'मेरी तो शादी ही नहीं हुई...', मेहनत मजदूरी कर पत्नी को पढ़ाया, सरकारी टीचर बनते ही पति को कहा- आप कौन

जहां एक ओर अनूप पत्नी को धोखेबाज़ बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पंकज की कहानी बिल्कुल उलटी है. पंकज का कहना है कि उसका बाल विवाह हुआ था, जब वह नाबालिग थी. उसे तब शादी का कोई मतलब भी नहीं पता था.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 4 Aug 2025 2:10 PM IST

भरतपुर जिले के भुसावर इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया है जो केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि भावनाओं, मेहनत, रिश्तों और कानून के टकराव की जटिल कहानी बन गया है. इस विवाद की चर्चा अब सोशल मीडिया से लेकर जिला कलेक्टर के दफ्तर तक पहुंच चुकी है. भुसावर के सलेमपुर खुर्द गांव में रहने वाले अनूप कुमार जाटव एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. 14 नवंबर 2021 को उनकी शादी नगला हवेली की पंकज कुमारी से हुई थी. यह शादी अनूप के अनुसार बहुत साधारण तरीके से हुई थी न कोई दहेज, न तामझाम. वह बताते हैं कि शादी के बाद उन्होंने एक अच्छे पति की तरह पत्नी के सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत शुरू कर दी.

अनूप का दावा है कि वह मजदूरी कर-करके पंकज की पढ़ाई में मदद करता रहा. उसने भरतपुर शहर के सूरजपोल दरवाजा इलाके में किराये पर कमरा लिया ताकि पंकज को बेहतर कोचिंग मिल सके. पैसे की तंगी के बावजूद उसने अपनी पत्नी को बीएसटीसी करवाया, फिर टीचर भर्ती परीक्षा के लिए तैयारी करवाई. अनूप का कहना है कि उसने पत्नी से यह वादा लिया था कि नौकरी लगने के बाद वह परिवार की मदद करेगी, उसे भी आगे पढ़ने का मौका देगी और दोनों मिलकर एक सुखद दांपत्य जीवन बिताएंगे. 

सपनों का बदलता चेहरा

अनूप के अनुसार, साल 2023 में पंकज कुमारी सरकारी स्कूल में टीचर बन गई. उसे रूपवास तहसील के एक स्कूल में नियुक्ति मिली. लेकिन जैसे ही नौकरी लगी, सब कुछ बदल गया. अनूप का आरोप है कि अब पंकज उसे न केवल पहचानने से इंकार कर रही है, बल्कि 2 मई 2025 से उसने उसके साथ रहने और कोई आर्थिक मदद देने से भी मना कर दिया. सबसे बड़ा झटका अनूप को तब लगा जब उसे पता चला कि रीट 2023 की भर्ती प्रक्रिया में दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान पंकज ने खुद को 'अविवाहित' बताया है. अनूप अब इस बात को लेकर बेहद आहत है और उसने जिला कलेक्टर को इस पूरे मामले की जांच कराकर न्याय दिलाने की अपील की है. 

पत्नी की पूरी तरह अलग कहानी

जहां एक ओर अनूप पत्नी को धोखेबाज़ बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पंकज की कहानी बिल्कुल उलटी है. पंकज का कहना है कि उसका बाल विवाह हुआ था, जब वह नाबालिग थी. उसे तब शादी का कोई मतलब भी नहीं पता था. अब जब वह बालिग हो चुकी है, तो उसने अनूप को कभी पति के रूप में स्वीकार नहीं किया. पंकज के अनुसार, अनूप ने उसके निजी दस्तावेज़ चुराकर फर्ज़ी विवाह प्रमाण पत्र बनवा लिया है. वह आरोप लगाती है कि अनूप ने सालों तक उसकी कोई खबर नहीं ली, लेकिन जैसे ही वह नौकरी में लगी, वह उसके पीछे पड़ गया. वह कहती है कि उसे उस बचपन की शादी की कोई याद तक नहीं है और ना ही उसने कभी स्वेच्छा से यह रिश्ता निभाया. 

बन गया सामाजिक मुद्दा 

अब यह पूरा मामला केवल एक पति-पत्नी के रिश्ते तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक और कानूनी मुद्दा बन गया है. अनूप इसे धोखा और वादाखिलाफी मानते हैं, जबकि पंकज इसे अपने बचपन के अधिकारों और स्वतंत्रता की लड़ाई कहती हैं. इस पूरे विवाद ने न केवल स्थानीय प्रशासन का ध्यान खींचा है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है क्या किसी की मेहनत और विश्वास इस तरह अनदेखा किया जा सकता है? क्या बाल विवाह की आड़ में कोई अपने अतीत से पल्ला झाड़ सकता है?.

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