गाजियाबाद में Ladonia की एंबेसी और करोड़ों की ठगी! कैसे दिल्ली के करीब फर्जी दूतावास खोले बैठा था शातिर हर्षवर्धन जैन?
गाजियाबाद में STF ने एक आलीशान बंगले से फर्जी दूतावास रैकेट का खुलासा किया. मास्टरमाइंड हर्षवर्धन जैन खुद को काल्पनिक देशों का राजदूत बताकर करोड़ों की ठगी कर रहा था. विदेशी झंडों, जाली पासपोर्ट और डिप्लोमैटिक गाड़ियों से सजा उसका ‘राजनयिक अड्डा’ असली मिशन जैसा लगता था. छापे में भारी नकदी, फर्जी दस्तावेज़ और विदेशी मुद्रा बरामद हुई है.;
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गाजियाबाद के कवि नगर में एक आलीशान बंगले से फर्जी दूतावास रैकेट का भंडाफोड़ किया है. मास्टरमाइंड हर्षवर्धन जैन खुद को लेडोनिया, वेस्टआर्कटिका, सेबोर्गा और पौल्विया जैसे काल्पनिक देशों का राजदूत बताता था. नकली राजनयिक नंबर प्लेटों वाली लग्जरी कारें, जाली दस्तावेज़ और "दूतावास" का तामझाम- सब कुछ एक भव्य धोखाधड़ी का हिस्सा था.
हर्षवर्धन जैन ने जिस बंगले को अपना "राजनयिक ठिकाना" बनाया, वहां सबकुछ एक असली विदेशी मिशन जैसा दिखता था. दीवारों पर विदेशी झंडे, नकली विदेश मंत्रालय की मुहरें, दो दर्जन से अधिक फर्जी पासपोर्ट और बनावटी ‘राजदूतों’ की मुहरें- सब कुछ बारीकी से सजाया गया था ताकि भ्रम की कोई गुंजाइश न रहे.
सपनों की सौदेबाज़ी
STF के अनुसार, जैन विदेशों में नौकरी, कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट दिलाने के नाम पर लोगों से मोटी रकम वसूलता था. वह कहता था कि उसके 'राजनयिक संबंधों' के चलते भारत सरकार के स्तर पर काम करवा सकता है. मगर जिन देशों के नाम वह लेता था, वे असल में माइक्रोनेशन थे, जिनकी कोई आधिकारिक मान्यता नहीं है.
कैसे बना हर्षवर्धन एक अंतरराष्ट्रीय ठग?
राजस्थान के एक समृद्ध व्यापारी परिवार में जन्मे हर्षवर्धन ने लंदन से MBA किया. पिता की मृत्यु और व्यापार में घाटे के बाद वह भटक गया. 2000 में विवादास्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खशोगी से उसकी जान-पहचान बनी. इसके बाद उसने दुबई और लंदन में कई शेल कंपनियां बनाईं और कालेधन के लेन-देन में लिप्त रहा.
काल्पनिक देशों से मिली मान्यता
2012 में सेबोर्गा नामक स्वयं-घोषित रियासत ने उसे 'सलाहकार' बनाया. फिर वेस्टआर्कटिका और लेडोनिया ने भी उसे "राजदूत" घोषित किया. इन नकली मान्यताओं के बल पर उसने खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त व्यक्ति बताना शुरू कर दिया. वह खुद की तस्वीरें प्रधानमंत्री और विदेशी नेताओं के साथ फोटोशॉप करके प्रचार करता था.
छापेमारी में क्या-क्या मिला?
22 जुलाई 2025 को STF ने बंगले पर छापा मारा और जैन को रात 11:30 बजे गिरफ्तार किया. मौके से 4 लग्जरी गाड़ियां (डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट के साथ), 12 नकली पासपोर्ट, 18 फर्जी नंबर प्लेट, 44.7 लाख नकद और विदेशी मुद्रा, दर्जनों जाली मुहरें और विदेश मंत्रालय के नकली दस्तावेज बरामद हुए. कई मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त किए गए हैं.
अकेला नहीं था जालसाज?
हालांकि STF मानती है कि जैन अकेले काम करता था, लेकिन उसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन और इतने लंबे समय तक चले इस रैकेट से सवाल उठते हैं. जांच एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि क्या दुबई और लंदन में उसके पुराने साझेदार भी इस रैकेट में शामिल थे और क्या इसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी होता था.
कितने लोग बने शिकार?
पूछताछ में हर्षवर्धन ने वर्षों से यह रैकेट चलाने और कई संदिग्ध कारोबारियों के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करने की बात कबूल की है. अब STF उसकी नेटवर्किंग, विदेशी लिंक और ठगी के शिकार हुए लोगों की पहचान में जुटी है. यह स्पष्ट है कि यह मामला न केवल धोखाधड़ी का, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और फाइनेंशियल क्राइम से भी जुड़ा है.