इतिहास की जानकारी का अभाव या कुछ और! इस रेलवे स्टेशन पर औरंगजेब समझकर बहादुरशाह जफर की फोटो पर पोती कालिख

गाजियाबाद से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. यहां के रेलवे स्टेशन पर हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की समझकर अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर की फोटो पर कालिख पोत दी. इस दौरान उन्होंने 'जय श्री राम' के नारे भी लगाए. उनका उद्देश्य औरंगजेब की पेंटिंग को हटवाना था, लेकिन पहचान में हुई गलती के कारण बहादुर शाह जफर की पेंटिंग को नुकसान पहुंचाया गया.;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 18 April 2025 7:05 PM IST

Bahadur Shah Zafar's Painting Blackened: गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर 18 अप्रैल को एक विवादास्पद घटना सामने आई, जब हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने एक पेंटिंग पर कालिख पोत दी. उनका मानना था कि यह पेंटिंग मुगल शासक औरंगजेब की है, जिसे वे 'मुस्लिम आक्रांता' मानते हैं. हालांकि, बाद में रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वह पेंटिंग वास्तव में बहादुर शाह जफर की थी, जो अंतिम मुगल सम्राट थे.

यह घटना गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर हुई, जहां सौंदर्यीकरण परियोजना के तहत कई ऐतिहासिक महापुरुषों की पेंटिंग्स बनाई गई थीं, जिनमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे, और बहादुर शाह जफर शामिल हैं.

'जय श्री राम' के लगाए नारे

हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने पेंटिंग पर कालिख पोतने के साथ-साथ 'जय श्री राम' के नारे भी लगाए और विरोध प्रदर्शन किया. उनका उद्देश्य औरंगजेब की पेंटिंग को हटवाना था, लेकिन पहचान में हुई गलती के कारण बहादुर शाह जफर की पेंटिंग को नुकसान पहुंचाया गया.

रेलवे प्रशासन ने क्या कहा?

रेलवे प्रशासन ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पेंटिंग्स का उद्देश्य ऐतिहासिक महत्व के व्यक्तित्वों को सम्मान देना था, न कि किसी समुदाय विशेष को आहत करना. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.

इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, जहां लोग इतिहास की सही जानकारी के अभाव और सांप्रदायिक तनाव को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. बहादुर शाह जफर, जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, की पेंटिंग को नुकसान पहुंचाना कई लोगों के लिए दुखद और अस्वीकार्य है. यह घटना न केवल इतिहास की सही समझ के महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सांप्रदायिक भावनाओं के चलते कैसे गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं और समाज में तनाव का कारण बन सकती हैं. 

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