'52 जुम्मे बनाम 1 होली' वाले बयान में गलत क्या? संभल CO अनुज चौधरी को क्लीन चिट, पुलिस ने कही यह बात...
“होली साल में एक बार आती है, जुम्मा 52 बार…”, इस बयान से चर्चाओं में आए संभल के CO अनुज चौधरी को अब पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है. शिकायतकर्ता पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर का आरोप था कि ये बयान धार्मिक भावनाएं आहत करता है. लेकिन में पाया गया कि CO चौधरी के बयान में आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ.

होली बनाम जुम्मा वाले बयान से सुर्खियों में आए उत्तर प्रदेश के संभल सर्किल ऑफिसर (CO) अनुज चौधरी को पुलिस विभाग ने क्लीन चिट दे दी है. जांच में कहा गया है कि उनके बयान में पुलिस आचरण नियमों का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया. CO चौधरी ने मार्च में शांति समिति की बैठक में कहा था, ''होली साल में एक बार आती है, जुम्मा 52 बार. अगर सेवई बांटनी है, तो गुजिया भी खानी पड़ेगी.'' इस पर पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे अब पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया है.
क्या कहा था CO चौधरी ने?
6 मार्च को मीडिया से बात करते हुए चौधरी ने कहा था कि होली एक साल में सिर्फ एक बार आती है, जबकि जुम्मा हर हफ्ते. उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की थी कि यदि रंगों से परहेज़ है तो होली वाले दिन घर के अंदर रहें. और अगर बाहर निकलें तो 'दिल बड़ा रखें', क्योंकि रंग गिर सकता है.
जांच में क्या निकला?
पुलिस अधीक्षक (क़ानून व्यवस्था) की रिपोर्ट के मुताबिक न तो CO ने भड़काऊ भाषा का प्रयोग किया और न ही किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरी टिप्पणी की. समिति के सदस्यों और स्थानीय नागरिकों के बयान भी लिए गए, जिसमें किसी ने आपत्ति नहीं जताई.
मामले की राजनीतिक गूंज
इस बयान के बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक CO चौधरी की आलोचना और समर्थन दोनों ही हुए. जहां कुछ लोग इसे 'हिंदू त्योहारों के सम्मान' से जोड़कर समर्थन में खड़े हुए, वहीं कुछ ने इसे 'धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़' बताया.
कौन हैं CO अनुज चौधरी
उत्तर प्रदेश पुलिस के तेजतर्रार अफसरों में गिने जाने वाले CO अनुज चौधरी की पहचान सिर्फ उनकी वर्दी तक सीमित नहीं है. वो अखाड़े के भी दिग्गज रहे हैं. मुजफ्फरनगर के बहेड़ी गांव में 5 अगस्त 1980 को जन्मे अनुज चौधरी पहले एक नामी पहलवान थे. 2002 और 2010 के नेशनल गेम्स में दो सिल्वर मेडल और एशियन चैंपियनशिप में दो ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं. उनकी ताकत और तकनीक को 2001 में लक्ष्मण अवॉर्ड और 2005 में अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया. खेलों में झंडे गाड़ने के बाद 2012 में उन्होंने पुलिस सेवा में एंट्री ली, वो भी खेल कोटे से सीधे डिप्टी एसपी के तौर पर. तभी से वो कानून के अखाड़े में भी फुल फॉर्म में हैं.
कभी ‘सिंघम’, कभी ‘विवादों के केंद्र’
CO चौधरी की छवि एक दमदार, फिट और स्ट्रिक्ट अफसर की है. मैदान हो या मोर्चा—वो हमेशा तैयार रहते हैं. जनता उन्हें "संभल का सिंघम" भी कहती है. लेकिन हालिया दिनों में वो सुर्खियों में तब आए जब होली और जुम्मे को लेकर उनका बयान वायरल हो गया. बयान पर बवाल मचा, शिकायत हुई और पुलिस जांच बैठाई गई. मगर जांच रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट मिल गई. मामला शांत होता उससे पहले उनके पिता का बयान सामने आया—जिसमें उन्होंने दावा किया कि अनुज चौधरी को जान का खतरा है. उनका कहना है कि कुछ ताकतवर लोग उनके बेटे के खिलाफ साजिश रच रहे हैं. इसलिए उन्होंने सरकार से सुरक्षा की मांग की है.