देश्य पर्यटन अवसंरचना का विकास और स्थानीय अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण है.
महाभारत सर्किट में शामिल प्रमुख स्थल
- हस्तिनापुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश): कुरु वंश की राजधानी जहां पांडवों का जन्म हुआ था.
- कम्पिल (फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश): द्रौपदी का जन्मस्थल और स्वयंवर स्थल.
- आहिच्छत्र (बरेली, उत्तर प्रदेश): प्राचीन पंचाल राज्य की राजधानी.
- कौशांबी (उत्तर प्रदेश): पांडवों के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण स्थल.
- गोंडा (उत्तर प्रदेश): महाभारत से जुड़ी अन्य घटनाओं का स्थल.
- लक्षागृह (उत्तर प्रदेश): पांडवों के जलने के प्रयास का स्थल.
- कुरुक्षेत्र (हरियाणा): महाभारत युद्ध का स्थल, जहां श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया.
इस सर्किट में शामिल नेपाल के प्रमुख स्थल
- पशुपति नाथ (नेपाल): भीम के पुत्र घटोत्कच से जुड़ा स्थल.
- काठमांडू घाटी: महाभारत से जुड़ी अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल.
मकसद
फर्रुखाबाद का कम्पिल शहर पांचाल देश की राजधानी था, जिसके राजा द्रुपद थे, और द्रौपदी उन्हीं राजा द्रुपद की पुत्री थीं. यह वह स्थान है जहां पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा द्रुपद ने यज्ञ किया था, जिसमें से द्रौपदी का जन्म हुआ था, और बाद में यहीं पर द्रौपदी का स्वयंवर भी आयोजित हुआ था.
द्रौपदी का जन्मस्थान और स्वयंवर
कम्पिल को द्रौपदी का जन्मस्थान माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि राजा द्रुपद ने संतान प्राप्ति के लिए यहाँ एक यज्ञ का आयोजन किया था, और उसी यज्ञ कुंड से द्रौपदी प्रकट हुई थीं. यहीं पर राजा द्रुपद ने अपनी पुत्री द्रौपदी के स्वयंवर की घोषणा की थी, जिसमें अर्जुन ने मत्स्यगंधा की आँख में तीर मारकर स्वयंवर जीता था.
क्या है इसका इतिहास?
पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कहा कि काम्पिल्य कभी पांचाल देश की राजधानी को 'काम्पिल्य' के नाम से जाना जाता था. इसका इतिहास रामायण और महाभारत काल से जुड़ा है. राजा द्रुपद के नेतृत्व में पांचाल साम्राज्य काफी लोकप्रिय हुआ था. यहां कुछ जीर्ण-शीर्ण अवशेष और प्रसिद्ध द्रौपदी कुंड हैं, जिसे द्रौपदी का जन्मस्थान माना जाता है. यहां एक पूजा स्थल भी है.
रामेश्वर नाथ मंदिर में स्थित "शिवलिंग" वही माना जाता है जिसे भगवान राम रावण को हराने के बाद लंका से लाए थे. यह माना जाता है कि इस शहर का महाभारत के साथ-साथ रामायण से भी संबंध है. इस लिहाज से काम्पिल्य रामेश्वरम से भी जुड़ जाता है.
कम्पिल में 13वें तीर्थंकर विमलनाथ से जुड़ा एक प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर भी है. यह 13वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ का मंदिर है और माना जाता है कि यह उनका जन्मस्थान भी है. पुरातात्विक सबूतों के अनुसार कम्पिल्य प्रारंभिक ऐतिहासिक काल से ही एक महत्वपूर्ण बस्ती थी. उत्खनन और सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लगभग सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व से ही यहां कब्जा जमा हुआ था, जिसमें चित्रित धूसर मृदभांड (पीजीडब्ल्यू) और काले पॉलिश मृदभांड (एनबीपीडब्ल्यू) शामिल हैं.
दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक के टेराकोटा और आठवीं-दसवीं शताब्दी के पत्थर के अवशेष यहां लंबे समय तक लोगों की वसावट के संकेत देते हैं. अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1878 में कम्पिल् की पहचान प्राचीन कम्पिल्य से की थी. यहां के एक स्थानीय टीले को केंद्रीय संरक्षित स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
फर्रुखाबाद में साल 2025 की पहली तिमाही में लगभग 11 लाख पर्यटक आए. पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए 35 से 40 लाख पर्यटकों का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. उम्मीद है कि कम्पिल परियोजना इस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी.