कौन था वह IPS, जिसने श्रीप्रकाश शुक्ला के दहशत के साम्राज्य का किया अंत?

22 सितंबर 1998... यह वह दिन है, जब गोरखपुर के डॉन और शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला की जरायम की दुनिया का अंत हुआ था. एसटीएफ ने उसे गाजियाबाद में एक एनकाउंटर में मार गिराया था. उस समय शुक्ला अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए पहुंचा था. जो शख्स एसटीएफ को लीड कर रहे थे, उनका नाम था- आईपीएस अजयराज शर्मा. आइए, आज हम उनकी जिंदगी के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं...;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 12 Feb 2025 7:01 PM IST

Who Was IPS Ajay Raj Sharma: यूपी का एक जिला है गोरखपुर... यहीं से योगी आदित्यनाथ पांच बार सांसद चुने गए... लेकिन 90 के दशक में यहां अपराध चरम पर था. अंडरवर्ल्ड डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध का पर्याय बन चुका था... यहां तक कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने तक की सुपारी ले ली थी... लेकिन फिर एक दिन उसकी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) से मुठभेड़ होती है, जिसमें वह मारा जाता है. इस दौरान एसटीएफ को लीड कर रहे थे- IPS अजय राज शर्मा.

अजय राज शर्मा को यूपी एसटीएफ का संस्थापक माना जाता है. उन्होंने यूपी से जरायम की दुनिया को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके नाम से बड़े-बड़े अपराधी कांपते थे. डाकुओं के लिए तो वे साक्षात यमराज थे... लेकिन 10 फरवरी 2025 की रात करीब साढ़े 11 बजे 80 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उन्होंने नोएडा के सेक्टर 27 में स्थित कैलाश अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्हें हृदय संबंधी बीमारी थी.

1996 बैच के थे आईपीएस अधिकारी

अजय राज शर्मा 1966 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी थे. उन्हें यूपी में एनकाउंटर का जनक माना जाता है. जब कल्याण सिंह ने श्रीप्रकाश शुक्ला का खात्मा करने के लिए एसटीएफ का गठन किया तो उन्होंने इसकी कमान अजय राज शर्मा को सौंपी. अजय ने भी उन्हें निराश नहीं किया और उनके मकसद को पूरा किया.

कई लोगों को श्रीप्रकाश शुक्ला ने उतारा मौत के घाट

श्रीप्रकाश शुक्ला ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा, जिसमें बिहार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद, अमीनाबाद के विवेक श्रीवास्तव, सब इंस्पेक्टर आरके सिंह और वीरेंद्र शाही शामिल हैं. कहा जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला बिहार के मोकामा से निर्दलीय विधायक रहे सूरजभान को अपना गुरु मानता था. वह गोरखपुर से निकलने वाले रेलवे के ठेकों को सूरजभान को दिलाने में मदद करता था.

कैसे शुक्ला तक पहुंची एसटीएफ?

अजय राज शर्मा के नेतृत्व में एसटीएफ लगातार उस पर नजर रख रही थी. उसने फोन से जानकारी निकालकर एक प्लान तैयार किया. गाजियाबाद में जब वह 22 सितंबर 1998 को अपनी प्रेमिका से मिलने पहुंचा तो एसटीएफ ने उसे चारों तरफ से घेर लिया और उसे मौत के घाट उतार दिया. पुलिस रिकॉर्ड्स में उसका नाम श्री प्रकाश शुक्ला और अशोक सिंह दर्ज है. उसका जन्म 6 अक्टूबर 1973 को गोरखपुर में हुआ था.

मिर्जापुर में हुआ अजय राज शर्मा का जन्म

अजय राज शर्मा का जन्म मिर्जापुर के एक जमींदार परिवार में हुआ था. उन्होंने बचपन से ही पुलिस में जाने का सपना था. उनकी शुरुआती पढ़ाई देहरादून के सेंट जोसेफ एकेडमी में हुई. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद के क्रिश्चियन पब्लिक स्कूल से 12 वीं पास करने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया.

पहले ही प्रयास में बने आईपीएस

अजय राज शर्मा ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर लिया. वे 1966 में यूपी कैडर में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने ऐसे-ऐसे कारनामे किए कि उनके नाम का डंका बजने लगा. उनकी पहली पोस्टिंग चंबल के बीहड़ में हुई, जहां डाकुओं की दहशत थी. उस दौरान एक महिला डाकू ने एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी. इससे उन्हें गहरा धक्का लगा. जब 4 साल बाद उन्हें दोबारा बीहड़ में भेजा गया तो उन्होंने लज्जाराम पंडित और कुंवरजी गडरिया जैसे कुख्यात डाकुओं को 22 घंटे की लंबी मुठभेड़ के बाद मार गिराया. यह यूपी में पहला बड़ा एनकाउंटर था. इस घटना के बाद डाकुओं के मन में यूपी पुलिस का खौफ पैदा हो गया.

दिल्ली पुलिस के बने कमिश्नर

अजय राज शर्मा को दिल्ली पुलिस कमिश्नर भी बनाया गया. उन्हें तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने यूपी कैडर से केंद्र में लाए. उन्होंने इसके लिए नियमों में संशोधन भी किया था. वे बीएसएफ में डीजी

मैच फिक्सिंग का किया खुलासा

साल 2000 में पहली बार मैच फिक्सिंग का पता चला. अजय राज शर्मा उस समय दिल्ली के पुलिस कमिश्नर थे. उस समय दिल्ली के ही एक बिजनेसमैन को फोन कॉल पर लगातार फिरौती की धमकी मिल रही थी. इस पर अजय राज ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगाया. एक टीम रोज उस नंबर पर होने वाली बातचीत को सुनती थी. एक दिन उस नंबर पर साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम के कप्तान हैंसी क्रोनिए की आवाज सुनाई दी. उस समय साउथ अफ्रीका की टीम भारत में वनडे सीरीज खेल रही थी.

सर्विलांस के जरिए पता चला कि उस नंबर पर दुबई से फोन किया गया था. दोनों के बीच फोन पर ही झगड़ा होने लगा. इस दौरान लंदन के एक अकाउंट में पैसे डलवाने का भी जिक्र सामने आया. दोनों की बातचीत के दौरान एक शख्स यह भी कहते हुए सुना गया कि हमने कई कैच दिए, लेकिन वो पकड़ ही नहीं पाए. पुलिस लगातार इस नंबर पर हो रही बातचीत पर नजर रख रही थी.  उसने कुछ लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ, जिससे मैच फिक्सिंग का खुलासा हुआ. 

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