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भाजपा नेता की कंपनी ने लूट ली खून-पसीने की कमाई! 100 करोड़ का घोटाले के बाद बवाल जारी

उत्तर प्रदेश से एक और बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड सामने आया है, जिसने हज़ारों परिवारों को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है. एक निजी फाइनेंस कंपनी ने ‘डबल पैसा, तगड़ा मुनाफा’ का सपना दिखाकर लगभग 15,000 निवेशकों से करीब 100 करोड़ रुपये ठग लिए और अब कंपनी के निदेशक और मैनेजर फरार हो चुके हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले की आंच अब एक भाजपा मंत्री तक पहुंच चुकी है, जिन पर कंपनी को राजनीतिक संरक्षण देने के गंभीर आरोप लग रहे हैं.

भाजपा नेता की कंपनी ने लूट ली खून-पसीने की कमाई! 100 करोड़ का घोटाले के बाद बवाल जारी
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 31 May 2025 11:19 PM

उत्तर प्रदेश से एक और बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड सामने आया है, जिसने हज़ारों परिवारों को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है. एक निजी फाइनेंस कंपनी ने ‘डबल पैसा, तगड़ा मुनाफा’ का सपना दिखाकर लगभग 15,000 निवेशकों से करीब 100 करोड़ रुपये ठग लिए और अब कंपनी के निदेशक और मैनेजर फरार हो चुके हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले की आंच अब एक भाजपा मंत्री तक पहुंच चुकी है, जिन पर कंपनी को राजनीतिक संरक्षण देने के गंभीर आरोप लग रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?

बदायूं में 'आर.एस. वेल्थ फाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड' नाम की एक फाइनेंस कंपनी पिछले तीन साल से एक्टिव थी. कंपनी ने छोटे शहरों और गांवों के लोगों को महज 1 साल में 1.5 गुना रिटर्न देने का लालच देकर फिक्स्ड डिपॉजिट, आरडी और मंथली स्कीम्स में पैसा जमा कराया. शुरू में कुछ लोगों को मुनाफा देकर भरोसा जीता गया, लेकिन फिर अचानक कंपनी का ऑफिस बंद हो गया और अधिकारी लापता हो गए.

निवेशकों की चीख-पुकार

15,000 से ज़्यादा निवेशकों में से ज़्यादातर किसान, मजदूर, शिक्षक और रिटायर्ड बुज़ुर्ग हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी की जमा पूंजी लगा दी थी. कई लोगों ने अपनी बेटियों की शादी के लिए पैसे जमा किए थे, तो कुछ ने इलाज के लिए, अब जब सब कुछ डूब गया है, तो गुस्सा फूट पड़ा है. निवेशकों ने बदायूं एसपी ऑफिस का घेराव किया, थाने में तहरीर दी, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.

मंत्री का नाम क्यों आ रहा सामने?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कंपनी के डायरेक्टर का भाजपा के एक प्रभावशाली मंत्री से नज़दीकी रिश्ता था. यही वजह है कि कंपनी धड़ल्ले से चलती रही और कोई सरकारी जांच नहीं हुई. पीड़ितों का दावा है कि कंपनी के प्रमोशनल इवेंट्स में मंत्री खुद मुख्य अतिथि बनकर आए थे और लोगों को निवेश के लिए प्रेरित किया था.

पुलिस की चुप्पी और राजनीति की गर्मी

बदायूं पुलिस अब तक सिर्फ जांच की बात कर रही है. एफआईआर दर्ज हो चुकी है लेकिन कंपनी के कर्ता-धर्ता अभी भी फरार हैं. विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर योगी सरकार को घेरा है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा पर "घोटालेबाजों को संरक्षण देने" का आरोप लगाया है. वहीं, मंत्री ने अभी तक कोई सार्वजनिक सफाई नहीं दी है.

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