राम मंदिर के शिखर पर लगेगा दिव्य ध्वज, किसका प्रतीक है सूर्य-ॐ-कोविदार वृक्ष? जानिए इसकी खासियत - 10 Pointers

अयोध्या के राम मंदिर में आज पहली बार राम-सीता विवाह उत्सव के साथ भव्य ध्वजारोहण होगा. करीब 191 फीट की ऊंचाई पर फहराया जाने वाला यह केसरिया ध्वज सूर्यवंश की परंपरा, सनातन शक्ति और रामायण की गहराई को दर्शाता है. पैराशूट-ग्रेड नायलॉन से बना यह ध्वज 4 किलोमीटर दूर से दिखाई देगा और 200 किमी/घंटा की हवा को भी झेल सकता है. सूर्य, ‘ॐ’ और कोविदार वृक्ष से अंकित यह ध्वज आस्था का सर्वोच्च प्रतीक बनेगा.;

( Image Source:  X/myogiadityanath )
Edited By :  नवनीत कुमार
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अयोध्या आज एक ऐतिहासिक अध्याय लिखने जा रही है. प्रभु श्रीराम और माता सीता के पावन विवाहोत्सव पर पहली बार भव्य समारोह का आयोजन होगा, जिसमें संपूर्ण विश्व के रामभक्तों की आस्था और उत्साह साक्षात दिखाई देगा. इस शुभ अवसर पर राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण होगा. वह ध्वजा, जो सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की श्रद्धा, परंपरा और सांस्कृतिक शान का प्रतीक है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ध्वज को एक बटन दबाकर ऊंचाइयों पर लहराएंगे और यह इतिहास की उस अमिट छाप में बदल जाएगा, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी गर्व से याद करेंगी.

161 फीट ऊंचे शिखर और 30 फीट ऊंचे ध्वजदंड की संयुक्त 191 फीट ऊंचाई पर फहरने वाला यह केसरिया ध्वज कई मायनों में विशेष है. सूर्यवंशीय परंपरा, अयोध्या के इतिहास और रामायण की आत्मा को अपने भीतर समेटे इस ध्वजा पर ‘ॐ’ का तेज, सूर्य का तेजस्वी चिह्न और कोविदार वृक्ष की मर्यादा एक साथ झलकती है. यह ध्वज इतना विशाल और अद्भुत है कि 4 किलोमीटर दूर से ही दर्शन देगा, मानो हर एक भक्त को आशीर्वाद देता हुआ प्रभु श्रीराम स्वयं उस पर विराजमान हों.

राम मंदिर ध्वजा की खासियत

  1. केसरिया रंग का दिव्य प्रतीक: ध्वज का केसरिया रंग वीरता, धर्म-रक्षा, बलिदान और सनातन संस्कृति की आध्यात्मिक ऊर्जा का द्योतक है, जो राम मंदिर के शिखर पर निरंतर उजाला फैलाएगा.
  2. 4 किलोमीटर दूर से भी होंगे दर्शन: ध्वज इतना विशाल और चमकदार है कि अयोध्या के विभिन्न हिस्सों से व दूर से आने वाले यात्रियों को भी इसकी झलक मिल जाएगी, मानो भगवान का आशीर्वाद स्वयं उनके पास आ रहा हो.
  3. पैराशूट-ग्रेड नायलॉन से निर्मित: इसका फैब्रिक सेना में उपयोग होने वाले पैराशूट जैसा मजबूत और टिकाऊ है, जिसे विशेष रूप से तेज हवाओं और मौसम की मार को सहने के लिए चुना गया है.
  4. 200 किमी प्रति घंटे की हवा झेलने की क्षमता: तेज तूफान और आकाशीय दबाव में भी ध्वज फटेगा नहीं—यह उच्चतम सुरक्षा मानकों पर परखा गया है, ताकि हर परिस्थिति में गर्व से लहराता रहे.
  5. 3 लेयर की विशेष संरचना: ध्वज में तीन मजबूत परतें हैं, जो इसे मजबूती, लंबी उम्र और हवा में संतुलित रूप से लहराने की क्षमता प्रदान करती हैं.
  6. डबल कोटेड सिंथेटिक प्रोटेक्शन लेयर: धूप, गर्मी, बारिश और नमी से रंग व कपड़ा खराब न हो—इसके लिए विशेष रसायनिक सुरक्षा परत चढ़ाई गई है, जिससे यह वर्षों तक नया दिखेगा.
  7. हल्का लेकिन मजबूत—2 से 3 किलो वजन: भारी हवा के दबाव में भी संतुलन बनाए रखने के लिए वजन वैज्ञानिक रूप से तय किया गया है—न ज्यादा भारी, न ज्यादा हल्का.
  8. धार्मिक प्रतीकों की त्रिवेणी—सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष: सूर्य तेजस्विता और सूर्यवंश, ‘ॐ’ ब्रह्मांडीय ऊर्जा और कोविदार वृक्ष रामराज्य की समृद्धि व मर्यादा का प्रतीक है—तीनों मिलकर ध्वज को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं.
  9. लगभग 3 वर्षों तक सुरक्षित और मजबूत: किसी भी मौसम में बिना कटे, फटे या रंग फीका हुए कम से कम तीन वर्षों तक वैसी ही स्थिति में रहेगा जैसा पहली बार फहराते समय होगा.
  10. स्वदेशी कारीगरों द्वारा हस्तनिर्मित उत्कृष्टता का प्रतीक: अहमदाबाद के कारीगर कश्यप मेवाड़ा और उनकी टीम ने 25 दिनों की मेहनत से इसे पूरी तरह हाथ से और स्वदेशी तकनीक से तैयार किया—आस्था और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का श्रेष्ठ उदाहरण.

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