कौन हैं बीजेपी नेता सूर्यकांत और शशिकांत जिनकी कंपनी ने किया 100 करोड़ से ज्यादा का घोटाला?
बरेली-बदायूं में 'अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड' नामक कंपनी ने RD और FD स्कीम में मोटा मुनाफा देने का झांसा देकर करीब 15,000 लोगों से 100 करोड़ रुपये जुटाए. भाजपा नेता सूर्यकांत मौर्य और उनके भाई पर कंपनी बंद कर फरार होने का आरोप है. सैकड़ों महिलाएं और पुरुष अपना पैसा मांगते हुए सड़कों पर उतर आए हैं.;
बरेली और बदायूं जिलों में संचालित ‘अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड’ नाम की वित्तीय संस्था पर अब तक के सबसे बड़े ग्रामीण निवेश घोटालों में से एक का आरोप लगा है. आरडी और एफडी योजनाओं में ज्यादा ब्याज का लालच देकर कंपनी ने करीब 15,000 लोगों से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा कर ली. लेकिन अचानक कंपनी ने अपने दफ्तर बंद कर दिए और अब निवेशकों को उनका पैसा लौटाया नहीं जा रहा है. जैसे ही यह खबर फैली, सैकड़ों महिलाएं और पुरुष सड़क पर उतर आए.
बरेली में कंपनी के निदेशक और भाजपा नेता सूर्यकांत मौर्य के आवास पर भारी भीड़ जुट गई. कई महिलाएं रोते हुए बताती रहीं कि उन्होंने शादी-ब्याह के लिए, बच्चों की पढ़ाई के लिए या बुजुर्गों की देखभाल के लिए पूंजी जमा की थी. कुछ लोगों ने जमीनें बेचीं, तो कुछ ने सोना गिरवी रखकर निवेश किया था. बदायूं में भी कंपनी के दफ्तर के बाहर आक्रोशित लोगों ने प्रदर्शन किया. कई लोगों ने कहा कि जब कोई राजनेता कंपनी से जुड़ा हो, तो जनता का भरोसा खुद-ब-खुद बन जाता है.
कौन हैं सूर्यकांत मौर्य?
सूर्यकांत मौर्य उत्तर प्रदेश भाजपा संगठन में बरेली महानगर मंत्री पद पर कार्यरत रहे हैं. राजनीति में उनकी पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता और संगठनकर्ता के रूप में बनी, लेकिन अब उनका नाम इस बहुचर्चित घोटाले से जुड़ गया है. कंपनी के निदेशक मंडल में उनके भाई शशिकांत मौर्य भी शामिल हैं, जिनका नाम पहले से स्थानीय स्तर पर व्यापारिक गतिविधियों से जुड़ा रहा है.
राजनैतिक छवि का इस्तेमाल
निवेशकों ने आरोप लगाया है कि मौर्य बंधुओं ने अपने राजनीतिक रसूख का लाभ उठाते हुए जनता का भरोसा जीता. कंपनी के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ तस्वीरें लगाई गईं, जिससे लोगों को यह यकीन दिलाया गया कि यह एक भरोसेमंद और सरकारी मान्यता प्राप्त संस्था है. कई निवेशकों ने बताया कि उन्होंने इसलिए पैसा लगाया क्योंकि उन्हें लगा कि भाजपा नेताओं के रहते कोई धोखाधड़ी नहीं होगी.
भगोड़ा प्रबंधन और निष्क्रिय प्रशासन
कंपनी के दोनों निदेशक शशिकांत और सूर्यकांत अब फरार हैं. दफ्तरों को रातों-रात खाली कर दिया गया, और घरों के बाहर से नामपट्ट और पदवाले बोर्ड तक हटा दिए गए. पुलिस फिलहाल कह रही है कि जब तक तहरीर नहीं मिलती, वह कार्रवाई नहीं कर सकती. हालांकि, तीन एजेंटों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है और अधिकारियों का दावा है कि निदेशकों की तलाश जारी है.
न्याय की आस और डर की दीवार
इस घोटाले ने न सिर्फ आर्थिक संकट पैदा किया है, बल्कि जनता के मन में यह डर भी बैठा दिया है कि अगर राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग ही इस तरह जनता को धोखा देंगे, तो फिर शिकायत सुनने वाला कौन है. निवेशक मांग कर रहे हैं कि इस मामले में निष्पक्ष और तेज़ जांच हो, और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए. साथ ही, यह घटना बताती है कि वित्तीय संस्थाओं पर निगरानी और राजनीतिक जिम्मेदारी दोनों को मजबूत करने की सख्त जरूरत है.