Begin typing your search...

मुंबई ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के बरी करने के फैसले पर लगाई रोक, आरोपियों को भेजा नोटिस

2006 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लगा दी है. महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर यह आदेश आया है. हाईकोर्ट ने सबूतों को नाकाफी मानते हुए दोषियों को रिहा कर दिया था. अब पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद फिर जागी है.

मुंबई ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के बरी करने के फैसले पर लगाई रोक, आरोपियों को भेजा नोटिस
X
( Image Source:  SCI.gov.in & syedmohdmurtaza )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 24 July 2025 12:43 PM IST

मुंबई लोकल बम धमाकों के मामले में एक नया मोड़ आया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है. महाराष्ट्र सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों को नोटिस भेजा है, लेकिन उन्हें तत्काल जेल भेजने से फिलहाल इनकार कर दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि फिलहाल सिर्फ हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे मांगा जा रहा है, न कि आरोपियों की गिरफ्तारी.

11 जुलाई 2006 की शाम मुंबई की जिंदगी थम गई थी. केवल 11 मिनट में सात स्थानों पर लोकल ट्रेनों को निशाना बनाकर बम धमाके किए गए. उस वक्त दफ्तर से लौटते हजारों लोग ट्रेनों में सफर कर रहे थे. माटुंगा रोड, बांद्रा, खार रोड, माहिम, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरिवली- इन सभी स्टेशनों पर प्रेशर कुकर बम से किए गए धमाके पूरे शहर को दहला गए थे.

हाईकोर्ट का फैसला और सवाल

21 जुलाई 2024 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था. विशेष टाडा अदालत ने इनमें से 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन द्वारा पेश सबूत पुख्ता नहीं थे और संदेह का लाभ देते हुए सभी को रिहा करने का आदेश दिया गया. हालांकि, इस फैसले पर देशभर में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई थीं, विशेषकर पीड़ित परिवारों की ओर से.

किन रूटों पर सबसे ज्यादा तबाही

सात धमाकों में सबसे ज्यादा मौतें माहिम स्टेशन की लोकल ट्रेन में हुईं. चर्चगेट से बोरिवली और विरार के बीच चलने वाली ट्रेनों को बारी-बारी से निशाना बनाया गया. अकेले माहिम की लोकल में 43 लोगों की जान गई. मीरा रोड-भायंदर लोकल में 31 और अन्य ट्रेनों में क्रमशः 28, 26, 22 और 9 यात्रियों की जान गई. कुल मिलाकर 187 लोग मारे गए और 800 से ज्यादा घायल हुए.

मकोका और फर्जी सबूतों की बहस

मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत मुकदमा चला था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जांच एजेंसियों ने सबूतों के साथ जिस तरह का काम किया, वह तकनीकी रूप से कमजोर और तथ्यहीन रहा. इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि क्या सबूतों का दोबारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए, और क्या किसी नए ट्रायल की आवश्यकता है.

पीड़ितों की उम्मीद: न्याय अभी बाकी है

सुप्रीम कोर्ट की रोक से उन सैकड़ों पीड़ित परिवारों को राहत की एक उम्मीद मिली है जो अब भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं. करीब दो दशकों बाद आया हाईकोर्ट का फैसला उन्हें झटका दे गया था. अब जब मामला फिर से खुला है, तो देश की न्यायपालिका की परीक्षा एक बार फिर सामने है कि क्या 11 जुलाई की उस काली शाम को न्याय की रोशनी मिल पाएगी?

India News
अगला लेख