लकड़ी-धागा-बाल और... लड़की के पेट से निकली दुनिया की सबसे लंबी हेयरबॉल ! देख डॉक्टर भी हैरान, करिश्माई सर्जरी से बचाई जान
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में डॉक्टरों ने एक दुर्लभ सर्जरी के जरिए 16 साल की लड़की के पेट से दुनिया की सबसे लंबी हेयरबॉल (Trichobezoar) निकाली. यह किशोरी मानसिक बीमारी 'पिका' से ग्रसित थी, जिसमें व्यक्ति मिट्टी, चाक, लकड़ी या बाल जैसी असामान्य चीजें खाने लगता है. बाल, धागे और लकड़ी खाने की आदत के कारण उसके पेट में 2.5 किलो की बालों की गांठ बन गई थी. यह मामला ‘रैपुंज़ेल सिंड्रोम’ से जुड़ा है, जिसमें बाल आंतों तक पहुंच जाते हैं.;
SMS Hospital Jaipur Trichobezoar Surgery: राजस्थान की राजधानी जयपुर से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में डॉक्टरों ने एक 14 साल की लड़की के पेट से 210 सेंटीमीटर लंबा ट्राइकोबेज़ोअर (हेयरबॉल यानी बालों की गांठ) सफलतापूर्वक निकालकर चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यह अब तक का सबसे लंबा ज्ञात ट्राइकोबेज़ोअर माना जा रहा है, जो पेट से छोटी आंत तक फैला हुआ था.
यह लड़की आगरा के बरारा गांव की रहने वाली है. यह 'पिका' नामक मानसिक विकार से पीड़ित थी, जिसमें व्यक्ति चाक, मिट्टी, लकड़ी, धागा और बाल जैसे गैर-खाद्य पदार्थों का सेवन करता है. समय के साथ, बालों के सेवन ने उसके पाचन तंत्र में एक विशाल गांठ का रूप ले लिया, जिसे 'ट्राइकोबेज़ोअर' कहा जाता है. जब यह गांठ आंतों तक फैल जाती है, तो इसे 'रैपुंज़ेल सिंड्रोम' कहा जाता है, जो एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है.
एक महीने से थी पेट दर्द और उल्टी की शिकायत
लड़की को एक महीने से अधिक समय से पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी. जांच में उसके पेट में एक कठोर द्रव्यमान पाया गया, जो पेट से नाभि और ऊपरी दाहिने हिस्से तक फैला था. कंट्रास्ट एन्हांस्ड सीटी (CECT) स्कैन में पेट में एक असामान्य वस्तु से भरा हुआ सूजा हुआ हिस्सा दिखा. डॉ. जीवन कांकरिया और उनकी टीम ने लगभग दो घंटे तक चली जटिल सर्जरी के दौरान इस 210 सेंटीमीटर लंबी गांठ को एक ही टुकड़े में सफलतापूर्वक निकाला, जिससे अतिरिक्त चीरे लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी.
चिकित्सा विज्ञान में महत्व
यह मामला न केवल सर्जिकल कौशल का उदाहरण है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य विकारों और उनके शारीरिक प्रभावों के बीच संबंध को भी उजागर करता है. एसएमएस अस्पताल इस उपलब्धि को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की प्रक्रिया में है. यह घटना मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करती है. यदि समय रहते इस स्थिति का पता न चलता, तो यह जानलेवा भी हो सकती थी.