ISI की गोद से लेकर छांगुर बाबा का पाक प्रेम अब दुनिया के सामने बेनकाब? नेपाल यात्रा के पीछे निकला खुफिया खेल!
छांगुर बाबा को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जहां सूत्रों के मुताबिक बाबा नेपाल गया था, ताकि वहां वह ISI से कनेक्शन बना सके, ताकि वह महिलाओं का धर्म परिवर्तन कर नेपाल में स्लीपर सेल्स और आईएसआई के एंजेट से शादी करवा सके.;
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से शुरू हुई यह कहानी अब एक अंतरराष्ट्रीय साजिश की शक्ल ले चुकी है. स्वयंभू धर्मगुरु जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, जो कभी एक रहस्यमय आध्यात्मिक शख्सियत के रूप में जाना जाता था, आज देश की सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर है.
पहली बार जब उसका नाम एक बहु-राज्यीय धर्मांतरण रैकेट में सामने आया, तब इसे सिर्फ एक संगठित अपराध माना गया. लेकिन जैसे-जैसे परतें खुलती गईं, यह मामला न केवल अवैध धर्मांतरण तक सीमित रह गया, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे में बदल गया.
नेपाल की यात्रा और ISI का जाल
हाल ही में छांगुर बाबा की नेपाल की राजधानी काठमांडू यात्रा ने कई चौंकाने वाले सवाल खड़े कर दिए हैं. यह यात्रा किसी धार्मिक अनुष्ठान या साधु-संत की साधना के लिए नहीं थी. असल मकसद था पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI के साथ सीधे संपर्क स्थापित करना.
सूत्रों के अनुसार, छांगुर बाबा की योजना बेहद घातक थी. भारत में जबरन धर्मांतरित की गई हिंदू महिलाओं की शादी नेपाल में सक्रिय ISI एजेंटों और स्लीपर सेल के सदस्यों से कराना चाहता था. ये महिलाएं अपने परिवारों से कट चुकीं थीं और खुद भी इस बड़े अंतरराष्ट्रीय जाल की गिरफ्त में थीं. बिना यह जाने कि वे किस भंवर में फंसी हैं.
काठमांडू में हुई बैठक
काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास में हाल ही में हुई एक बैठक ने इस साजिश के पन्ने खोल दिए. इस बैठक में पाकिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि और ISI के अधिकारी मौजूद थे, जिन्होंने भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र का भी दौरा किया. यह बैठक इस पूरे कनेक्शन की गंभीरता को और गहरा करती है.
स्थानीय धार्मिक नेता की मदद
छांगुर बाबा की योजना थी कि नेपाल में एक स्थानीय धार्मिक नेता की मदद से पाकिस्तानी दूतावास में प्रवेश कर वह सीधे ISI के संपर्क में आए, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होने की वजह से यह योजना पूरी तरह सफल नहीं हो सकी और अधूरी रह गई
बढ़नी में अड्डा और रोहिंग्या की नई साजिश
जांच अधिकारियों के सामने एक ऐसी योजना का खुलासा हुआ है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है. छांगुर बाबा, जो पहले ही कई आरोपों के घेरे में है. उत्तर प्रदेश के बढ़नी क्षेत्र में एक स्थायी अड्डा स्थापित करने की फिराक में था, लेकिन उसकी योजना यहीं खत्म नहीं हुई. उसकी अगली चाल बेहद भयावह थी. रोहिंग्या शरणार्थियों को नेपाल की सीमा पार कर भारत लाना, उन्हें हिंदू समुदाय का दिखावा करना और फिर उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित कर देना. एक बड़े और सुनियोजित नेटवर्क के जरिए ये सारे कदम उठाए जाने वाले थे.
यह नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्यों के जिलों तक फैला हुआ था. इस गुप्त गतिविधि का दिल माना जा रहा था नेपाल सीमा से सटा बलरामपुर के उतरौला क्षेत्र को, जो इस पूरे रैकेट का प्रमुख केंद्र बन चुका था.
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन और फंडिंग
छांगुर बाबा के नेटवर्क की जड़ें सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं थीं. जांच में सामने आया कि उसके संबंध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले हुए थे। उसके संपर्क सऊदी अरब के इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, मुस्लिम वर्ल्ड लीग, दावत-ए-इस्लामी और नेपाल स्थित इस्लामिक यूनियन जैसे बड़े और प्रभावशाली संगठनों से जुड़े थे. इन संस्थाओं के जरिए छांगुर को भारी मात्रा में फंडिंग मिलती थी, जो सीधे धर्मांतरण की गतिविधियों में खर्च की जाती थी. यह फंडिंग उसकी योजनाओं को साकार करने की ताकत बनी, जिससे उसका रैकेट न सिर्फ तेजी से फैल सका, बल्कि एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा बन गया.
जब अंदरूनी आदमी ही मुखबिर बन गया
इस मामले में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब छांगुर बाबा के सबसे करीबी सहयोगी मोहम्मद अहमद खान ने खुद सामने आकर सच की परतें खोलनी शुरू कर दीं. आजतक से बातचीत में खान ने कहा कि 'मैं खुद छांगुर बाबा से परेशान था। उसने मेरे नाम पर करोड़ों की ज़मीन जबरन हड़प ली थी. खान ने बताया कि वह बाबा के सैकड़ों करोड़ के लेन-देन में साझेदार था, लेकिन धीरे-धीरे उसे उस गिरोह की सच्चाई का एहसास हुआ. उसने खुलासा किया कि छांगुर बाबा एक खतरनाक गैंग 'रब्बानी गिरोह' का सरगना था, जो लोगों की जमीनें हथियाता, फर्जी दस्तावेज बनाता और धमकियां देता था.
यह गिरोह इतना संगठित था कि इसके तार उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के गुर्गों तक जुड़े हुए थे. मोहम्मद अहमद खान के इन खुलासों ने इस मामले की तह तक जाने की राह खोल दी है, जिससे कई राज़ उजागर होने बाकी हैं.
यूपी रक्षा परिषद में घुसपैठ
खान के अनुसार, बाबा की गिरफ्तारी से ठीक पहले, रब्बानी गिरोह का एक सदस्य उत्तर प्रदेश रक्षा परिषद में भी शामिल हो गया था. यह एक और संकेत था कि गिरोह सिर्फ जमीन-जायदाद तक सीमित नहीं था, बल्कि प्रशासनिक ढांचे में भी पैठ बना चुका था.
ATS की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए कमर कस ली है. एजेंसी का कहना है कि छांगुर बाबा पर 1,500 से ज़्यादा हिंदू महिलाओं और हज़ारों अन्य गैर-मुस्लिमों को जबरदस्ती या प्रलोभन देकर इस्लाम में धर्मांतरित करने का आरोप है. अब यह महज़ एक धर्मांतरण का मामला नहीं रहा. यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक ताने-बाने और सीमा पार साजिशों का संगीन मामला बन चुका है.