ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिलाओं का अक्सर होता है यौन उत्पीड़न... इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकारों का अक्सर यौन उत्पीड़न और शोषण होता है. उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करना सुनिश्चित करना चाहिए. अदालत ने कहा कि ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिलाएं भी सम्मान की हकदार हैं. उन्हें भी सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, क्योंकि कलाकारों की गरिमा उनकी कला में निहित है.;
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. उच्च न्यायालय ने कहा कि ऑर्केस्ट्रा में डांसरों और सिंगरों के रूप में काम करने वाली महिला कलाकार अक्सर यौन उत्पीड़न और शोषण का शिकार होती हैं. उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करना चाहिए.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि सामाजिक धारणाएं कभी-कभी उनके बुनियादी मानवाधिकारों को कमजोर करती हैं. सात ही, इन कलाकारों को वासना की वस्तु बना देती हैं. उनके प्रति इस तरह का रवैया लैंगिक आधारित हिंसा को बढ़ावा देता है और ऐसी महिला कलाकारों की गरिमा को छीन लेता है.
'ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाले कलाकार भी सम्मान के हकदार'
पीठ ने कहा कि ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाले कलाकार भी सम्मान के हकदार हैं और उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, क्योंकि कलाकारों की गरिमा उनकी कला में निहित है. इसलिए यह आयोजक की जिम्मेदारी है कि महिला कलाकारों के कार्यस्थल और वातावरण सुरक्षित और सम्मानजनक हों. पीठ ने कहा कि यह सभी का दायित्व है कि ऐसा माहौल बनाया जाए, जहां हर कलाकार बिना किसी डर और धमकी के परफॉर्मेंस कर सके, क्योंकि वे समाज में संस्कृति, रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के पथप्रदर्शक हैं.
ऑर्केस्ट्रा आयोजक को जमानत देने से कोर्ट ने किया इनकार
बता दें कि हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी ऑर्केस्ट्रा पार्टी का आयोजन करने वाले एक शख्स को जमानत देने से इनकार करते हुए की. इस शख्स पर ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकार से छेड़छाड़ करने और फिर उसे दुष्कर्म और जान से मार डालने की धमकी देने का आरोप है.
आरोपी शख्स को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (दुष्कर्म), 332 बी (अपराध करने के लिए घर में घुसना), 352 ( शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 351 3 (आपराधिक धमकी) के तहत पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. उसने जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था.
यूपी राज्य की ओर से पेश AGA ने तर्क दिया कि आवेदक ऑर्केस्ट्रा पार्टी का आयोजक है. पीड़िता एक डांसर के रूप में काम करती थी. उसका कृत्य और आचरण, जैसा कि पीड़िता ने एफआईआर में और साथ ही धारा 180 और 183 बीएनएसएस के तहत अपने बयानों में बताया है, जघन्य प्रकृति का है. इसलिए, यह तर्क दिया गया कि आवेदक की जमानत याचिका खारिज किए जाने योग्य है.
इस पर कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला डांसर का आयोजक द्वारा यौन शोषण से संबंधित है. यह मामला समाज में विकृत लैंगिक यौन हिंसा की एक गंभीर याद दिलाता है.