लंबे इंतजार के बाद रामपुर में हुई अखिलेश और आजम की मुलाकात, हाथ मिलाया और फिर भर आईं सपा प्रमुख की आंखें
रामपुर में लंबे इंतजार के बाद हुई अखिलेश यादव और आजम खान की भावुक मुलाकात, जहां दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और इस पल ने सपा प्रमुख की आंखें भर आईं. यह मुलाकात राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों ही मायनों में खास रही, जो सपा के भविष्य के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है.;
रामपुर में बुधवार को राजनीतिक हलकों में एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने समाजवादी पार्टी के समर्थकों का दिल छू लिया. वरिष्ठ नेता आजम खान और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के लंबे इंतजार के बाद यह मुलाकात हुई, और दोनों नेताओं के बीच की पुरानी नजदीकियों और सम्मान का एहसास साफ झलक रहा था.
जब आजम खान ने अखिलेश से मुलाकात की, तो उनकी आंखें भर आईं और उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया. वहीं, अपनी इस मुलाकात पर अखिलेश ने कहा कि 'मैं आजम खान साहब से मिलने आया हूं. वे हमारे बहुत वरिष्ठ नेता हैं, उनका प्रभाव हमेशा हमारे साथ रहा है. यह एक बड़ी लड़ाई है, और हम सब मिलकर इसे लड़ेंगे.'
हेलीकॉप्टर से पहुंचे अखिलेश
बरेली में हुई हिंसा के चलते प्रशासन ने अखिलेश यादव को शहर में दाखिल होने की मंजूरी नहीं थी. इसलिए उन्होंने सीधे बरेली एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर पकड़कर रामपुर का रास्ता लिया. जहां जौहर विश्वविद्यालय के हेलिपैड पर आजम खान ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया. जैसे ही दोनों मिले, माहौल अचानक ही भावुक और गर्मजोशी से भर गया.
एक ही कार में घर तक का सफर
मुलाकात के बाद आजम खान और अखिलेश यादव एक ही कार में अपने आवास की ओर रवाना हुए, और रास्ते भर दोनों नेताओं के बीच बातचीत का सिलसिला चलता रहा. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ दिल से हुई मुलाकात नहीं थी, बल्कि इसके पीछे पार्टी के संगठनात्मक और चुनावी रणनीतियों की परतें भी मौजूद थीं. आजम खान की जेल से रिहाई के बाद यह पहला मौका था जब दोनों नेता आमने‑सामने आए, और यह बैठक दोनों के बीच विश्वास और सहयोग की नई शुरुआत के रूप में देखी जा रही है.
परिवार और दोनों की बातें
आजम खान के साथ उनका पूरा परिवार भी वहां मौजूद था, और माहौल गर्मजोशी और सहजता से भरा रहा. दोनों नेताओं के बीच बातचीत लगातार चलती रही, जिसमें पुराने दिनों की यादें और आपसी समझ झलकती रही. इस मुलाकात ने साफ कर दिया कि व्यक्तिगत मतभेदों के बावजूद उनके बीच गहरा भरोसा और सम्मान अब भी कायम है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सिर्फ निजी भावनाओं की घड़ी नहीं थी, बल्कि आने वाले चुनाव और पार्टी की संगठनात्मक रणनीतियों पर भी इसका असर पड़ सकता है.
अखिलेश-आजम के मिलने का मतलब?
रामपुर में हुई इस मुलाकात ने समाजवादी पार्टी के समर्थकों के लिए एक साफ और सकारात्मक संदेश दिया. पुराने गिले‑शिकवे भुलाकर आजम खान और अखिलेश यादव का हाथ मिलाना, और खुलकर भावनाओं का आदान‑प्रदान करना, पार्टी के भीतर नई ऊर्जा और भरोसे का प्रतीक बन गया है. राजनीतिक माहौल में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह व्यक्तिगत और राजनीतिक रिश्ता पार्टी की दिशा और आगामी रणनीतियों पर किस तरह असर डालता है.