आखिर क्यों सड़कों पर उतरे राजस्थान के किसान? पुलिस को चकमा देकर किया जालोर शहर का चक्का जाम
राजस्थान में किसान सड़कों पर उतर गए हैं. 27 नंवबर के दिन 300 से ज्यादा गांव के किसान इकट्ठा हुए थे, जिन्होंने पूरा शहर जाम कर दिया है. हजारों की संख्या में किसान ट्रॉली और ट्रैक्टर से जालोर शहर पहुंचे और वहां प्रदर्शन किया.;
जालोर में किसान सड़कों पर उतर आए हैं. इसका कारण पश्चिमी राजस्थान के पाली जिले के जवाई बांध के पानी के बंटवारा है. इसमें करीब 300 गांवों के किसानों ने जालोर हेड क्वार्टर को घेर लिया. पुलिस की सारी इंतजाम को नेस्तानाबूद करके जालोर शहर का चक्काजाम कर दिया है. हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर और ट्रॉली के साथ जालोर पहुंच रहे थे.
पुलिस को इस बात का अंदाजा था कि किसान बुधवार की सुबह करीब 8-9 बजे ट्रैक्टर से जालोर पहुंच जाएंगे. इससे पहले पुलिस सारे इंतजाम कर देगी, ताकि किसान अंदर न घुस पाए, लेकिन हुआ इसके उल्टा. किसानों का झुंड चार-पांच बजे ही शहर के अंदर घुस गए. इसके बाद पूरे दिन चक्का जाम रहा.
क्या है मामला?
पिछले नौ दिनों से किसान भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में जालोर में जवाई बांध के पानी का एक तिहाई हिस्सा तय करने और किसानों को समय पर बीमा क्लेम देने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने हरिदेव जोशी और अस्पताल चौराहे पर टायर जलाकर प्रदर्शन किया और बाड़मेर-जोधपुर हाईवे जाम कर दिया. प्रदर्शनकारी किसानों ने जालोर विधायक और मुख्य सचेतक जागेश्वर गर्ग के पोलजी नगर स्थित घर के बाहर भी प्रदर्शन के साथ-साथ नारेबाजी भी की. हालांकि विधायक अपने घर पर मौजूद नहीं थे.
सरकार ने नहीं की बातचीत
किसानों ने शिकायत की कि पिछले नौ दिनों में कोई भी अधिकारी उनसे कोई बात नहीं की. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि नौ दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई भी अधिकारी हमसे मिलने नहीं पहुंचा है. जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
किसानों ने नहीं हटाए ट्रैक्टर
इस मामले में एएसपी मोटाराम और डीएसपी गौतम जैन ने भी किसानों के साथ बातचीत की. साथ ही, प्रदर्शनकारियों से ट्रैफिक को सही तरीके से चलाने के लिए ट्रैक्टर और दूसरी गाड़ियों को हटाने के लिए कहा. हालांकि, किसानों ने पुलिस की यह बात नहीं मानी और विरोध प्रदर्शन जारी रखा.