फर्जी दूतावास ही नहीं, हर्षवर्धन ने विदेश में खोली नई ईस्ट इंडिया कंपनी; चंद्रास्वामी के करीबी एहसान अली के इशारे पर चलता था नेटवर्क
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गाजियाबाद के कवि नगर इलाके में एक फर्जी दूतावास ऑपरेशन का भंडाफोड़ किया है, जिसका मास्टरमाइंड 47 वर्षीय हर्षवर्धन जैन निकला. जैन खुद को वेस्टआर्कटिका, सेबोर्गा, पौल्विया और लाडोनिया जैसे खुद-घोषित माइक्रोनेशन का राजदूत बताता था. उसने फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियां, नकली दस्तावेज़ और विदेशी संपर्कों के नाम पर लोगों को नौकरियों और विदेश में डील दिलाने के नाम पर ठगा.;
Harshvardhan Jain fake embassy: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गाजियाबाद में चल रहे एक फर्जी दूतावास रैकेट का पर्दाफाश करते हुए चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड 47 वर्षीय हर्षवर्धन जैन बताया जा रहा है, जो खुद को वेस्टार्कटिका, सेबोर्गा, पॉल्विया और लाडोनिया जैसे काल्पनिक माइक्रोनेशनों का 'राजदूत' बताकर लोगों को धोखा देता था.
STF की जांच में सामने आया है कि हर्षवर्धन ने विदेशों में कई फर्जी कंपनियां बनाई थीं, जैसे East India Company UK Ltd (यूके), Indira Overseas Ltd (मॉरिशस), Island General Trading Co LLC (दुबई), और Cameron Ispat Sarl (अफ्रीका). इन शेल कंपनियों के जरिए वह हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देता था.
एहसान अली सैयद से मिली नेटवर्क चलाने की प्रेरणा
पूछताछ के दौरान हर्षवर्धन ने बताया कि उसे यह नेटवर्क चलाने की प्रेरणा एहसान अली सैयद से मिली, जो कुख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी का करीबी रहा है. मूलतः हैदराबाद निवासी एहसान अब तुर्की नागरिक है और लंदन में रहते हुए हर्षवर्धन को शेल कंपनियां खड़ी करने में मदद करता था. 2008 से 2011 के बीच एहसान ने करीब 70 मिलियन पाउंड के फर्जी लोन हासिल किए और 25 मिलियन पाउंड बतौर कमीशन लेकर फरार हो गया. 2022 में स्विस सरकार के अनुरोध पर लंदन पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और 2023 में कोर्ट ने उसे स्विट्जरलैंड प्रत्यर्पित कर दिया.
कई बैंक खातों के दस्तावेज बरामद
STF ने हर्षवर्धन जैन के कब्जे से भारत और विदेशों में मौजूद कई बैंक खातों के दस्तावेज बरामद किए हैं, जो अब जांच के दायरे में हैं. गाजियाबाद के कविनगर थाने में उसके खिलाफ कई धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है. STF अब उसकी हिरासत की मांग कर रही है ताकि नेटवर्क की गहराई से जांच की जा सके.
आलीशान बंगले से ऑपरेट हो रहा था फर्जी दूतावास रैकेट
यह फर्जी दूतावास रैकेट हर्षवर्धन के कविनगर स्थित आलीशान बंगले से ऑपरेट हो रहा था, जिसमें 'राजनयिक' नंबर प्लेट लगी लग्जरी कारें, नकली दस्तावेज, और फर्जी अंतरराष्ट्रीय संपर्कों के जरिए लोगों को विदेशों में नौकरी, व्यापारिक सौदे और उच्च संपर्क दिलाने का झांसा दिया जाता था. इसके बदले में वह भारी भरकम कमीशन वसूलता था.